• February 9, 2021

आत्मनिर्भर भारत‘ की सोच को आगे बढ़ाने वाले पाठ्यक्रमों का हो विकास – राज्यपाल

आत्मनिर्भर भारत‘ की सोच को आगे बढ़ाने वाले पाठ्यक्रमों का हो विकास  – राज्यपाल

जयपुर———- । राज्यपाल श्री कलराज मिश्र ने कहा है कि स्थानीय ज्ञान-विज्ञान को सहेजने वाले ऎसे पाठ्यक्रम विकसित किए जाने चाहिए जो ‘आत्मनिर्भर भारत‘ को आगे बढ़ाने के लिए विद्यार्थियों को तैयार कर सकें। उन्होंने कहा कि देश के संसाधनों का समुचित सदुपयोग देश में ही हो, इसके लिए नई शिक्षा नीति में पाठ्यक्रम के अध्ययन के साथ कौशल विकास के माध्यम से विद्याथिर्ंयों को हुनर से जोड़ने पर विशेष ध्यान दिया गया है।

श्री मिश्र मंगलवार को यहां राजभवन से जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ डीम्ड यूनिवर्सिटी के 13वें दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर वर्चुअल संबोधित कर रहे थे। उन्होंने शिक्षण संस्थानों से शोध की ऎसी मौलिक दृष्टि विकसित करने का आह्वान किया जिससे विलुप्त हो रहे ज्ञान को आधुनिक संदभोर्ं में फिर से जीवंत किया जा सके।

उन्होंने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के बुनियादी शिक्षा के विचारों से प्रेरित होकर समाज के सवार्ंगीण विकास के उद्देश्य से देश की नई शिक्षा नीति तैयार की गई है। उन्होंने कहा कि सभी को शिक्षित बनाने के लिए बापू ने मातृभाषा में शिक्षा तथा आत्मनिर्भरता के लिए शिक्षा पर विशेष जोर दिया था। नई शिक्षा नीति के माध्यम से देश की शिक्षा व्यवस्था में ऎसे ही बदलाव लाने की पहल की गई है।

राज्यपाल ने कहा कि सूचना और संचार तकनीक के बेहतर इस्तेमाल से शिक्षण के ऎसे नवाचाराें को बढ़ावा दिया जाना चाहिए जो विद्यार्थियों को रटन्त विद्या की बजाय जीवन व्यवहार की शिक्षा प्राप्त करने को प्रेरित कर सकें। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी सिर्फ निर्धारित पाठ्यक्रम का ही अध्ययन नही करें अपितु विश्वभर में हो रहे शोध और अनुसंधान से भी स्वयं को जोड़ें। उन्होंने स्थानीय संसाधनों, संस्कृति और धरोहर के संरक्षण में तकनीक के अधिकाधिक उपयोग पर भी जोर दिया।

राजस्थान उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता श्री आर. एन. माथुर ने विशिष्ट अतिथि के तौर पर संबोधित करते हुए कहा कि नई शिक्षा नीति के माध्यम से उन जीवन मूल्यों को प्रतिस्थापित करने की पहल की गई है जो सदियों से राष्ट्र की धरोहर रहे हैं।

कुलाधिपति प्रो. बलवन्त शान्तिलाल जानी ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में विद्यापीठ के संस्थापक एवं प्रख्यात कवि जनार्दन राय नागर के योगदान को याद किया। कुलपति कर्नल प्रो. एस एस सारंगदेवोत ने विद्यापीठ का वार्षिक प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत किया।

कार्यक्रम के आरम्भ में राज्यपाल ने संविधान की उद्देश्यिका तथा मूल कत्र्तव्यों का वाचन करवाया। समारोह में विभिन्न संकायों के स्नातक एवं स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में सर्वोत्तम अंक प्राप्त करने वाले विद्याथिर्ंयों को स्वर्ण पदक और पीएचडी धारकों को उपाधियां प्रदान की गईं।

समारोह के दौरान राज्यपाल के सचिव श्री सुबीर कुमार, प्रमुख विशेषाधिकारी श्री गोविन्दराम जायसवाल, कुलप्रमुख श्री भंवरलाल गुर्जर, कुलसचिव डॉ. हेमशंकर दाधीच सहित अधिकारीगण, शिक्षकगण, शोधार्थी तथा विद्यार्थी ऑनलाइन उपस्थित थे।

Related post

धोखाधड़ी, जालसाजी व जान से मारने की धमकी  : मुख्यमंत्री महोदय का  पत्र सलग्न :

धोखाधड़ी, जालसाजी व जान से मारने की धमकी : मुख्यमंत्री महोदय का पत्र सलग्न :

रमाकांत उपाध्याय (आरा )—– प्रार्थी के जमीन के साथ हुई कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर धोखाधड़ी, जालसाजी…
क्या भारत एक स्वस्थ युवाओं का देश भी है?

क्या भारत एक स्वस्थ युवाओं का देश भी है?

डॉक्टर नीलम महेंद्र : वर्तमान  भारत जिसके विषय में हम गर्व से कहते हैं कि यह…
नेहरू से हमें जो सीखना चाहिए

नेहरू से हमें जो सीखना चाहिए

कल्पना पांडे————-इतने सालों बाद हमे शर्म से ये स्वीकार कर लेना चाहिए कि धार्मिक आडंबरों, पाखंड…

Leave a Reply