अयोध्या विवाद पर ऐतिहासिक फैसले से विश्व पटल पर फिर से भारत का बढ़ा सम्मान

अयोध्या विवाद पर ऐतिहासिक फैसले से विश्व पटल पर फिर से भारत का बढ़ा सम्मान

• इस ऐतिहासिक फैसले से विश्व पटल पर फिर से भारत का बढ़ा सम्मान
• अयोध्या विवाद में किसी की जीत-हार नहीं हुई
• भारत की धरती है सभी धर्मों और सभी आस्था के लिए
• लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता का दुनिया में उदाहरण है भारत
• भारतीय सर्वोच्च न्यायालय का यह निर्णय विश्व में बनी एक नज़ीर
• निर्णय के बाद हिंदू-मुस्लिम में दिखा आपसी भाईचारा और सौहार्द का माहौल

पटना (मुरली मनोहर श्रीवास्तव)——– तू हिंदू बनेगा न मुसलमान बनेगा, इंसान की औलाद है इंसान बनेगा…..ये गीत आज की तारीख में पूरी तरह से प्रासंगिक साबित हो रहा है। भारत गांव का देश है तो आपसी मिल्लत की मिसाल भी है। इस धर्मनिरपेक्ष देश में सभी को अपनी बातें रखने और खुले आकाश में अपने तरीके से जीने की आजादी है। गंगा-जमुनी संस्कृति के इस मुल्क में वर्षों से चली आ रही अयोध्या विवाद को आखिरकार सुप्रीम कोर्ट ने सुलझा ही लिया।

ये वही अयोध्या है जहां मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम ने जन्म लिया था। हिंदु धर्मावलंबी और हिंदू धर्म को मानने वाले लोग हमेशा से चाहते थे कि यहां मंदिर का निर्माण हो। उनकी लड़ाई भी लाजिमी थी। वर्ष 1992 में जब विवादित बाबरी मस्जिद के ढांचे को कर सेवा कर ध्वस्त कर दिया गया तो विवाद बढ़ी।

वाद- विवाद का दौर चलता रहा उसी बीच सुप्रीम कोर्ट पर दोनों धर्मों ने अपना फैसला सौंप दिया। 09 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने 1045 पन्नों में ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए 929 पन्नों में कोर्ट का आदेश जारी कर दिया। इस आदेश में प्रमाण को केंद्र में रखते हुए 2.77 एकड़विवादित भूमि को मंदिर निर्माण के लिए सौंप दी गई। वहीं अयोध्या में ही 5 एकड़ भूमि मुस्लिम समुदाय को मस्जिद निर्माण करने के लिए देने का फैसला सुनाया है।

हर माता-पिता अपने बच्चों को ऊंची तालिम देकर एक सफल जीवन देना चाहता है, ठीक उसी प्रकार हर देश और उसके रहनुमा भी यही चाहता है कि उसका मुल्क शांति-मिल्लत और सौहार्द का केंद्र बने। हां, इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि कुछ तथाकथित लोग इस सौहार्द में खलल डालने की कोशिश करते हैं, लेकिन जो इन बातों को समझते हैं वो आपसी सौहार्द को बरकरार रखने में सफल रहते हैं। दुनिया की पृष्ठभूमि में भारत की अपनी एक अलग पहचान है। यह धर्मनिरपेक्षता की परिभाषा को पूरी तरह से परिभाषित करता है।

आप अकसर अखबारों में पढ़ते होंगे कि मुस्लिम देशों में भी मुस्लिम समुदाय के लोग खुद को असंतुष्ट महसूस कर रहे हैं, लेकिन भारत में हिंदु-मुस्लिम-सिक्ख-ईसाई अपने हक और हकूक के साथ जीवनयापन करते हैं, लड़ते हैं, झगड़ते हैं, लेकिन फिर भी गले मिलकर एक-दूसरे का हाथ थामते हैं और इसी मिट्टी पर जलते हैं और इसी मिट्टी में दफन होते हैं, जो दुनिया में आपसी मिल्लत की एक बड़ी मिसाल है।

अब तो आपको हर जगह सुनने को मिलने लगा है कि….” तुम्हारी भी जय-जय हमारी भी जय, न तुम हारे न हम हारे…. ”बात भी बिल्कुल सही है, क्योंकि हिंदुस्तान की मिट्टी में अपनत्व के बीज पनपते हैं तभी तो भारत को आध्यात्मिक विश्व गुरु तक कहा गया है।

खुद दर्द में रहकर भी पूरी दुनिया को आपसी मिल्लत की पाठ पढ़ाने वाले इस मुल्क का कोई सानी नहीं है। जिन विचाराधाराओं को अलग धारा देने की सदियों से कोशिश की जा रही थी उसे उचित मार्ग प्रशस्त कर भारत एक बार फिर से दुनिया के लिए नज़ीर बनकर खड़ा हो गया है।

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