इस्‍पात मंत्रालय : उपलब्धियां: समीक्षा – 2015

इस्‍पात मंत्रालय : उपलब्धियां: समीक्षा – 2015
     इस्‍पात मंत्रालय के अंतर्गत सीपीएसई ने कच्‍चे इस्‍पात की क्षमता में वृद्धि करने के लिए आधुनिकीकरण और विस्‍तार की योजना का दायित्‍व ग्रहण किया। माननीय प्रधानमंत्री ने निम्‍नलिखित को राष्‍ट्र को समर्पित किया :-  
  • स्टील अथॉरिटी ऑफ़ इण्डिया लिमिटेड (सेल) के राउरकेला इस्‍पात कारखाने का 01 अप्रैल 2015 को विस्‍तार किया गया। राउरकेला इस्‍पात कारखाने के विस्‍तार के फलस्‍वरूप कच्‍चे इस्‍पात की क्षमता में लगभग 2.5 लाख टन की वृद्धि हुई ।
    • सेल के बर्नपुर स्थित इस्‍को इस्‍पात कारखाने का 10 मई 2015 को विस्‍तार किया गया। आईएसपी का विस्‍तार 16,000 करोड़ रुपये की लागत से पूर्ण हुआ और इसके फलस्‍वरूप तप्‍त धातु उत्‍पादन क्षमता में तीन गुणा- 0.85 लाख टन प्रतिवर्ष से 2.5 लाख टन प्रतिवर्ष की वृद्धि हुई ।

    आरआईएनएल की क्षमता में 3.0 लाख टन प्रतिवर्ष से 6.3 लाख टन प्रतिवर्ष का विस्‍तार पूरा हो चुका है।

    एनएमडीसी ने कर्नाटक के दोनीमलई स्थित पेलेट संयंत्र में 1.2 लाख टन प्रतिवर्ष निर्माण गतिविधियां पूरी कर ली हैं। एकीकृत भार परीक्षण प्रारम्‍भ हो चुके हैं।

   भारतीय इस्‍पात अनुसंधान एवं प्रौद्योगिकी मिशन (एसआरटीएमआई) की स्‍थापना इस्‍पात मंत्रालय के सहयोग से 200 करोड़ रुपये की प्रारम्भिक राशि से राष्‍ट्रीय महत्‍व की अनुसंधान एवं विकास गतिविधियों की अगुवाई करने के लिए की गई है। 06 अप्रैल 2015 को समझौता ज्ञापन पर हस्‍ताक्षर किए गए।

Ø      वर्ष 2025 तक 300 लाख टन इस्‍पात के उत्‍पादन का वृद्धि लक्ष्‍य प्राप्‍त करने के लिए छत्‍तीसगढ़, ओडिशा, झारखंड और कर्नाटक की सरकारों के समक्ष स्‍पेशल पर्पज व्हिकल (एसपीवी) की अवधारणा का प्रस्‍ताव किया गया। निम्‍नलिखित समझौता ज्ञापनों पर माननीय प्रधानमंत्री, माननीय इस्‍पात एवं खान मंत्री तथा छत्‍तीसगढ़ के मुख्‍यमंत्री की उपस्थिति में 09 मई 2015 को हस्‍ताक्षर किए गए:-

         छत्‍तीसगढ़, एनएमडीसी, आईआरसीओएन और सेल के बीच रोघाट और जगदलपुर के बीच 140 किलोमीटर रेल लाइन के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्‍ताक्षर हुए। परियोजना की अनुमानित लागत : 2000 करोड़ रुपये

  • लगभग 18,000 करोड़ रुपये के निवेश से 3 लाख टन की क्षमता वाले इस्‍पात संयंत्र के लिए इस्‍पात मंत्रालय, छत्‍तीसगढ़ सरकार, सेल और एनएमडीसी के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्‍ताक्षर हुए।
  • बस्‍तर जिले के नगरनार में 4000 करोड़ रुपये के निवेश के साथ गारे की पाइपलाइन और 2  एमपीटीए पेलेट संयंत्र के लिए छत्‍तीसगढ़ सरकार और एनएमडीसी के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्‍ताक्षर हुए।
  • बालोद जिले के डाली-राजहारा में 826 करोड़ रुपये के निवेश के साथ आईएमटीपीए पेलेट संयंत्र लगाने के लिए छत्‍तीसगढ़ सरकार और सेल के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्‍ताक्षर किए गए।

   आरआईएनएल में, एनईडीओ, जापान के सहयोग से हरित प्रौद्योगिकी के साथ बिजली का उत्‍पादन करने की परियोजना सफलतापूर्वक प्रारम्‍भ की गई। यह देश में अपने किस्‍म की पहली परियोजना है।

    इस्‍पात मंत्रालय ने सीपीएसई के माध्‍यम से मंत्रालय में कौशल विकास को सुगम बनाने के लिए कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय के साथ एक महत्‍वपूर्ण समझौता ज्ञापन पर हस्‍ताक्षर किए हैं। कौशल विकास के लिए सेल, आरआईएनएल और एमओआईएल, प्रत्‍येक ने राष्‍ट्रीय कौशल विकास निगम के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्‍ताक्षर किए हैं।

इस्‍पात क्षेत्र की प्रवृत्तियां और विकास

इस्‍पात क्षेत्र की प्रवृत्तियां

  • भारत इस समय विश्‍व में कच्‍चे इस्‍पात का तीसरा बड़ा निर्माता है, जबकि वर्ष 2003 में यह 8वें स्‍थान पर था।
  • ·
  • भारत विश्‍व में डायरेक्‍ट रिड्यूस्‍ड ऑयरन (डीआरआई) अथवा स्‍पांज ऑयरन के सबसे बड़े उत्‍पादक के रूप में अपनी अग्रणी स्थिति बरकरार रखे हुए है।
  • इस्‍पात क्षेत्र देश के सकल घरेलू उत्‍पाद (जीडीपी) में करीब 2 प्रतिशत का योगदान देता है और 6 लाख से ज्‍यादा लोगों को रोजगार प्रदान करता है।
  • देश में पूर्णतया परिष्‍कृत इस्‍पात की प्रति व्‍यक्ति खपत वर्ष 2010-11 में 54.9 किलोग्राम से बढ़कर वर्ष 2014-15 में 60.8 किलोग्राम हो गयी।

 इस्‍पात का उत्‍पादन और खपत

  • कच्‍चे इस्‍पात के उत्‍पादन की क्षमता वर्ष 2010-11 में 80.36 लाख टन प्रतिवर्ष से बढ़कर वर्ष 2014-15 में 109.85 लाख टन प्रतिवर्ष हो गयी।
  • कच्‍चे इस्‍पात के उत्‍पादन में 6.2 प्रतिशत सालाना (सीएजीआर) वृद्धि हुई। यह वर्ष 2010-11 में 70.76 लाख टन प्रतिवर्ष से बढ़कर वर्ष 2014-15 में 88.98 लाख टन प्रतिवर्ष हो गया।
  • बिक्री के लिए पूर्णतया परिष्‍कृत इस्‍पात (धातु +गैर-धातु) का उत्‍पादन औसतन 8.7 प्रतिशत सालाना (सीएजीआर) वृद्धि के साथ वर्ष 2014-15 में 92.16 लाख टन रहा, जबकि वर्ष 2010-11 में यह 68.62 लाख टन था।
  • पूर्णतया परिष्‍कृत इस्‍पात (धातु +गैर-धातु) की वास्‍तविक खपत में पिछले पांच वर्षों में 5.3 प्रतिशत सीएजीआर की वृद्धि हुई।
  • पूर्णतया परिष्‍कृत इस्‍पात (धातु +गैर-धातु) की घरेलू खपत वर्ष 2014-15 में 76.99 लाख टन रही और सालाना वार आधार पर (अर्थात 2013-14 पर) इसमें 3.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
  • पूर्णतया परिष्‍कृत इस्‍पात (धातु +गैर-धातु) का निर्यात वर्ष 2014-15 में 5.59 लाख टन रहा जबकि इसी वर्ष पूर्णतया परिष्‍कृत इस्‍पात (धातु +गैर-धातु) का आयात 9.32 लाख टन रहा।
  • भारत ने वर्ष 2014-15 के दौरान पूर्णतया परिष्‍कृत इस्‍पात का शुद्ध आयात किया।

 

 

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