- February 27, 2016
आर्थिक समीक्षा 2015-16 : घटते शैक्षणिक स्तर पर चिंता
भारत युवा आबादी के मामले में खुद को हासिल बढ़त से सकारात्मक लाभ हासिल करने में जुटा हुआ है, इसको ध्यान में रखते हुए आर्थिक समीक्षा 2015-16 में कहा गया है कि देश की आबादी की उत्पादकता बढ़ाने के लिए मानव संसाधन में निवेश बढ़ाना अत्यंत आवश्यक है। आर्थिक समीक्षा 2015-16 में कहा गया है कि शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक सुरक्षा, पोषण, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग के कल्याण सहित सामाजिक सेवाओं पर कुल व्यय 2014-15 (संशोधित अनुमान) के दौरान सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 7 प्रतिशत आंका गया, जबकि यह वर्ष 2013-14 के दौरान 6.5 प्रतिशत था।
शिक्षा के मोर्चे पर, सरकारी एवं निजी दोनों ही स्कूलों में पठन स्तर में कमी के रूप में घटते शैक्षणिक स्तर को चिंता का विषय बताया गया है। शिक्षा की रिपोर्ट पर वार्षिक स्थिति (एएसईआर) 2014 के अनुसार, वर्ष 2007 से लेकर वर्ष 2014 तक की अवधिके दौरान सरकारी और निजी दोनों ही स्कूलों में कक्षा पांच के उन बच्चों की संख्या में तेज गिरावट देखने को मिली जो कक्षा द्वितीय की पाठ्यपुस्तक ही पढ़ पाते हैं।
आर्थिक समीक्षा 2015-16 में कहा गया है कि बालक-बालिका समानता सूचकांक (2013-14 अनंतिम), हालांकि, लड़कियों की शिक्षा में सुधार को दर्शाता है। यही नहीं, शिक्षा के लगभग सभी स्तरों पर लड़कियों और लड़कों के बीच समानता हासिल की गई है।
सरकार ने शिक्षा के विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से वंचितों और हाशिए पर पड़े कमजोर लोगों जैसे कि अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, अल्पसंख्यकों सहित अन्य पिछड़ा वर्गों (ओबीसी) और आर्थिक रूप से अन्य पिछड़े वर्गों को शिक्षा प्रदान करने के लिए कई कदम उठाए हैं। अलग-अलग समूहों के बीच नामांकन और सीखने के स्तर को प्रोत्साहित करने के लिए अनेक छात्रवृत्ति योजनाएं चलाई जा रही हैं।
प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) मोड के तहत राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल शुरू किया गया है, जो विभिन्न मंत्रालयों/विभागों द्वारा संचालित की जा रही विभिन्न प्रकार की छात्रवृत्ति योजनाओं के लिए एकल खिड़की प्रणाली है।
मानव संसाधन का एक अन्य पहलू देश की आबादी द्वारा स्वास्थ्य सुविधाएं हासिल करना है। सामाजिक सेवाओं पर कुल खर्च के प्रतिशत के रूप में स्वास्थ्य पर किया गया खर्च वर्ष 2013-14 के 18.6 प्रतिशत से बढ़कर वर्ष 2014-15 (संशोधित अनुमान) में 19.3 प्रतिशत और वर्ष 2015-16 (बजट अनुमान) में बढ़कर 19.5 प्रतिशत हो गया।
आगे की राह
आर्थिक समीक्षा 2015-16 में सार्वजनिक और निजी दोनों ही क्षेत्रों में शिक्षा की गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत पर बल दिया गया है। शैक्षणिक स्तर से जुड़े परिणामों में बेहतरी के लिए व्यावसायिक रूप से योग्य और प्रशिक्षित शिक्षकों की अत्यंत आवश्यकता है।
सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाएं और बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराने की व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए सार्वजनिक निवेश के साथ-साथ निजी निवेश से लाभ उठाना भी आवश्यक है। जन-धन-आधार-मोबाइल (जैम) योजना से लाभ उठाते हुए प्रौद्योगिकी प्लेटफॉर्मों और अभिनव मॉडलों को अपना कर विभिन्न तरह की सेवाएं मुहैया कराने की व्यवस्था को बेहतर बनाया जा सकता है।