अंतर्राष्ट्रीय वन मेला आयुर्वेदिक धरोहर- मुख्यमंत्री श्री चौहान

अंतर्राष्ट्रीय वन मेला आयुर्वेदिक धरोहर- मुख्यमंत्री श्री  चौहान

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि अंतर्राष्ट्रीय वन मेला आयुर्वेदिक धरोहर को अगली पीढ़ी को सौंपने का सफल आयोजन है। उन्होंने कहा कि मेले ने ऋषियों, मनीषियों की साधना से समृद्ध हजारों वर्ष की भारतीय आयुर्वेद ज्ञान परम्परा को नई पीढ़ी को हस्तांतरित करने का कार्य किया है। श्री चौहान आज इंटरनेशनल हर्बल फेयर 2015 समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे। मानव कल्याण के लिए गैरकाष्ठ वनोपज विषय पर पाँच दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय वन मेले का आयोजन लाल परेड ग्राउण्ड में किया गया था।CM-Int-Harbal-Fair

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि आयुर्वेदिक के क्षेत्र में शोध की पहल आयुष और वन विभाग मिल कर करें। वन मानव के लिए लाभकारी औषधियों का खजाना है। शोध प्रयासों के अभाव से उनका मानव कल्याण के क्षेत्र में प्रभावी उपयोग नहीं हो पा रहा है। इस दिशा में मध्यप्रदेश से पहल की जानी चाहिए। उन्होंने बताया कि आयुर्वेद पद्धति से रोगों के उपचार के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर आयुर्वेद चिकित्सकों को भी तैनात किया जा रहा है।

श्री चौहान ने कहा कि वन मानव के लिए वरदान है। वन और प्राणी एक-दूसरे के पूरक हैं। वनों से प्राण वायु, औषधियां और रोजगार मिलता है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में तेन्दूपत्ता संकलन कार्य से 32 लाख लोगों को मौसमी रोजगार मिलता है। चिंरौजी, महुआ की गुल्ली, करेंज का बीज आदि बड़ी संख्या में रोजगार दे रहे हैं। रोजगार सृजन के क्षेत्र में वन विभाग द्वारा सराहनीय पहल की गई है। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश जैसे समृद्ध जैव विविधता वाले राष्ट्रीय उद्यान दुनिया में कहीं भी नहीं हैं। राष्ट्रीय वन्य प्राणी उद्यानों के बफर जोन में अब वर्षा ऋतु में भी पर्यटन की सुविधा उपलब्ध करवाई जाएगी। उन्होंने वनों के उन्नयन में पंद्रह हजार वनोपज समितियों के कार्यों की सराहना करते हुए उनका सम्मेलन करने को भी कहा।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि दुनिया में ग्लोबल वार्मिंग और कूलिंग जैसी समस्याओं का कारण प्रकृति का अंधाधुंध शोषण है। उन्होंने कहा कि दुनिया इस समस्या के समाधान के लिए आज चिंतन कर रही है जबकि भारतीय संस्कृति ने उसका हजारों साल पहले हल बता दिया था, कि प्रकृति का दोहन किया जाना चाहिए, शोषण नहीं। अर्थात जितना प्रकृति से लिया जाए उसकी उतनी प्रतिपूर्ति भी की जानी चाहिए।

मुख्यमंत्री ने आयोजन व्यवस्था की सराहना करते हुए कहा कि आगामी वर्षों में इसके स्वरूप को और अधिक बेहतर और उपयोगी बनाया जाएगा। श्री चौहान ने मेले में 100 से अधिक स्टॉलों का अवलोकन किया। व्यवस्थाओं की समीक्षा की। उत्कृष्ट निजी और शासकीय स्टॉलों के संचालन और सहयोग श्रेणियों में पुरस्कार वितरित किए। स्मारिका का विमोचन किया।

वन मंत्री डॉ. गौरीशंकर शेजवार ने कहा कि आयुर्वेद की दवाएँ रोग का जड़ मूल से निदान करती है। इसका शरीर में शीघ्र प्रभाव हो, इस दिशा में अनुसंधान की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद, एलोपैथी एक-दूसरे की पूरक उपचार विधियाँ है। दीर्घकालिक और जटिल रोगों के उपचार में आयुर्वेद की महत्ता है। तात्कालिक उपचार में एलोपैथी का प्रभाव बेहतर है।

इस अवसर पर वनोपज संघ के अध्यक्ष श्री महेश कोरी ने संघ की गतिविधियों का ब्यौरा प्रस्तुत किया। प्रमुख सचिव वन श्री दीपक खांडेकर ने आयोजन व्यवस्थाओं को शासकीय विभागों के लिए अनुकरणीय बताया। स्वागत उदबोधन लघु वनोपज मंडल के प्रबंध संचालक श्री अनिमेष शुक्ला ने दिया। उन्होंने बताया कि मेले के दौरान करीब तीन से पाँच करोड़ रूपए मूल्य के वन उत्पाद का व्यापार हुआ है। अपर प्रबंध संचालक श्री ओ.पी. खरे ने आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन श्री सुभाष सक्सेना ने किया।

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