अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 के तहत राज्यस्तरीय सतर्कता एवं अनुश्रवण समिति की बैठक

अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 के तहत राज्यस्तरीय सतर्कता एवं अनुश्रवण समिति की बैठक

पटना—–:- मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में मुख्यमंत्री सचिवालय स्थित संवाद कक्ष में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 के तहत राज्य स्तरीय सतर्कता एवं अनुश्रवण समिति की बैठक हुई।

इस बैठक में पुलिस महानिदेशक के स्तर पर दोष सिद्धि दर, पीड़ित व्यक्तियों को दी जाने वाली राहत, यात्रा भत्ता, पुनर्वास सुविधाओं एवं उनसे जुड़े हुये अन्य चीजों की समीक्षा की गई। अन्य विभागों के द्वारा इस अधिनियम के तहत किए जा रहे कार्यों की भी समीक्षा हुई। जिलास्तर पर गठित निगरानी एवं अनुश्रवण समिति के कार्यकलापों की भी जानकारी दी गई।

समीक्षा के क्रम में मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि त्वरित विचारण एवं दोष सिद्धि दर बढ़ाने हेतु स्पीडी ट्रायल के लिए प्रधान सचिव, गृह विभाग के स्तर पर बैठक आयोजित की जाए, जिसमें पुलिस महानिदेशक/पुलिस महानिरीक्षक (कमजोर वर्ग), अपराध अनुसंधान विभाग तथा निदेशक अभियोजन के साथ लंबित मामलों की समीक्षा की जाए। उन्होंने कहा कि विशेष लोक अभियोजक के कार्यों की दो माह में समीक्षा करें एवं जो भी अपने कार्यों को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं, उनके ऊपर कार्रवाई की जाए और जरुरत पड़े तो उन्हें हटाया जाए।

विशेष लोक अभियोजकों के चयन में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति वर्ग के अधिवक्ताओं को प्राथमिकता दी जाए। लंबित मामलों में कमी लाने के लिए दर्ज कांडों का थानावार नियमित अनुश्रवण एवं समीक्षा पुलिस महानिदेशक स्तर पर की जाए।
मुख्यमंत्री ने समीक्षा के क्रम में कहा कि कार्य योजना बनाकर समयबद्ध रुप से विशेष थानों के भवन का निर्माण कराया जाए। थानों में वाहन एवं पर्याप्त पुलिस बल की उपलब्धता भी सुनिश्चित की जाए।

उन्होंने कहा कि प्रावधानों के निष्पादन से जुड़े मामलों के रीयल टाइम मॉनिटरिंग के लिए एम0आई0एस0 विकसित किया जाए। सभी जिला पदाधिकारियों की अध्यक्षता में गठित जिलास्तरीय सतर्कता एवं अनुश्रवण की नियमित बैठक होती रहनी चाहिए। बैठकों के उद्देश्यपूर्ण आयोजन और उनकी अनुशंसाओं के क्रियान्वयन से संबंधित मूल्यांकन को जिला पदाधिकारियों के वार्षिक कार्य निष्पादन मूल्यांकन प्रतिवेदन का आधार बनाने का प्रावधान किया गया है, जिसका कड़ाई से पालन सुनिश्चित किया जाए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि अधिनियम/नियम के प्रावधानों में हुए संशोधन को देखते हुए बेहतर कार्यान्वयन के लिए संबंधित पदाधिकारियों को प्रशिक्षण एवं उन्मुखी कार्यक्रमों की जानकारी दी जाए। विधि व्यवस्था से संबंधित बैठक में भी अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत होने वाले अत्याचारों की प्रत्येक बिंदु पर समीक्षा की जाए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राजस्व एवं भूमि सुधार के द्वारा अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के वास रहित परिवारों को अभियान स्वरुप वास भूमि दी जाए। उन्होंने कहा कि यह भी सुनिश्चित करें कि सभी पर्चाधारियों का कब्जा शीघ्र हो। लंबित कांडों के त्वरित निष्पादन हेतु 9 अनन्य विशेष न्यायालय के गठन हेतु विधि विभाग के स्तर पर शीघ्र कार्रवाई करने का भी निर्देश दिया गया।

बैठक में जनप्रतिनिधियों ने अधिनियम और नियम के विभिन्न प्रावधानों के संबंध में अपनी बात रखी तथा अत्याचार से पीड़ित व्यक्तियों को यथाशीघ्र राहत देने हेतु संबंधित पदाधिकारियों के स्तर से अपेक्षित कार्रवाई करने का अनुरोध किया।

इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री श्री सुशील कुमार मोदी, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति कल्याण मंत्री श्री रमेश ऋषिदेव, परिवहन मंत्री श्री संतोष कुमार निराला, विशेष सचिव मुख्यमंत्री सचिवालय श्री अनुपम कुमार, विशेष कार्य पदाधिकारी श्री गोपाल सिंह सहित अन्य संबंधित विभागों के सचिव एवं वरीय अधिकारीगण उपस्थित थे।

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