- January 1, 2016
आधे आसमाँ से लेकर नौनिहालों तक बेहतर सुविधाएँ : – डॉ. दीपक आचार्य उप निदेशक
सू०ज०वि० (उदयपुर) — प्रदेश में हर क्षेत्र और हर आयु वर्ग के विकास की जरूरतों को ध्यान में रखकर सरकार विभिन्न योजनाओं, कार्यक्रमों, परियोजनाओं और अभियानों के माध्यम से सर्वांगीण विकास की गतिविधियों में जुटी हुई है।
खासकर महिलाओं और बच्चों के लिए जरूरी कारकों की उपलब्धता सुनिश्चित करते हुए उनके सर्वतोमुखी उत्थान, सेहत की रक्षा तथा सुरक्षित पल्लवन-संरक्षण की दिशा में हर स्तर पर ठोस कार्यकलापों का संपादन हो रहा है।
प्रदेश में महिलाओं और बच्चों की बुनियादी आवश्यकताओं और सुख-सुविधाओं तथा उपलब्ध सेवाओं को बेहतर बनाने की दृष्टि से बहुद्देश्यीय एवं महत्वाकांक्षी व्यापक प्रयास जारी हैं। उदयपुर जिले में पिछले दो वर्ष में इस दिशा में कई नवीन आयामों और उपलब्धियों को हासिल किया गया है।
शिशु पालना गृह
आंगनवाड़ी केन्द्रों पर सह शिशु पालना गृह खोलने की योजना अन्तर्गत उदयपुर जिले में उदयपुर शहर में 2 तथा बड़गांव, गोगुन्दा, झाड़ोल, खेरवाड़ा,गिर्वा व सलुम्बर में 1-1 शिशुु पालना गृह खोले गये।
नन्द घर योजना
समेकित बाल विकास सेवाएं के अन्तर्गत आंगनवाड़ी केन्द्रों के संचालन में सामुदायिक सहभागिता बढ़ाने के लिए उदयपुर जिले में नन्द घर योजना प्रस्तावित है। आई.सी.डी.एस मिशन मोड के अन्तर्गत 100 आंगनवाड़ी केन्द्रों पर विभाग द्वारा भवन निर्माण की स्वीकृति जारी की जा चुकी है। जिले में 4 लाख39 हजार 376 लाभार्थियों को पूरक पोषाहार तथा 1 लाख 17 हजार 978 बच्चों को शाला पूर्व शिक्षा से लाभान्वित किया जा रहा है। इंदिरा गांधी मातृत्व सहयोग योजनान्तर्गत 1953 लाख रुपये का व्यय कर पात्रताधारी महिलाओं को लाभान्वित किया गया।
महिला अधिकारिता ने जगायी चेतना
महिला अधिकारिता विभाग द्वारा इस वर्ष उदयपुर संभाग के प्रथम पाँच दिवसीय अमृता हाट का आयोजन भण्डारी दर्शक मण्डप में किया गया। इस मेले मे संभाग के सभी जिलों से कुल 78 महिला स्वयं सहायता समूहों ने अपनी स्टॉल लगाई। इसमें जयपुर, पाली टोंक, झुन्झूनू, सवाई माधोपुर, जोधपुर, सीकर,कोटा आदि जिलों से भी महिला स्वयं सहायता समूहों ने अपने उत्पादों की बिक्री की।
दहेज प्रथा को हतोत्साहित करने एवं बालिग विवाह को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से गत दो वर्षों में अब तक कुल 393 जोड़ों का सामूहिक विवाह कराया गया जिसमें प्रति जोड़े राशि 12500/- अनुदान के हिसाब से कुल 49 लाख रुपये विभाग द्वारा संबंधित वधू एवं संस्था को दिए गए।
महिलाओं एवं किशोरी बालिकाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए विभाग द्वारा डिजिटल सहेली एवं आरएससीआईटी कार्यक्रम में कुल 1061 बालिकाओं एवं 3138 महिलाओं को क्रमशः एक तथा तीन माह का निःशुल्क कम्प्यूटर प्रशिक्षण दिलाकर कम्प्यूटर साक्षर बनाया गया। आखातीज पर गत दो वर्षाें में कुल81 नाबालिग जोड़ों का विवाह जिला प्रशासन के सहयोग से रुकवाया गया। ट्रेनिंग एवं डिजाइन सेन्टर के माध्यम से 75 महिलाओं को एडवांस सिलाई एवं कशीदाकारी प्रशिक्षण दिलाया गया ।
महिलाओं का कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न (निवारण, प्रतिषेध एवं प्रतितोष) अधिनियम 2013 के अन्तर्गत पूरे जिले में सभी सरकारी एवं गैर सरकारी विभागों में 60 शिकायत कमेटियों का गठन किया गया।
इसी प्रकार महिलाओं एवं बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए उदयपुर जिले में विभिन्न गतिविधियों और योजनाओं का सार्थक क्रियान्वयन किया जा रहा है।