• August 19, 2017

अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश जी०एस० नेताम , न्यायिक व्यवस्था पर सवालिया निशान

अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश जी०एस० नेताम , न्यायिक व्यवस्था पर सवालिया निशान

श्री मान,
रजिस्टार जनरल महोदय
उच्च न्यायालय जबलपुर,
जिला जबलपुर मध्य प्रदेश

प्रतिलिपि

** श्री मान,
मुख्य न्यायाधीश महोदय
सर्वोच्च न्यायलय भारत,
तिलक मार्ग नई दिल्ली

** श्री मान,
रजिस्टार जनरल महोदय
सर्वोच्च न्यायालय भारत,
तिलक मार्ग नई दिल्ली

** श्री मान,
मुख्य न्यायाधीश महोदय
उच्च न्यायलय जबलपुर
जिला जबलपुर मध्य प्रदेश

विषय :- अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश जी०एस० नेताम , न्यायिक व्यवस्था पर सवालिया निशान ?

माननीय महोदय,

माननीय अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश जी०एस० नेताम महोदय द्वारा प्रत्यर्थी अज़ीम प्रेमजी (जो कि देश के 3 सबसे बड़े उद्योगपति हैं) से पैसें (करोड़ों में) लेकर माननीय उच्च न्यायलय द्वारा आदेशित जनहित मामला क्र० WP-8239/2015, माननीय न्यायिक मजिस्ट्रेड आर०पी० सिंह प्रथम श्रेणी देवसर द्वारा पंजीकृत मामला क्र० 621/16 और स्वयं माननीय अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश जी०एस० नेताम महोदय द्वारा पुनर्बिचार मामला क्र० 500088/16 को दवाये जाने और मुझ फरियादी को मामला वापस लेने की धमकी दिए जाने बावत।

मान्यवर,

सविनय नम्र निवेदन हैं कि उक्त निगरानी प्रकरण माननीय जिला एवं सत्र न्यायाधीश वैढन, जिला सिंगरौली मध्य प्रदेश के न्यायालय में बिचाराधिन है, मुझ परिवादी द्वारा प्रकरण निगरानी में दायर किया गया हैं, जिसमे मुझ फरियादी द्वारा माननीय उच्च न्यायलय में एक जनहित याचिका दायर किया गया था, जिसमे माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर द्वारा जनहित मामला क्र० WP-8239/2015 में सुनवाई करते हुए दिनांक 03/08/2015 को आदेशित किया गया था, कि मुझ फरियादी द्वारा अधिनस्थ न्यायलय में एक अपराधिक मामला दर्ज कराई जाये, जिससे मुझ फरियादी द्वारा माननीय उच्च न्यायलय द्वारा जारी आदेश का पालन करते हुए, माननीय अधिनस्थ न्यायलय में एक आपराधिक मामला दर्ज कराई थी, जिस पर माननीय अधिनस्थ न्यायालय द्वारा आपराधिक मामला क्र० 621/16 में 2 आरोपी, सुरेश महतो और अलोक कुमार शांडिल्य धारा 120-बी०, 420, 465, 34- आई०पी०सी० के तहत दिनांक 05/05/2016 को मुक़दमा पंजीकृत कर लिया गया है, और शेष प्रत्यर्थी गण अज़ीम प्रेमजी मुख्य प्रबंधक विप्रो कम्पनी, मृदुल घोष, सौरभ आचार्या के विरुद्ध मुक़दमा पंजीबद्ध नहीं किया गया है, जिस पर मुझ फरियादी द्वारा माननीय अपर जिला एवं सत्र न्यायालय देवसर में एक निगरानी याचिका प्रस्तुत कि गई, यहाँ से प्रत्यर्थी गण के विरुद्ध दिनांक 08/08/16 को माननीय अपर जिला एवं सत्र न्यायालय देवसर द्वारा न्यायालय में पेश होने के लिए प्रत्यर्थीओं को नोटिस जारी किया गया है, और प्रत्यर्थी गण द्वारा माननीय न्यायालय में हाजिर नहीं हुए है, प्रत्यर्थी गण के विरुद्ध माननीय न्यायालय द्वारा अभी आज दिनांक 08/08/16, 15/09/16, 05/10/16, 24/10/16, 15/11/16, 15/12/16, 02/01/17, 03/03/17, 31/03/17, 31/03/16, 13/04/17, तक कोई भी सुनवाई नहीं किया गया है, और माननीय न्यायाधिश द्वारा बार-बार कहा जाता रहा कि माननीय न्यायालय द्वारा पुराने मामले को ही सुनवाई के लिए लिया जाता हैं, किन्तु मामला कब पुराना होता है, ये नहीं बताया गया, मामले की अगली सुनवाई 24/06/17 को है, और न तो न्यायालय में उक्त निगरानी पंजीकृत किया गया है, न तो प्रत्यर्थीगण उपस्थित हुए है, किन्तु न्यायाधिश जी०एस० नेताम महोदय द्वारा उक्त प्रकरण में प्रत्यर्थी अज़ीम प्रेम जी के अधिवक्ता दिलीप द्विवेदी को मात्र अधिवक्ता मेमोरेंडम पेश कर अधिवक्ता द्वारा (दिनांक 28/04/17 लगभग) नक़ल मांग ली गयी, जिस पर न्यायाधीश जी०एस० नेताम द्वारा नक़ल दी जा रही है, जिस पर मुझ निगरानीकर्ता को विधिक सेवा से प्राप्त अधिवक्ता ब्रिजेश चतुर्वेदी द्वारा दिनांक 02/05/17 को माननीय अपर न्यायायल में आपति दर्ज किया गया, किन्तु प्रत्यर्थी अज़ीम प्रेम जी के अधिवक्ता दिलीप द्विवेदी, माननीय अपर जिला न्यायायल में तर्क के लिए भी उपस्थित नहीं हुए,

माननीय न्यायाधिश जी०एस० नेताम महोदय द्वारा मुझ निगरानीकर्ता को धमकी देते हुए कहा गया कि मुझ निगरानीकर्ता द्वारा प्रत्यर्थी अज़ीम प्रेम जी के खिलाफ झूठा मुक़दमा दर्ज किया गया है और यही कारण है कि प्रत्यर्थी अज़ीम प्रेम जी द्वारा धारा 193 के तहत मुझ निगरानीकर्ता के खिलाफ माननीय उच्च न्यायालय में मुक़दमा दर्ज किया जायेगा,

अब मुझ निगरानीकर्ता को संशय है कि न्यायाधीश प्रत्यर्थी अज़ीम प्रेम जी जो कि देश के 3 सबसे बड़े उद्योगपति है, के हाथो बिक गए है, और न्यायाधिश जी०एस० नेताम महोदय द्वारा प्रत्यर्थी अज़ीम प्रेम जी से करोड़ों में पैसे ले कर मामला को दवाने व मुझ फरियादी को मामला वापस लेने के लिए धमकियां देने की कोशिश किया गया हैं.

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक प्रत्यर्थी अज़ीम प्रेम जी से करोड़ों में पैसे लेकर न्यायाधिश जी०एस० नेताम महोदय,पत्नी को नौकरी छुड़वा कर उनके नाम पर सिंगरौली जिला में ही पेट्रोल पम्प भी खुलवा रहे हैं, इससे स्पस्ट है कि न्यायाधिश जी०एस० नेताम महोदय एक भ्रष्ट और बिके हुए न्यायाधिश है, इनकी सम्पति जाँच कर उचित कार्यवाही किया जाना न्यायहित में होगा.

मुझ फरियादी द्वारा उक्त मामले की सुनवाई के लिए एक शिकायती परिवाद माननीय जिला न्यायलय वैढन जिला सिंगरौली मध्य प्रदेश में दायर किया गया है, जिसकी छाया प्रति की काँपी उक्त शिकायती पत्र के साथ संलग्न हैं |

अस्तु,

शिकायती पत्र पेश कर श्री मान से विनम्र अनुरोध है कि उक्त मामला द्वारा माननीय उच्च न्यायलय में दर्ज मामला क्र० WP-8239/2015, माननीय अधिनस्थ न्यायलय में दर्ज मामला क्र० 621/16 और माननीय अपर जिला न्यायलय में दर्ज पुनर्बिचार मामला क्र० 500088/16 को दवाने व मुझ फरियादी को धमकी दिए जाने, माननीय न्यायाधिश जी०एस० नेताम महोदय के खिलाफ कार्यवाही करते हुए, माननीय न्यायाधिश जी०एस० नेताम महोदय व उनके परिवार की सम्पति की उच्चस्तरी जाँच कर उचित कार्यवाही की जानी चाहिये.

माननीय न्यायाधिश जी०एस० नेताम महोदय जैसे भ्रष्ट न्यायाधीश को सर्वसम्मानीय न्यायाधिश की कुर्सी पर बने रहना न्यायिक व्यवस्था पर सवालिया निशान है ?

दिनांक :- 18/05/2017

संलग्न :-1 माननीय उच्च न्यायलय द्वारा जनहित मामला क्र0 WP-8239/2015 में आदेश की छाया प्रति (3 पन्ने)

2 माननीय मजिस्ट्रेड महोदय द्वारा अपराधिक मामला क्र० 612/16 में आदेश व नोटिस की छाया प्रति (5 पन्ने)

3 माननीय अपर जिला एवं सत्र न्यायलय द्वारा पुनर्बिचार क्र० 500088/16 में जारी किया गया नोटिस की छाया प्रति (3 पन्ने)

4 माननीय जिला न्यायलय एवं सत्र न्यायलय में मुझ फरियादी द्वारा पेश किया गया पुनर्बिचार याचिका की छाया प्रति (3 पन्ने)

प्रतिवादी–
नीरज गुप्ता, पिता मुन्नी लाल गुप्ता
नि०/ग्रा० बरगवां थाना बरगवां
जिला सिंगरौली मध्य प्रदेश
मो० नं० 7771822877

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