- May 12, 2021
अब क्या ब्रिटेन भी टूटेगा ? डॉ. वेदप्रताप वैदिक
ग्रेट ब्रिटेन ने 1947 में भारत के दो टुकड़े कर दिए। अब उसके भी कम से कम दो टुकड़े होने की नौबत आ गई है। यों तो ब्रिटेन ग्रेट बना है, चार राष्ट्रों को मिलाकर। ब्रिटेन, स्काॅटलैंड, वेल्श और उत्तरी आयरलैंड ! इन चारों राज्यों का कभी अलग-अलग अस्तित्व था। इनकी अपनी सरकारें थीं, अपनी-अपनी भाषा और संस्कृति थी। लेकिन ग्रेट ब्रिटेन बन जाने के बाद इन राष्ट्रों की हैसियत ब्रिटेन के प्रांतों के समान हो गई।
इंग्लैंड की भाषा, संस्कृति, परंपरा का वर्चस्व इन राष्ट्रों पर छा गया लेकिन स्काॅटलैंड के लोग हमेशा अपनी पहचान पर गर्व करते रहे और वे अपनी स्वायत्तता के लिए संघर्ष भी करते रहे। यूरोपीय संघ बनने के बाद या यों कहिए कि द्वितीय महायुद्ध के बाद के वर्षों में स्काॅटलैंड के लोगों ने महसूस किया कि व्यापार और राजनीति के हिसाब से वे लोग अंग्रेजों के मुकाबले नुकसान में रहते हैं। वे स्काॅटलैंड को इंग्लैंड से अलग करना चाहते हैं।
अलगाव की इस मांग को जोरों से गुंजानेवाली पार्टी ‘स्काॅटिश नेशनलिस्ट पार्टी’ इस बार फिर चुनाव जीत गई है। 2007 से अब तक वह लगातार चौथी बार जीती है, हालांकि 129 सदस्यों की उसकी संसद में उसे 64 सीटें ही मिली हैं लेकिन सरकार उसी की बनेगी, क्योंकि अन्य पार्टियों को बहुत कम-कम सीटें मिली हैं। इसी स्काॅट राष्ट्रवादी पार्टी की पहल पर 2014 में स्काॅटलैंड में जनमत-संग्रह हुआ था कि स्काॅटलैंड को ग्रेट ब्रिटेन से अलग किया जाए या नहीं ? उस जनमत संग्रह में लगभग 55 प्रतिशत लोगों ने अलगाव का विरोध किया था और 45 प्रतिशत ने आजाद स्काॅटलैंड का समर्थन किया था। लेकिन इस बीच स्काॅटिश नेशनलिस्ट पार्टी की नेता और स्काॅटलैंड की मुख्यमंत्री निकोला स्टरजियोन ने आजादी के आंदोलन को अधिक प्रबल बनाया है। उनके हाथ मजबूत करने में यूरोपीय संघ से 2016 में ब्रिटेन के बाहर निकलने का विशेष महत्व रहा है।
स्काॅटलैंड यूरोपीय संघ में बने रहना चाहता था, क्योंकि उसके बहिष्कार से उसका अंतरराष्ट्रीय व्यापार सबसे ज्यादा प्रभावित होना था। स्काॅटलैंड के वे लोग जो 2014 में आजादी के पक्ष में नहीं थे, वे भी आजादी का समर्थन करने लगे हैं। इसीलिए चुनाव परिणाम आते ही निकोला ने जनमत-संग्रह दुबारा कराने की मांग बुलंद कर दी है।
प्रधानमंत्री बोरिस जाॅन्सन ने इस मांग को रद्द कर दिया है। 2016 के ब्रेक्जिट जनमत-संग्रह में ब्रिटेन के 52 प्रतिशत लोगों ने यूरोपीय संघ से बाहर आने का समर्थन किया था जबकि स्काॅटलैंड के 66 प्रतिशत लोगों ने उसमें बने रहने की इच्छा प्रकट की थी। दूसरे शब्दों में यदि अब दुबारा जनमत-संग्रह हो गया तो ब्रिटेन का टूटना सुनिश्चित है।
जाहिर है कि अब ब्रिटेन और स्काॅटलैंड की सरकारों के बीच तलवारें खिंचेंगी। कोई आश्चर्य नहीं कि ग्रेट ब्रिटेन भी विभाजन के उसी दौर से गुजरे, जिससे 1947 में भारत गुजरा था।