असंगठित श्रमिकों की समस्याओं के निराकरण की संस्थागत व्यवस्था लागू करना सर्वोच्च प्राथमिकता

असंगठित श्रमिकों की समस्याओं के निराकरण की संस्थागत व्यवस्था लागू करना सर्वोच्च प्राथमिकता

 महेश दुबे———–खाद्य, नागरिक आपूर्ति, उपभोक्ता संरक्षण एवं श्रम मंत्री श्री ओम प्रकाश धुर्वे ने कहा है कि असंगठित क्षेत्र में मजदूरी करने वाले श्रमिकों की समस्याओं के निराकरण की संस्थागत व्यवस्था लागू करना सर्वोच्च प्राथमिकता रहेगी। श्री धुर्वे आज मंत्रालय में विभागीय समीक्षा कर रहे थे।

मध्यप्रदेश ग्रामीण एवं शहरी असंगठित श्रमिक मण्डल अध्यक्ष श्री सुल्तान सिंह शेखावत, प्रमुख सचिव श्रम श्री बी.आर. नायडू, श्रमायुक्त श्री के.सी. गुप्ता, अपर श्रमायुक्त श्री आर.जी. पाण्डे, श्री प्रभात दुबे, उप श्रम आयुक्त श्री एस.एस. दीक्षित और अन्य अधिकारी मौजूद थे।

श्री धुर्वे ने विभाग की जानकारी प्राप्त कर कहा कि विभिन्न कल-कारखानों, संस्थाओं के श्रमिकों का कल्याण और समस्याओं का निराकरण आगे बढ़कर करने की जरूरत है। असंगठित क्षेत्र में मजदूरी कर जीवन-यापन करने वाले श्रमिकों की समस्याओं के निराकरण की संस्थागत व्यवस्था बनाये और लागू करें।

यह अब विभाग की सर्वोच्च प्राथमिकता होगी। असंगठित श्रमिक, खेतिहर मजदूर, ग्रामीण क्षेत्र में निर्माण श्रमिक, वनोपज से जुड़े, लकड़ी कटाई, लोडिंग-अनलोडिंग आदि और नगरीय क्षेत्र में काम करने वाले श्रमिक वह वर्ग है, जो स्वयं लाभ प्राप्त करने की पहल नहीं कर पाता। यह बड़ी श्रमिक संख्या है। इसकी समस्याओं का निराकरण अब विभाग की सर्वोच्च प्राथमिकता है।

श्री धुर्वे ने सन्निर्माण कर्मकार मण्डल, कर्मचारी राज्य स्वास्थ्य बीमा सेवाएँ, स्लेट-पेंसिल कर्मकार मण्डल आदि की योजनाओं के संबंध में कहा कि योजनाओं की ओवरलेपिंग नहीं होना चाहिये। उन्होंने कहा कि शिक्षा, चिकित्सा, महिला-बाल विकास आदि विभाग की योजनाएँ संचालित हैं, जिनमें श्रम विभाग की योजनाओं के हितग्राही भी हो सकते हैं।

इसका अध्ययन और विश्लेषण कर तथ्यात्मक जानकारी तैयार करें। राज्य सरकार की अन्य योजनाओं से विभागीय योजनाओं की ओवरलेपिंग नहीं हो। उपलब्ध अन्य सरकारी योजनाओं से श्रमिकों को लाभान्वित कर उपलब्ध राशि से श्रमिकों के कल्याण के लिये अन्य नई योजनाएँ शुरू करें।

मंत्री श्री धुर्वे ने श्रमिकों की समस्याओं के निराकरण के लिये अधिकारियों को दफ्तर छोड़ श्रमिकों के बीच जाने को कहा। उन्होंने कहा कि बाल श्रमिकों में ऐसे बहुत हैं, जो अपने माता-पिता के मजदूरी के लिये गाँव से नगर जाने पर उनके साथ चले जाते हैं।

रोजगार के लिये जाने वाले माता-पिता से सम्पर्क कर उनके बच्चे को आश्रम शाला, आवासीय विद्यालय आदि में दाखिल करा उनकी परवरिश और शिक्षा की व्यवस्था की जाये। इसी तरह से श्रमिकों की अन्य समस्याओं के निराकरण की पहल हो।

बैठक में श्रम विभाग और विभाग के विभिन्न मण्डल की जानकारी पर आधारित पावर पाइंट प्रेजेंटेशन दिया गया। मंत्री श्री धुर्वे ने योजनाओं की जानकारी पर संतोष व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि कुछ नया करने की भी जरूरत है और यही वास्तविक उपलब्धि होगी। उन्होंने उत्कृष्ट कार्य करने वालों को पुरस्कृत करने को भी कहा।

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