अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस :: बेकरी मज़दूर , बेकरी की मालिक

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस ::  बेकरी मज़दूर , बेकरी की मालिक
 

अफसाना शायद एक मजदूर की जिंदगी ही जीती अगर तेजस्विनी कार्यक्रम और महिलाओं के स्व-सहायता समूह से उसे मदद नहीं मिलती। आज वह एक फेक्ट्री की मालिक है। उसने 7 और महिला को अपनी बेकरी में रोजगार दिया है। पहले मजदूरी से 3000 रुपये कमाने वाली अफसाना अब हर माह 30 हजार रुपये कमाती है।

अफसाना छतरपुर जिले के ग्राम नारायणपुरा (नटपुरवा) की रहने वाली है। वह प्रतिदिन 12 किलोमीटर की दूरी तय कर छतरपुर की बेकरी में मजदूरी करती थी। फेक्ट्री मालिक के शोषण और परिवार वालों की प्रताड़ना से अफसाना ने मन बना लिया था कि अब वह और नहीं जियेगी। इस फैसले के साथ वह अपनी सहेलियों के साथ ख्वाजा गरीब नवाज महिला समूह में बैठी थी। समूह की महिलाओं ने अफसाना के चेहरे पर खिंची परेशानी की लकीर को देखा और इसका सबब पूछा।

अफसाना ने अपनी पूरी कहानी सुनाई। समूह की महिलाओं ने तत्काल समाधान निकाला और उसे खुद की बेकरी खोलने की सलाह दी। अफसाना को लगा कि यह उसे समझाने की कोशिश है, क्योंकि उसे लगा कि बेकरी खोलने के लिये जो पैसे लगेंगे, वह कौन देगा। समूह ने अफसाना से कहा कि वह आगे बढ़े, समूह उसकी मदद करेगा।

तत्काल उसे 30 हजार रुपये का भुगतान समूह ने किया, जिससे अफसाना ने भट्टी बनवाई। भट्टी कुछ ही दिन बाद ध्वस्त हो गई। निराश अफसाना को समूह ने निरंतर हिम्मत दी। समूह ने फिर उसे 30 हजार रुपये की मदद दी, जिससे उसने फिर भट्टी बनवाई। इसके बाद महिला-बाल विकास विभाग की जिला इकाई ने तेजस्विनी कार्यक्रम में अफसाना को माइक्रो फायनेंस संस्था संघमित्रा से 2 लाख रुपये का कर्ज दिलवाया।

अफसाना का विश्वास लौटा। उसने पूरी हिम्मत के साथ काम शुरू कर दिया। अफसाना आज अपनी ही बेकरी की मालिक है। उसने समूह की 7 महिला को भी रोजगार दिया है। वह रोज पाव और टोस्ट बनाती है। प्रतिदिन 6000 रुपये की बिक्री होती है और सारे खर्च काटने के बाद उसे शुद्ध 1000 रुपये रोजाना का मुनाफा होता है। परिवार भी खुश है और अफसाना भी।

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