• November 5, 2018

आगुन्तक का कार्य राइट टू सर्विस एक्ट के अुनसार तय समय सीमा में करें

आगुन्तक का कार्य राइट टू सर्विस एक्ट के अुनसार तय समय सीमा में करें

झज्जर ——— उपायुक्त सोनल गोयल ने लघु सचिवालय में आयोजित विशेष बैठक में अधिकारियों व कर्मचारियों को प्रेरक संबोधन देते हुए यह बात कही।

उन्होंने जिलावासियों, अधिकारियों व कर्मचारियों को दिवाली की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि कार्यशैली की गुणवता बढ़ाने और पारदर्शिता के साथ कार्य करने के लिए जरूरी है कि हम आई टी वर्क कल्चर को अपनी आदतों में शुमार करें।

उपायुक्त श्रीमती गोयल ने कहा कि आई टी की नई नई तकनीकों से वर्क कल्चर में तेजी से हो रहे बदलावों के कारण कार्यशैली में सुधार एक सतत प्रक्रिया है,और हमें बदलते हुए परिवेश के अनुसार ढ़ालना होगा , तभी हम प्रशासनिक दायित्व की जिम्मेदारी सही तरीके से निभा पाएंगे। उन्होंने कहा कि अधिकारी व कर्मचारी आई टी की नई तकनीकों को अपनो हुए अपने आप को जन सेवक समझकर कार्य करें,आधा बदलाव उसी समय आ
जाएगा।

उन्होंने सभी विभागध्यक्षों को राइट -टू-सर्विस एक्ट के तहत अपने-अपने कार्यालयों के बाहर सीटीजन चार्टर का बोर्ड लगवाने और उनका अनुकरण करने को कहा।

उपायुक्त श्रीमती गोयल ने कहा कि स्वच्छता एक अन्य पहलु है, जो हमारी कार्य क्षमता को निरंतर बेहतर बनाता है। अगर हम अपने कार्यालय व आस-पास का माहौल स्वच्छ रखेंगे तो कार्य का निपटान भी बेहतर तरीके से होगा। स्वच्छ कार्यालय के साथ -साथ वर्क कल्चर भी स्वच्छ होना चाहिए। फाइल आदि का रखरखाव नियमानुसार हो।

कार्यालयों में रखी अलमारी में कौन सी फाइल रखी है यह सूची बाहर चस्पा होनी चाहिए ताकि फाइल ढूढने आदि में समय व्यर्थ न हो। उन्होंने कहा कि छोटी-छोटी सावधानियां बरतने से कार्य आसान होता चला जाता है।

उपायुक्त ने कहा कि अगर हम पारदर्शिता और राइट टू सर्विस एक्ट के दायरे में आमजन को सेवा मुहैया करवाते हैं तो शिकायत भी कम होंगी। शिकायतें कम होने से निश्चित रूप से समय की बचत होगी। यह समय हम अपना कार्य और बेहतर तरीके से करने में उपयोग कर सकते हैं।

उपायुक्त ने कहा कि लघु सचिवालय का माहौल स्वच्छ बनाने के लिए सौदर्यीकरण का कार्य भी शुरू किया गया है। कानफ्रेंस रूम बड़ा बनाया जा रहा है। लघु सचिवालय की फ्रंट वॉल पर पेंटिंग आदि का कार्य करवाया जा रहा है।

Related post

पुस्तक समीक्षा : जवानी जिन में गुजरी है,  वो गलियां याद आती हैं

पुस्तक समीक्षा : जवानी जिन में गुजरी है,  वो गलियां याद आती हैं

उमेश कुमार सिंह :  गुरुगोरखनाथ जैसे महायोगी और महाकवि के नगर गोरखपुर के किस्से बहुत हैं।…
जलवायु परिवर्तन: IPBES का ‘नेक्सस असेसमेंट’: भारत के लिए एक सबक

जलवायु परिवर्तन: IPBES का ‘नेक्सस असेसमेंट’: भारत के लिए एक सबक

लखनउ (निशांत सक्सेना) : वर्तमान में दुनिया जिन संकटों का सामना कर रही है—जैसे जैव विविधता का…
मायोट में तीन-चौथाई से अधिक लोग फ्रांसीसी गरीबी रेखा से नीचे

मायोट में तीन-चौथाई से अधिक लोग फ्रांसीसी गरीबी रेखा से नीचे

पेरिस/मोरोनी, (रायटर) – एक वरिष्ठ स्थानीय फ्रांसीसी अधिकारी ने  कहा फ्रांसीसी हिंद महासागर के द्वीपसमूह मायोट…

Leave a Reply