- January 5, 2015
अमेरिका दुल्हा और भारत दुल्हिन कि सगाई गणतंत्र दिवस परेड में
अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा को गणतंत्र दिवस परेड में मुख्य अतिथि के तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आमंत्रण पर गहन और जटिल विश्लेषण (क्या 10 साल के लिए रक्षा करार होगा ? नाभिकीय उत्तरदायित्व कानून का क्या होगा ? भारत-चीन संबंध पर इस दौरे का क्या असर पड़ेगा? भारत-पाकिस्तान संबंध को यह किस प्रकार प्रभावित करेगा?) के बीच भारतीय जनता पार्टी की दिल्ली इकाई के एक निचले स्तर के पदाधिकारी की टिप्पणी थोड़ी राहत देती है। चाट की एक दुकान पर गोलगप्पा खाते हुए उन्होंने इसका ‘वास्तविक’ महत्व बताया: शहर को दुल्हन की तरह सजाया जाएगा और इससे राज्य के आगामी चुनावों में पार्टी को जीत हासिल करने में मदद मिलेगी। आह, मोदी की प्रतिभा! जैसा वेदों में कहा गया है कि सत्य केवल एक है लेकिन चतुर लोग उसकी व्याख्या कई तरह से करते हैं। कि सगाई
ओबामा अपने भारत दौरे के दौरान जहां सबसे अधिक समय गुजारेंगे उन जगहों को साफ-सुथरा रखने की जिम्मेदारी नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी) की है। नई दिल्ली के बीचोबीच बड़े लेकिन शोरगुल भरे कार्यालय में बैठे एनडीएमसी के प्रवक्ता इससे बेपरवाह दिखे। उन्होंने कहा कि गणमान्य लोग हमेशा आते-जाते रहते हैं और रोजाना अपने क्षेत्र को साफ-सुथरा रखना नगरपालिका का काम है। उन्होंने जोर देकर कहा कि ओबामा को प्रभावित करने के लिए कोई विशेष योजना नहीं बनाई गई है। उनके कुछ सहकर्मी इस बात से चिंतित हैं कि यह दौरा दिल्ली विधानसभा चुनावों की घोषणा होने के बाद होगा और उस दौरान चुनाव आचार संहिता लागू होगी जिससे न तो अधिक खर्च किए जा सकेंगे और न ही कोई बड़ी घोषणा हो पाएगी। ऐसे में यह कैसे सुनिश्चित किया जाए कि ओबामा इस शहर से प्रभावित होकर लौटेंगे?
हालांकि कुछ काम पहले से ही निर्धारित हैं जैसे राजपथ की रेलिंग का रंगरोगन करना क्योंकि परेड का आयोजन वहीं होता है। दक्षिण दिल्ली नगर निगम के एक अधिकारी ने खुलासा किया कि कूड़े-कचरे हटाए जाएंगे, प्रमुख चौराहों और सड़कों को फूलों से सजाया जाएगा और पार्कों को संवारा जाएगा- जब दुनिया के सबसे शक्तिशाली व्यक्ति का दौरा हो रहा हो तो ऐसे काम का होना लाजिमी है। उत्तरी दिल्ली नगर निगम सफाई के लिए किसी विशेष आदेश की उम्मीद नहीं कर रहा है क्योंकि ओबामा शायद ही उसके क्षेत्र से गुजरेंगे।
लेकिन सुरक्षा बंदोबस्त सख्त है। शहर के विभिन्न जगहों पर दिल्ली पुलिस के दंगा निरोधक और तलाशी दस्तों को लगाया गया है। शहर में गश्त और जांच-पड़ताल को चाक-चौबंद किया जाएगा। दिल्ली पुलिस की मदद के लिए केंद्रीय अर्धसैनिक बलों को भी रखा गया है। दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता ने कहा, ‘किसी धमकी या विरोध-प्रदर्शन की आशंका नहीं है लेकिन यदि ऐसा कुछ हुआ तो हम उससे निपटने के लिए तैयार हैं।’ परेड देखने के लिए हर साल करीब 1,50,000 लोग काफी उत्साह के साथ आते हैं। इस साल उनकी संख्या बढ़कर करीब 1,75,000 हो सकती है। अधिक से अधिक वीआईपी और आम लोगों के लिए बैठने की व्यवस्था करने के लिए केंद्रीय लोक निर्माण विभाग अतिरिक्त जगह तैयार करने में जुटा है। गेट पर कहीं अधिक सख्त चेकिंग होगी। परेड का अभ्यास शुरू हो चुका है और इसमें नौ पैदल टुकडिय़ां, आठ घुड़सवार (रूसी टैंक और रूस के सहयोग से भारत द्वारा विकसित ब्रह्मोस मिसाइल सहित) और 18 बैंड शामिल होंगे। इसके अलावा विभिन्न राज्यों की झांकियां प्रदर्शित की जाएंगी।
ओबामा अपनी पत्नी मिशेल और बेटी साशा व मालिया के साथ संभवत: सरदार पटेल मार्ग पर आईटीसी मौर्या में ठहरेंगे। अधिकतर अमेरिकी राष्ट्रपति पहले भी यहां ठहर चुके हैं। इस होटल में राष्ट्रपति के ठहरने की व्यवस्था एक विशेष तल पर है जहां आने-जाने के लिए अलग से सुरक्षित लिफ्ट की व्यवस्था की गई है। इससे होटल के अन्य अतिथियों को तकलीफ दिए बिना सुरक्षा बल कुछ जगहों को घेर लेते हैं। आईटीसी होटल्स के एक पूर्व कर्मचारी ने 2000 में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के दौरे के दौरान होटल की चुनौतियों को याद किया। उन्होंने बताया कि उस दौरान अमेरिका के खुफिया विभाग ने पूरे होटल को अपने कब्जे में ले लिया था। उन्होंने कहा, ‘उनका रवैया काफी दोस्ताना था लेकिन आप जानते हैं कि सामने वाला व्यक्ति खुफिया विभाग से है।’ उनके दौरे के दौरान होटल एक किले में तब्दील हो गया था। कर्मचारियों के लिए यह कोई सहज स्थिति नहीं थी। लेकिन समस्याओं के बावजूद उसे काफी लोकप्रियता मिली: यहां तक कि अपने भारतीय रेस्तरां की मेन्यू में उसने बुखारा, क्लिंटन और चेल्सी थाली को शामिल कर लिया। आईटीसी मौर्या में सुरक्षा बंदोबस्त की तैयारी 15 जनवरी से शुरू होने की उम्मीद है।
हालांकि शहर के अन्य प्रतिस्पर्धी होटलों में भी राष्ट्रपति के ठहरने के लिए विशेष व्यवस्था की गई लेकिन वे इस कारोबार में आगे नहीं बढ़ पाए। क्योंकि सुरक्षाकर्मी पूरे होटल को ही अपने कब्जे में ले लेते हैं जिससे अन्य अतिथियों को काफी असुविधा होती है। ऐसे कारोबार में जहां मुंह से निकले वाला हरेक शब्द प्रचार के लिहाज से मायने रखता हो, कई होटलों ने इस अवसर को भुनाने के लिए कदम आगे बढ़ाया था। कुछ अन्य होटलों को कारोबार में तेजी आने की उम्मीद है क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ आधिकारिक और अनाधिकारिक प्रतिनिधिमंडल के तहत काफी लोगों के आने की उम्मीद है।
ओबामा के दौरे से लॉजिस्टिक्स कंपनियों को भी कारोबार बढऩे की उम्मीद है। दिल्ली की ऐम्परसैंड लॉजिस्टिक्स के मालिक रमेश वरदराजन अमेरिकी सरकार के मीडियाकर्मियों के लिए जरूरी उपकरणों को भारत लाने में मदद करेंगे। उन्होंने बताया, ‘आमतौर पर इस प्रकार के दौरे की घोषणा होने के बाद हमारे अमेरिकी साझेदार-एजेंट हमें उन वस्तुओं के आकार-प्रकार की जानकारी देते हैं जिन्हें भारत लाने की जरूरत होती है।’ ओबामा के आने से दो-तीन दिन पहले मीडियाकर्मी दो दलों आने की उम्मीद है। ऐम्परसैंड उनके सभी उपकरणों और सामानों को हवाई अड्डे से देशभर में उन जगहों तक ले जाएगी जहां-जहां अमेरिकी राष्ट्रपति जाएंगे।
अमेरिकी राष्ट्रपति के भारत दौरे की लागत कितनी होगी और ओबामा के साथ कितने लोग यहां आएंगे इस बारे में फिलहाल कोई कुछ भी नहीं बोल रहा है। ओबामा 2010 में जब भारत आए थे तो ह्वाइट हाउस ने उन खबरों का खंडन किया था कि उनके मुंबई (और इंडोनेशिया) दौरे की लागत 20 करोड़ डॉलर रोजना थी। समाचार एजेंसियों का कहना है कि अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ खुफिया विभाग के लोग, सरकारी अधिकारी और मीडियाकर्मी सहित न केवल 3,000 लोग आएंगे, बल्कि ओबामा की सुरक्षा में तीन जंगी जहाजों को भी लगाया जा सकता है। पेंटागन के प्रेस सचिव जिओफ मॉरेल कहीं अधिक सख्त लहजे में कहा, ‘इस बार मुझे उस धारणा को बिल्कुल बेतुका बताते हुए खारिज करने की आजादी होगी कि राष्टï्रपति के एशिया दौरे के लिए हम करीब 10 फीसदी नौसेना, करीब 34 जहाजों और एक विमानवाहक को लगा रहे हैं। इससे थोड़ा भी कम नहीं होने जा रहा है।’
कारोबारी जगत को भी ओबामा के साथ बैठक की जरूरत है। खासकर सरकार की मेक इन इंडिया अभियान और निर्यात केंद्रित विकास योजनाओं को ध्यान में रखते हुए इस दौरे का विशेष महत्त्व माना जा रहा है। उद्योग मंडल फिक्की के अनुसार, गणतंत्र दिवस परेड में भाग लेने के बाद अमेरिकी सरकार के अधिकारी भारतीय उद्योग के साथ बैठक करने की योजना बना रहे हैं। प्रमुख कारोबारी संगठन और भारत-अमेरिका व्यापार परिषद संभवत: एक साथ ओबामा से मुलाकात करेंगे।
अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ बैठक एक सम्मानजनक कार्यक्रम है। कई थिंक टैंक भी ओबामा से मुलाकात करना चाहते हैं। इनमें मौजूदा सरकार की चहेती संस्था द विवेकानंद इंटरनैशनल फाउंडेशन सबसे आगे है। खासकर सुरक्षा और कूटनीति पर विशेष ध्यान देने के कारण इस संस्था को ओबामा से मिलने का मौका दिया जा सकता है। हालांकि आधिकारिक तौर पर उसके प्रवक्ता ने ऐसी जानकारी होने से इनकार किया कि ह्वाइट हाउस को इस आशय का आग्रह पत्र भेजा गया है। अंबानी परिवार द्वारा स्थापित द ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन ओबामा के भारत दौरे के एजेंडे पर चर्चा के लिए एक टेलीविजन कार्यक्रम तैयार करने की संभावनाएं तलाश रही है। दौरे की तिथि नजदीक आते ही अमेरिका की प्रथम महिला और उनकी बेटियों से मुलाकात के लिए दिल्ली के स्कूलों और एनजीओ में निश्चित तौर पर होड़ मचेगी।
ओबामा 24 जनवरी की मध्यरात्रि के आसपास दिल्ली पहुंचेंगे। अगले दिन प्रधानमंत्री मोदी के साथ उनकी करीब डेढ़ घंटे बातचीत होगी। इस बातचीत में व्यापार से लेकर आतंकवाद समेत सभी द्विपक्षीय मसलों पर चर्चा की उम्मीद है। ये देखना होगा कि 2008 में जिस नागरिक परमाणु सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे वह आगे बढ़ता है या नहीं। फिलहाल यह जहां का तहां है। अगर ऐसा होता है तो इसका मतलब होगा कि अमेरिका ने भारत के विवादास्पद जवाबदेही नियमों को मान लिया है। इसके बाद जीई और वेस्टिंगहाउस जैसी दिग्गज ऊर्जा कंपनियां भारत के परमाणु बिजली क्षेत्र में निवेश करना शुरू कर सकती हैं। इस दौरान अक्षय ऊर्जा और बौद्घिक संपदा अधिकार जैसे मसलों पर भी चर्चा हो सकती है।
पिछले महीने अमेरिका से यात्रा पूर्व टीम भारत आई थी। दूसरी टीम विदेश मंत्री जॉन केरी के साथ आ रही है। यह टीम ही चर्चा के बिंदुओं को अंतिम रूप देगी। वाइब्रेंट गुजरात में शामिल होने आ रहे केरी 12 जनवरी को मोदी से मिलेंगे और इस बात पर चर्चा करेंगे कि ओबामा की यात्रा अमेरिका क्या चाहता है और भारत की जरूरत क्या है। जाहिर तौर पर मोदी ओबामा से पाकिस्तान (पेशावर स्कूल पर आतंकी हमला और आतंकवादियों को पाक सरकार का संरक्षण) और भारत में पैठ बनाते खतरनाक आतंकवादी संगठन आईएसआईएस पर भी चर्चा करेंगे। 26 जनवरी को परेड के बाद ओबामा आगरा जाएंगे। प्रेम के प्रतीक ताजमहल के सामने एक पारिवारिक तस्वीर निश्चित रूप से ली जाएगी। मुक्ति के द्वार वाराणसी वह कब जाएंगे या जाएंगे भी या नहीं, यह अभी तय नहीं है। उम्मीद है कि वह उसी रात रवाना हो जाएंगे।
यह यात्रा कई संकेत देगी। सामरिक मकसद आर्थिक और राजनयिक संबंधों में आए ठहराव को गति देना है। लेकिन असल समस्या अगले दिनों में तब शुरू होगी जब ओबामा के साथ लंच और डिनर में आंमत्रित किए जाने वाले मेहमानों की सूची बनना शुरू होगी। यह तय है कि राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ओबामा के सम्मान में रात्रिभोज देंगे। पिछली बार जब राष्ट्रपति क्लिंटन भारत आए थे तो राजग सत्ता में था। उस समय रात्रिभोज का निमंत्रण पाने के लिए मारामारी जैसी स्थिति थी। उस समय प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव रहे ब्रजेश मिश्रा ने खुलासा किया था कि दिल्ली की आला हस्तियां रात्रिभोज में शामिल होना चाहती थीं। इनमें वामपंथी दलों के सदस्य भी थे। इस बार भी लगता नहीं कि हालत कुछ अलग होंगे। साल के सबसे बड़े सामाजिक समारोह पर सबकी नजर होगी।
भारत दौरे के लिए यूं बनी बात
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की मुलाकात सितंबर, 2014 के आखिर में हुई। ओबामा ने एक अजीब बात कही। उन्होंने मोदी से कहा, ‘मेरी बेटियों साशा और मालिया की शिकायत है कि मैं उन्हें दुनिया भर में सब जगह लेकर गया हूं लेकिन भारत नहीं।’ असल में 2010 में ओबामा जब भारत आए तो उनके साथ अमेरिका की प्रथम महिला मिशेल आई थीं। स्कूल संबंधी कारणों से बेटियां नहीं आ सकी थीं। ओबामा की इस बात पर मोदी ने तुरंत कहा, ‘तो फिर आपको भारत आना चाहिए और उनको भी लाना चाहिए।’
द्विपक्षीय बातचीत के बाद मोदी ने कहा, ‘मैं राष्ट्रपति ओबामा और उनके परिवार का उपयुक्त समय पर भारत में स्वागत की राह देखूंगा।’ जाहिर है निमंत्रण दे दिया गया था। इसके बाद सरकारी मशीनरी हरकत में आ गई। ओबामा प्रशासन मोदी के अधिकारियों के संपर्क में रहने लगा। प्रस्तावित यात्रा के लिए गणतंत्र दिवस को चुना गया। कुछ ही सप्ताह के भीतर दोनों नेता म्यांमार की आधिकारिक राजधानी ने प्यी टॉ में मिले। मौका था नवंबर में आसियान शिखर सम्मेलन का। एक आधिकारिक निमंत्रण जारी किया जा चुका था लेकिन समय को लेकर बात नहीं बन रही थी। 28 जनवरी वह दिन होता है जब अमेरिकी राष्ट्रपति संघ राज्य को संबोधित करते हैं। क्या तारीखों का टकराव नहीं होता?
ऐसे में आए हाउस के स्पीकर जॉन बोहनर जिन्होंने ओबामा को 20 जनवरी को संबोधित करने के लिए आमंत्रित कर लिया। इस तरह तारीख का मामला सुलझ गया। लेकिन म्यांमार की राजधानी ने प्यी टॉ में मोदी को ओबामा उतने गर्मजोश नहीं नजर आए। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से कहा, ‘मेरे पास दो ही साल बचे हैं और करने के लिए बहुत कुछ है।’ इस पर मोदी ने गर्मजोशी से जवाब देते हुए उतने ही सहज तरीके से ओबामा की पीठ पर हाथ रखते हुए कहा, ‘दो साल लंबा वक्त होता है। मुझे देखिए, अभी काम संभाले महज छह महीने हुए हैं और मैंने काफी कुछ कर लिया है।’ दोनों नेताओं ने तय किया कि वे ट्वीट के जरिये घोषणा करके समय बताएंगे। मोदी ने ट्वीट किया था, ‘इस गणतंत्र दिवस पर हम अपने एक दोस्त के साथ होने की उम्मीद करते हैं…इस मौके पर राष्ट्रपति ओबामा को आमंत्रित किया गया है..जो इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होने वाले पहले अमेरिकी राष्ट्रपति होंगे।’