- November 21, 2015
अपराध एवं अपराधी ट्रैकिंग नेटवर्क और सिस्टम परियोजना का विस्तार
यह परियोजना अब पूरी तरह से भारत सरकार के स्मार्ट पुलिसिंग और डिजिटल भारत की दृष्टि के अनुरूप हो गया है। इस सेवा के लागू होने से पुलिस-नागरिक इंटरफेस एक बड़े बदलाव से गुजरेगा। इस परियोजना के कार्यान्वयन के साथ ही कई सेवाएं नागरिक पोर्टल के माध्यम से मिलने लगेंगी।
सरकार ने आईसीजेएस के कार्यान्वयन सहित मार्च 2017 तक सीसीटीएनएस परियोजना को तेजी से पूरा करने और कार्यान्यवयन करने का फैसला किया है। पुनर्निमित परियोजना के प्रमुख अवयव के हिस्से के रूप में शामिल नए घटकों में एकीकृत आपराधिक न्याय प्रणाली, नागरिक पोर्टल जिसमें विभिन्न ई-गवर्नेंस परियोजनाओं जैसे आधार कार्ड, राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर, भूतल परिवहन मंत्रालय का वाहन परियोजना, राष्ट्रीय इमरजेंसी रिस्पांस सिस्टम आदि होंगे।
बदलते वक्त के साथ गति बनाए रखने के लिए मंत्रिमंडलीय समिति ने सिद्धांत रूप में सीसीटीएनएस परियोजना के अगले चरण की डिजाईन को भी मंजूरी देने का निर्णय लिया ताकि उन अतिरिक्त कार्यप्रणालियों को भी, जो अब तक लागू नहीं की गई हैं, को शामिल किया जा सके ताकि देश में पुलिस की कार्यप्रणाली को पूरी तरह से कंप्यूटरीकृत किया जा सके। परियोजना के लिए कुल परिव्यय 2000 करोड़ रुपये है और साथ ही इसमें मार्च 2022 तक के अतिरिक्त पांच साल के लिए प्रचालन एवं अनुरक्षण चरण शामिल है।
अपराध एवं अपराधी ट्रैकिंग नेटवर्क सिस्टम परियोजना से पूरे देश में करीब 15000 पुलिस थाने, 5000 अन्य पर्यवेक्षी पुलिस अधिकारियों के कार्यालय और प्रथम सूचना रिपोर्ट, जांच तथा चार्जशीट का डिजिटल डाटा एक दूसरे से जुड़ जाएंगे। यह अपराध और अपराधियों के एक राष्ट्रीय डाटाबेस के विकास की तरफ एक कदम होगा।
पिछले एक साल में महत्वपूर्ण परिणाम हासिल किया गया है जो इस तथ्य से स्पष्ट है कि देश में 11600 से अधिक पुलिस थानों में सीसीटीएनएस सॉफ्टवेयर के माध्यम से 100 प्रतिशत एफआइआर लिखी जा रही है और पिछले अकेले एक वर्ष में सीसीटीएनएस के माध्यम से 26 लाख प्राथमिकियों को पंजीकृत किया गया है।
सभी नए घटकों के साथ इस परियोजना का पूरा कार्यान्वयन एक केंद्रीय नागरिक पोर्टल के रूप में सामने आएगा जो कि राज्य स्तरीय नागरिक पोर्टल्स के साथ जुड़ा रहेगा और कई एक नागरिक अनुकूल सेवाएं प्रदान करेगा। इन सेवाओं में विभिन्न उद्देश्यों के लिए पुलिस जांच जिसमें पासपोर्ट जांच, साईबर अपराध सहित किसी अपराध को दर्ज करना, किसी मामले की ऑनलाईन प्रगति देखना, पुलिस अधिकारियों के खिलाफ शिकायतों का ऑनलाइन रिपोर्टिंग, पीड़ित मुआवजा कोष तक पहुंच बनाने औऱ कानूनी सेवाएँ लेना शामिल है।
यह परियोजना राष्ट्रीय स्तर पर अपराध के विश्लेषण के प्रकाशित होने की दर बढ़ा देगी जिससे नीति निर्माताओं के साथ ही सांसदों को उचित और समय पर कार्रवाई करने में मदद मिलेगी। इससे पूरे देश में किसी वांछित या अपराधी के नाम को क्षेत्रीय भाषाओं में भी खोजने में मदद मिलेगी जिससे अंतर्राज्जीय स्तर पर अपराधियों के खोजबीन और ट्रैकिंग में मदद मिलेगी।