- January 14, 2015
हिसार : एफआईआर दर्ज करना विशेषाधिकार -सिटी थाना प्रभारी
हिसार(महेश मेहता)। शहर के सिटी थाना प्रभारी मनदीप सिंह आज भी बेलगाम हैं। सर्वोच्च न्यायालय का आदेश हो, सिटीजन चार्टर या 154 सीआरपीसी का हवाला हो, फिर भी अधिकारियों का आज भी प्राथमिकी दर्ज करने के मामले में उनका विशेषाधिकार थाने में चल रहा है। यही कारण है कि न्यायालय में दायर परिवादों पर न्यायालय के आदेशों के बाद भी अधिकांश मामलों में प्राथमिकी दर्ज नहीं हो पाती।
ऐसी बात नहीं है कि इस प्रकार के जिले में एक दो मामले नहीं अपितु हजारों की संख्या में मामले लंबित हैं। लेकिन खाकी के डर से मामले सामने ही नहीं आ पाते व केवल प्राप्ति रसीद तक ही सिमट जाते हैं। सिटी थाना प्रभारी मनदीप सिंह भी इससे अछूते नहीं हैं। शहर की जनता अपनी परेशानी की शिकायत दर्ज करवाने के लिए थाने के चक्कर लगा रही है लेकिन थाना प्रभारी अलग तरीके से शिकायतकर्ता को समझाकर व कुछ को रौब झाड़कर वापस भेजे देते हैं।
ऐसे ही मामले हिसार टुडे के संपादक के संज्ञान में आए हैं जिनमें से एक हैं आरटाईआई कार्यकर्ता राजीव सरदाना एवं एक अन्य स्थानीय अखबार की संपादक एवं प्रसिद्ध समाज सेविका उषासिंह कौशिक। ऐसे शहर के खास एवं आम लोग प्राथमिकी दर्ज कराने के लिये थाने का चक्कर लगा रहे हैं लेकिन उनकी प्राथमिकी दर्ज करने में आनाकानी की जा रही है। इसी प्रकार सिटी थाना प्रभारी ने इनके मामलों में अभी तक प्राथमिकी दर्ज नहीं की। बावजूद अधिकारियों द्वारा किसी प्रकार की कार्रवाई भी नहीं की जा रही है।
हिसार शहर में कई थानों में अब भी प्राथमिकी के लिए अनेकों मामले लंबित हैं। इस प्रकार की शिकायतें आम है। बता दें कि शहर के प्रसिद्ध समाजसेवी व आरटीआई कार्यकर्ता राजीव सरदाना ने 2 जनवरी 2015 को सिटी थाना प्रभारी मनदीप सिंह को शिकायत दी। जिसमें श्री सरदाना ने आरटीआई के जरिए से लिए गए सत्यापित पुख्ता सबूत शिकायत के साथ संलग्न किए। जिसमें शहर के कथित डिग्रीधारी सुनील वर्मा के खिलाफ शिकायत दी थी।
इस संदर्भ में सिटी थाना प्रभारी मनदीप सिंह ने केवल शिकायत प्राप्ति की रसीद जिसका परिवाद प्राप्ति रसीद नं. 110/2015 ही शिकायतकर्ता को दी। शिकायतकर्ता ने काफी अनुरोध किया कि मुझे सिटीजन चार्टर व 154 सीआरपीसी के तहत एफआईआर की कापी दी जाए। परंतु एसएचओ ने एक भी नहीं सुनी और एफआईआर कापी देने से मना कर दिया।
विदित रहे की सुनील वर्मा इन्हीं डिग्रियों के आधार पर एक सीनियर सेकेंडरी स्कूल में लेक्चरार के पद पर कार्यरत रहे व शहर में भी क्वांटम ट्यूोरियल के नाम से कोचिंग सेन्टर चला रहे हैं व विद्यार्थियों, अभिभावकों, सीबीएसई बोर्ड नई दिल्ली व जिला प्रशासन की आंखों में धूल झोक रहे हैं। जिन डिग्रियों के आधार पर वे लेक्चरार रहे उन डिग्रियों को यूनिवर्सिटी ने बोगस बताया है। एक अन्य मामले में शहर की प्रसिद्ध समाजसेवी व पाठक की उम्मीद समाचार पत्र की सम्पादक उषा सिंह कौशिक ने दिनांक 26.12.2014 को सिटी थाना में एक शिकायत दी। जो कि अनाज मंडी चौकी के हैड कांस्टेबल अशोक कुमार के खिलाफ थी। जिसका परिवाद प्राप्ति रसीद नं. 102/2014 है। इसमें भी सिटी थाना प्रभारी ने एफआईआर दर्ज करना उचित नहीं समझा। केवल शिकायत प्राप्ति रसीद देकर अपना पल्लू झाड़ लिया।
इस शिकायत पर भी कोई कार्रवाई नहीं की गई है। श्रीमती उषासिंह कौशिक ने बताया कि उनके साथ हैड कांस्टेबल ने बद्तमीजी से बात की व एक अन्य शिकायत में भी इसी लोक सेवक अशोक कुमार ने उनकी शिकायत पर कार्रवाई करने से बिलकुल मना कर दिया व आक्रामक लहजे में साफ कहा कि मैं आपकी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं करता, जो करना चाहते हो आप कर सकते है।
यह बातचीत उनके मोबाईल में रिकॉर्ड हो गई, जिसकी उन्होंने सीडी भी बनाई। परंतु थाना प्रभारी ने भी उनकी शिकायत पर ना ही कोई कार्रवाई की व ना ही एफआईआर दर्ज की। उन्होंने कहा कि ऐसे में आम आदमी कहां जाए व किससे से शिकायत करे।
पहले लीगल ओपिनियन फिर एफआईआर: मनदीप सिंह
हिसार के सिटी थाना प्रभारी मनदीप सिंह से लम्बित शिकायतों में से एक शिकायत के बारे बात की तो थाना प्रभारी ने कहा कि राजीव सरदाना की शिकायत के बारे में एडीए साहब से लीगल एडवाईजरी ली है जिसमें उन्होंने प्रीमनली इंक्वायरी के बारे में कहा है, इंक्वायरी पूरी होने के बाद हम अपने हिसाब से कार्रवाई करेंगे।
इस बारे में जब शिकायत के साथ पुख्ता सबूत होने की बात की गई व सुप्रीम कोर्ट के आदेश एवं 154 सीआरपीसी के तहत मामला दर्ज करना बनता है, तो उन्होंने कहा कि शिकायतकर्ता राजीव सरदाना को कह देना की वह मेरे पास आ जाएगा व मेरे से बात कर लेगा, ऐसा कहकर उन्होंने फोन काट दिया।