- December 18, 2018
आपदा प्रबंधन में विश्व बैंक से 120 मिलीयन डाॅलर की सहमति
देहरादून (सू.ब्यूरो) —- उत्तराखण्ड डिजास्टर रिकवरी प्रोजेक्ट(यू.डी.आर.पी.) की शुरूआती 250 मिलीयन डाॅलर के वित्त पोषण के क्रम में विश्व बैंक ने 120 मिलीयन डाॅलर के अतिरिक्त वित्त पोषण पर सहमति प्रदान की है।
ऽ नई दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में इस संबंध में उत्तराखण्ड सरकार व विश्व बैंक के मध्य समझौता ज्ञाप पर हस्ताक्षर किए गए।
उत्तराखण्ड को डिजास्टर रिकवरी प्रोजेक्ट के लिए विश्व बैंक से 120 मिलीयन डाॅलर के अतिरिक्त वित्त पोषण की सहमति प्राप्त हो गई है। नई दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में इस संबंध में उत्तराखण्ड सरकार व विश्व बैंक के मध्य समझौता ज्ञाप पर हस्ताक्षर किए गए।
उत्तराखण्ड डिजास्टर रिकवरी प्रोजेक्ट(यू.डी.आर.पी.) की शुरूआती 250 मिलीयन डाॅलर के वित्त पोषण के क्रम में विश्व बैंक ने 120 मिलीयन डाॅलर के अतिरिक्त वित्त पोषण पर सहमति प्रदान की है।
वित्त पोषण से मुख्यतः एस.डी.आर.एफ. की प्रशिक्षण सुविधाओं व बटालियन मुख्यालय का जौलीग्रांट में निर्माण, अत्याधुनिक उत्तराखण्ड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण भवन का निर्माण, उत्तराखण्ड में कनेक्टीविटी सुधारने के लिए 64 पुलों का निर्माण, 15 अति संवेदनशील लैंड स्लाईड जोनों पर स्लोप सुरक्षा कार्य व नदी किनारे 5 स्थानों पर सुरक्षा कार्य कराए जाएंगे। ये सभी काम आगामी तीन वर्ष की अवधि में कराए जाने प्रस्तावित हैं।
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के निर्देश पर इस परियोजना की तैयारी एक वर्ष पूर्व आरम्भ कर दी गई थी। कुछ डी.पी.आर. बनाने का काम यूडीआरपी के अंतर्गत किया गया। परियोजना के कार्यों का क्रियान्वयन पी.एम.यू., पी.आई.यू. व क्षेत्रीय पी.आई.यू के माध्यम से यू.एस.डी.एम.ए. के अंतर्गत लोक निर्माण विभाग, सिंचाई विभाग व पुलिस विभाग के परस्पर समन्वय से किया जाएगा। परियोजना की माॅनिटरिंग मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय समिति द्वारा की जाएगी। परियोजना के लिए शुरूआती मानव संसाधन व क्षेत्रीय पी.आई.यू. की स्थापना की जा चुकी है व 30 प्रतिशत कार्यों का अनुबंध डिपार्टमेंट आॅफ इकोनाॅमिक अफेयर्स के दिशा निर्देशानुसार किया जा चुका है।
मंगलवार को नई दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में उत्तराखण्ड सरकार में सचिव अमित सिंह नेगी, अपर सचिव सविन बंसल, निदेशक बन्दना प्रियेशी, अनुसचिव डिपार्टमेंट आॅफ इकोनोमिक अफेयर्स एससी श्रीवास्तव, विश्व बैंक से इग्नैशियो उरूशिया, दीपक सिंह आदि उपस्थित थे।
गौरतलब है कि उत्तराखण्ड में 2013 की दैवीय आपदा के बाद आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा विश्व बैंक से 250 मिलीयन डाॅलर की सहायता यूडीआरपी के लिए व 200 मिलीयन डाॅलर की सहायता एशियन विकास बैंक से उत्तराखण्ड इमरजैंसी असिस्टैंस प्रोजेक्ट(यू.ई.ए.पी.) के लिए प्राप्त की गई थी।
यूईएपी अक्टूबर 2017 में सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है और यूडीआरपी जून 2019 में पूरा होना सम्भावित है। उक्त परियोजनाओं के अंतर्गत विभिन्न सड़कों व पुलों का पुनर्निर्माण, 25 लोक भवनों (स्कूल, डिस्पेंसरी, पुलिस स्टेशन आदि), जीएमवीएन व केएमवीएन के अंतर्गत पर्यटन इन्फ्रास्ट्रक्चर का पुनर्वास व निर्माण, हैलीपेडों का निर्माण, 9 शहरों की जलापूर्ति का काम, खोज एवं बचाव उपकरणों की एसडीआरएफ को आपूर्ति का काम, विभिन्न तकनकी अध्ययन आदि काम किए गए।
सूचना एवं लोक सम्पर्क विभाग
***** केन्द्र सरकार ने पिरूल को मनरेगा से जोडने की सैद्धान्तिक सहमति *****
उत्तराखण्ड को यह प्रोजेक्ट के रूप में उपलब्ध होगा। राज्य में अब पिरूल बेरोजगारी दूर करने तथा आय के संसाधनों में वृद्धि में भी मददगार होगा। इससे 143 प्रकार के आइटम तैयार किये जा सकते है। सहकारिता से भी इससे संबंधित योजनाओं को जोडा जायेगा।
मुख्यमंत्री आवास में जिला सहकारी बैंको एवं भेषज संघो के नव निर्वाचित अध्यक्ष, उपाध्यक्ष एवं संचालकगणों के स्वागत समारोह को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि पिरूल हमारी आर्थिकी मजबूती का प्रमुख आधार बन सकता है।
इस सम्बन्ध में उन्होंने कुछ दिन पूर्व केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री से पिरूल एकत्रीकरण कार्य को मनरेगा से जोडने का अनुरोध किया था। अब केन्द्र सरकार द्वारा इसकी सैद्धान्तिक सहमति प्रदान कर दी है। यह राज्य के लिये बेरोजगारी को दूर करने, आय के साधन बढाने में भी गेम चेन्जर साबित होगा।
मुख्यमंत्र श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि ग्रामीण जनजीवन में बदलाव लाने के साथ ही ग्रामीण आर्थिकी को मजबूती के लिये सहकारिता एक बडा माध्यम है। स्वरोजगार के लिये विभिन्न रोजगार परक कार्यक्रमों के लिये अधिक से अधिक धनराशि उपलब्ध कराने के प्रयास किये जाय। ब्याज की कम दर होने से यह समाज में बदलाव का भी माध्यम बन सकता है। इसके लिये सहकारिता से जुडे लोगों को आम आदमी के पास जाना होगा। उसे अपने साथ जोडना होगा। योजनाओं की जानकारी आम आदमी तक पहुचानी होगी।
उन्होंने कहा कि सहकारिता से जुडे लोग कोपरेटिव द्वारा पं.दीनदयाल उपाध्याय सहकारिता ऋण योजना के तहत ऋण लेने वालों की स्थितिका भी जायजा लिया जाय कि क्या उन्हें इससे कितना फायदा हुआ। इससे अधिक से अधिक लोग इसके प्रति आकर्षित होंगे तथा अधिक से अधिक लोगों को इसका फायदा मिल सकेगा।
इस योजना के तहत अब तक 03 लाख लोगों को ऋण दिया जा चुका है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में ट्राउट मछली पालन, अंगूरा ऊन केे कलस्टर तैयार किये जाय। यह भी अर्थिकी को मजबूती प्रदान करेगा। इस प्रकार सहकारिता सबका साथ सबका विकास के विचार को साकार करने में भी मददगार साबित हो सकेगी। हमें सहकारिता को समाज की बेहतरी के लिये आम आदमी से जोडना होगा।
इस अवसर पर सहकारिता राज्य मंत्री डाॅ.धन सिंह रावत ने कहा कि सहकारिता को जनता से जोडने के लिये निरन्तर प्रयास किये जा रहे हैं। सहकारिता को भ्रष्टाचार से मुक्त करने की दिशा में भी हमारे प्रयास जारी है।