• November 22, 2020

हर समुदाय को अपने निजी कानून चलाने का अधिकार है।” —- राष्ट्रपति हामिद अंसारी

हर समुदाय को अपने निजी कानून चलाने का अधिकार है।”     —- राष्ट्रपति हामिद अंसारी

पद्य संभव श्री वास्तव ——– पूर्व उप राष्‍ट्रपति हामिद अंसारी कई बार अपने बयानों की वजह से सुर्खियों में रहे हैं। मुस्लिमों के भारत में असुरक्षित महसूस करने से जुड़ा बयान हो या योग दिवस पर कार्यक्रम में शामिल न होना। वंदे मातरम गाने को लेकर अपने बयान की वजह से भी अंसारी चर्चा में आए। ताजा बयान राष्‍ट्रवाद और धार्मिक कट्टरता से जुड़ा हुआ है।

कांग्रेस के नेता शशि थरूर की नई किताब ‘द बैटल ऑफ बिलॉन्गिंग’ के डिजिटल विमोचन पर अंसारी ने कहा कि “कोविड एक बहुत ही बुरी महामारी है, लेकिन इससे पहले ही हमारा समाज दो महामारियों- धार्मिक कट्टरता और आक्रामक राष्ट्रवाद का शिकार हो गया था।

उन्होंने यह भी कहा कि धार्मिक कट्टरता और उग्र राष्ट्रवाद के मुकाबले देशप्रेम ज्यादा सकारात्मक अवधारणा है।” सोशल मीडिया पर हामिद अंसारी के इस बयान की आलोचना हो रही है। हालांकि अंसारी के लिए यह नई बात नहीं। वह पहले भी कई बार विवादों के साये में रहे हैं।

तीन साल पहले जब सुप्रीम कोर्ट ने हर फिल्‍म से पहले राष्‍ट्रगान अनिवार्य किया था और मद्रास हाई कोर्ट ने ‘वंदे मातरम’ को लेकर फैसला दिया था, जब अंसारी के बयान पर विवाद हुआ था। उन्‍होंने कहा था, ‘अदालतें समाज का हिस्‍सा हैं। तो अदालतें जो कहती हैं वह कई बार समाज के माहौल का प्रतिबिंब होता है। मैं इसे असुरक्षा की भावना कहूंगा… दिन-रात अपना राष्‍ट्रवाद दिखाने की बात फिजूल है… मैं एक भारतीय हूं और इतना काफी है।’ यह बात उन्‍होंने बतौर उप राष्‍ट्रपति आखिरी दिन कही थी।

बतौर उप राष्‍ट्रपति हामिद अंसारी ने कार्यकाल के आखिरी दिनों में ‘स्वीकार्यता के माहौल’ को खतरे में बताते हुए कहा था कि देश के मुस्लिमों में बेचैनी का अहसास और असुरक्षा की भावना है। यह पूछे जाने पर कि क्या वह इस बात से सहमत हैं कि मुस्लिम समुदाय में एक तरह की शंका है और जिस तरह के बयान उन लोगों के खिलाफ दिए जा रहे हैं, उससे वे असुरक्षित महसूस कर रहे हैं, इस पर अंसारी ने कहा, ‘हां, यह आकलन सही है, जो मैं देश के अलग-अलग हलकों से सुनता हूं।

मैंने बेंगलुरु में यही बात सुनी। मैंने देश के अन्य हिस्सों में भी यह बात सुनी। मैं इस बारे में उत्तर भारत में ज्यादा सुनता हूं। बेचैनी का अहसास है और असुरक्षा की भावना घर कर रही है।’

सााल 2018 में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में मोहम्‍मद अली जिन्‍ना का पोर्ट्रेट लगाने पर विवाद हुआ था। परस्‍पर विरोधी विचारधारा के छात्रों के बीच हिंसा हुई। जिसके बाद अंसारी ने एएमयू छात्रसंघ अध्‍यक्ष को पत्र लिखकर अपना समर्थन दिया था। अंसारी ने आरोप लगाया था कि पूरी घटना सोची-समझी साजिश थी। उन्‍होंने दावा किया था कि उनके गेस्‍ट हाउस के पास प्रदर्शनकारी मौजूद थे।

2018 में अंसारी ने शरिया अदालतों के पक्ष में बयान देकर विवाद खड़ा कर दिया था। उन्‍होंने कहा था, “लोग सामाजिक प्रथाओं को कानून व्‍यवस्था से कन्‍फ्यूज कर रहे हैं। हमारे कानून में है कि हर समुदाय के अपने नियम हो सकते हैं। भारत में पर्सनल लॉ शादी, तलाक, गोद लेने और उत्‍तराधिकार पर लागू होता है। हर समुदाय को अपने निजी कानून चलाने का अधिकार है।”

2017 में अंसारी ने कट्टरपंथी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के एक कार्यक्रम में शिरकत की जिसके चलते उनकी आलोचना हुई। पीएफआई पर तब ‘लव जिहाद’ में शामिल होने के आरोप थे।

बीजेपी ने अंसारी से PFI के कार्यक्रम में शामिल होने को लेकर माफी मांगने को कहा था। बाद में अंसारी ने कहा कि वे वहां सरकारी मेहमान की तरह गए थे और पीएफआई की मौजूदगी के बारे में उन्‍हें किसी ने नहीं बताया था। PFI वही संगठन है जिसका दिल्‍ली में इस साल हुई हिंसा समेत कई प्रदर्शनों के पीछे हाथ होने की बात सामने आई है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर 21 जून को अंतरराष्‍ट्रीय योग दिवस मनाया जाने लगा है। 2015 में पहले योग दिवस पर 190 से ज्‍यादा देशों में यह कार्यक्रम हुआ था। भारत में राजपथ पर कार्यक्रम हुआ।

राष्‍ट्रपति प्रणब मुखर्जी, मोदी समेत सभी केंद्रीय मंत्री इसमें शरीक हुए लेकिन अंसारी ने हिस्‍सा नहीं लिया। यहां तक कि उप राष्‍ट्रपति के आवास पर भी कोई कार्यक्रम नहीं हुआ। बीजेपी के तत्‍कालीन महासचिव राम माधव ने इसपर सवाल उठाए थे, मगर बाद में यह कहकर ट्वीट डिलीट कर दिए थे कि उन्‍हें पता चला कि अंसारी बीमार थे।

हालांकि बाद में उनके कार्यालय ने कहा कि उन्‍हें योग कार्यक्रम के लिए न्‍योता नहीं भेजा गया था। हालांकि इसके बावजूद अंसारी के इस कार्यक्रम में हिस्‍सा न लेने की खासी आलोचना हुई थी।

2015 के गणतंत्र दिवस समारोह में अंसारी के राष्‍ट्रध्‍वज फहराने और राष्‍ट्रगान गाने के दौरान सैल्‍यूट न करने पर खूब विवाद हुआ था। तत्‍कालीन अमेरिकी राष्‍ट्रपति बराक ओबामा मुख्‍य अतिथि थे।

प्रोटोकॉल के तहत केवल राष्‍ट्रपति को ही सैल्‍यूट करने की जरूरत होती है लेकिन मोदी और तत्‍कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर सैल्‍यूट करते दिख रहे थे।

फ्लैग कोड के तहत यून‍िफॉर्म में होने पर ही सैल्‍यूट करना चाहिए। मोदी, अंसारी, ओबामा और पर्रिकर यूनिफॉर्म में नहीं थे इसलिए उन्‍हें सैल्‍यूट करने की जरूरत नहीं थी। लेकिन अंसारी सैल्‍यूट करके पूरे विवाद से बच सकते थे।

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