- April 9, 2016
हाईटेक हाइ-वे विलेज में बाँस उत्पादों के विक्रय के लिये पवेलियन
दिनेश मालवीय————————– लोकसभा अध्यक्ष श्रीमती सुमित्रा महाजन के मुख्य आतिथ्य में इंदौर में तीन-दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय बैम्बू समिट का शुभारंभ हुआ। श्रीमती महाजन ने कहा कि भारत में बाँस क्षेत्र के तेजी से विकास की जरूरत है। भूतल परिवहन मंत्री श्री नितिन गडकरी ने अध्यक्षता करते हुए कहा कि हाईटेक हाइवे विलेज में बाँस उत्पादों के विक्रय के लिये पवेलियन बनेंगे। विशेष अतिथि मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश को बैम्बू केपिटल बनाया जायेगा। केन्द्रीय कृषि मंत्री श्री राधामोहन सिंह ने कहा कि बाँस का उत्पादन गरीबी उन्मूलन में भी कारगर है।
समिट में भारत सहित 11 से अधिक देश के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। ‘बैम्बू फॉर सस्टेनेबल डेव्हलपमेंट ग्लोबल को-ऑपरेशन” पर इस समिट में बाँस उत्पादन, कारीगर, उद्यमियों और तकनीकी विशेषज्ञों को विमर्श के लिये मंच उपलब्ध करवाया गया है।
श्रीमती महाजन
श्रीमती सुमित्रा महाजन ने कहा कि भारत में बाँस क्षेत्र के तेजी से विकास करने की जरूरत है। बाँस उत्पादन तथा बाँस उत्पादों के संबंध में नई नीति और नई तकनीक का विकास भी जरूरी है। उन्होंने कहा कि देश में बाँस क्रांति पैदा की जा सकती है। बाँस उत्पादन को बढ़ावा देकर भारत की आर्थिक स्थिति को और अधिक मजबूत किया जा सकता है। जिस गति से वर्तमान केन्द्र सरकार द्वारा बाँस के क्षेत्र विस्तार के लिये काम किया जा रहा है, उससे लगता है कि आने वाले समय में भारत की आर्थिक व्यवस्था बाँस आधारित बन सकेगी। उन्होंने कहा कि पर्यावरण सुधार की दृष्टि से भी बाँस के उत्पादन और उत्पादों के उपयोग को बढ़ावा देने की जरूरत है।
श्री गडकरी
श्री नितिन गडकरी ने कहा कि मध्यप्रदेश में बाँस उत्पादन एवं इसके मूल्यवर्धित उत्पादों के क्षेत्र में बेहतर काम किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि देश में गरीबी एवं बेरोजगारी के कारण लोगों का गाँव से शहरों की ओर पलायन भी सबसे बड़ी चिंता का विषय है। खेती के साथ हस्तशिल्प को प्रोत्साहित कर इन समस्याओं से निपटा जा सकता है। बाँस का उत्पादन बढ़ाकर हम देश से गरीबी और बेरोजगारी की समस्या को दूर कर सकते हैं। बाँस का उत्पादन बढ़ाकर बेरोजगारों को रोजगार दिया जा सकता है। उन्होंने विशेषज्ञ संस्थाओं की मदद लेकर बाँस उत्पादों की नई-नई डिजाइन तैयार करने की जरूरत पर जोर दिया। श्री गडकरी ने कहा कि केन्द्र सरकार ने तय किया है कि अब ग्रीन हाईवे बनाये जायेंगे। इसके लिये परियोजना लागत की एक प्रतिशत राशि पौधरोपण और सौंदर्यीकरण के लिये आरक्षित की जायेगी। दस लाख रुपये प्रति एकड़ पौधरोपण के लिये नेशनल हाईवे पर खर्च किये जायेंगे। हाईवे पर बाँस के पौधे प्रमुखता से लगाये जायेंगे। इससे हरियाली के साथ लोगों को रोजगार भी मिलेगा। श्री गडकरी ने घोषणा कि देश में 1200 से अधिक हाईटेक हाईवे विलेज बनाये जा रहे हैं। हर विलेज में 10 हजार वर्गफीट पर बाँस उत्पाद विक्रय के लिये पवेलियन भी बनाये जायेंगे। इसी तरह का पवेलियन फल एवं सब्जी के लिये भी बनाया जायेगा। उन्होंने बाँस का उपयोग बायोफ्यूल के रूप में करने की जरूरत भी बतायी।
मुख्यमंत्री श्री चौहान
मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश को देश का बैम्बू केपिटल बनाया जायेगा। बाँस मिशन हमारा लक्ष्य है। इस मिशन से बाँस के वन क्षेत्र का विस्तार किया जायेगा। बाँस की व्यावसायिक खेती भी करवायी जायेगी। बाँस को मध्यप्रदेश में कृषि उत्पाद माना जायेगा। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में बाँस के माध्यम से अधिकतम रोजगार पैदा करने के प्रयास किये जायेंगे। बाँस को कृषकों की आय बढ़ाने का माध्यम भी बनाया जायेगा। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में बाँस की जितनी खपत है, उतना उत्पादन नहीं हो पाता है। बाँस के उत्पादन को बढ़ाने के लिये हमने तय किया है कि वनों के साथ अब किसानों के खेतों की मेढ़ों, घरों के आसपास तथा जहाँ खाली जगह है वहाँ बाँस का सघन रोपण करवाया जाये। बाँस उत्पाद बनाने के लिये कारीगरों का कौशल उन्नयन किया जायेगा। बाँस विक्रय केन्द्र बनाये जायेंगे। शोध एवं अनुसंधान किये जायेंगे। स्वच्छता मिशन के टायलेट बनाने में भी बाँस का उपयोग किया जायेगा। उन्होंने कहा कि इस समिट के माध्यम से जो भी निष्कर्ष निकलेंगे उनको संबंधितों तक पहुँचाने के प्रयास किये जायेंगे।
केन्द्रीय कृषि मंत्री
केन्द्रीय कृषि मंत्री श्री राधामोहन सिंह ने कहा कि बाँस जीवन की अनेक जरूरतों की पूर्ति करता है। बाँस का परम्परागत उपयोग के साथ, गृह साज-सज्जा, औषधि और भोजन के रूप में भी किया जा रहा है। केन्द्र सरकार द्वारा बाँस क्षेत्र के विस्तार पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। 28 राज्य में बाँस मिशन में कार्य किये जा रहे हैं। यह खुशी की बात है कि मध्यप्रदेश को बाँस मिशन में जो आवंटन प्राप्त हुआ है उसका शत-प्रतिशत उपयोग किया गया है। मध्यप्रदेश प्राप्त आवंटन का शत-प्रतिशत उपयोग करने वाला देश का पहला राज्य है। यह साबित करता है कि बाँस उत्पादन के क्षेत्र में मध्यप्रदेश में कितने प्रभावी कार्य किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि बाँस के पर्यावरणीय और आर्थिक महत्व भी है। हमारे देश के कुल वन क्षेत्र के 13 प्रतिशत क्षेत्र में बाँस वन हैं। भारत में 137 से अधिक प्रजाति के बाँस होते हैं। इसका 1500 से अधिक तरीके से उपयोग होता है। बाँस लकड़ी का विकल्प भी बन सकता है। श्री सिंह ने कहा कि बाँस के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले राज्यों को पुरस्कृत भी किया जायेगा।
वन मंत्री डॉ.गौरीशंकर शेजवार ने स्वागत भाषण दिया। उन्होंने बताया कि प्रदेश में ग्रीन उर्जा के क्षेत्र में तेजी से काम हो रहा है। देश के कुल बाँस उत्पादन का 35 प्रतिशत हिस्सा मध्यप्रदेश में है।
समिट के दौरान बाँस के उत्पादों पर आधारित प्रदर्शनी भी लगायी गयी है। समिट में महापौर श्रीमती मालिनी गौड़, सुश्री विद्या मोरूकुंबी तथा खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम के उपाध्यक्ष श्री देवराजसिंह परिहार ने भाग लिया। इण्डियन फेडरेशन ऑफ ग्रीन एनर्जी के उपाध्यक्ष तथा पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्री अन्ना साहब एन.के.पाटिल ने आभार व्यक्त किया।