- December 21, 2018
हर कंप्यूटर पर सरकार की नज़र —7 साल की सज़ा
NEWS 18— इंटेलिजेंस ब्यूरो से लेकर NIA तक दस केंद्रीय एजेंसियां अब किसी भी कंप्यूटर में मौजूद, रिसीव और स्टोर किए गए डेटा समेत किसी भी तरह की जानकारी हासिल कर सकेंगी. इसके साथ ही उन्हें उस डिवाइस और डाटा की निगरानी, उसे रोकने और उसे डिक्रिप्ट करने का भी अधिकार होगा.
इस आदेश के अनुसार सभी सब्सक्राइबर या सर्विस प्रोवाइडर और कंप्यूटर के मालिकों को जांच एजेंसियों को तकनीकी सहयोग देना होगा. अगर वे ऐसा नहीं करते, तो उन्हें 7 साल की सज़ा देने के साथ जुर्माना लगाया लगाया जा सकता है.
गृह मंत्रालय ने आईटी एक्ट, 2000 के 69 (1) के तहत यह आदेश दिया है. इसमें कहा गया है कि भारत की एकता और अखंडता के अलावा देश की रक्षा और शासन व्यवस्था बनाए रखने के लिहाज से जरूरी लगे तो केंद्र सरकार किसी एजेंसी को जांच के लिए आपके कंप्यूटर को एक्सेस करने की इजाजत दे सकती है.
गृह मंत्रालय के आदेश के अनुसार सरकारी एजेंसियों की मांग पर कंप्यूटर में मौजूद डाटा जांच में देने की बात कही गई है, उसमें कंप्यूटर की परिभाषा साफ नहीं की गई है.
कंप्यूटर टर्म का मतलब पर्सनल कंप्यूटर, डेस्कटॉप, लैपटॉप, टैबलेट, स्मार्टफोन और यहां तक कि डाटा स्टोरेज डिवाइस सभी से होगा.
ऐसे में इन सारे ही डिवाइसेज़ में उपलब्ध डेटा को ये एजेंसियां कभी भी जांच के लिए मांग सकती हैं. इसमें डीक्रिप्ट और इन्क्रिप्ट डेटा भी शामिल होगा.
डाटा की परिभाषा नहीं
इस आदेश में यह भी नहीं साफ है कि कथित डाटा से क्या मतलब है और कौन सा ऐसा डेटा है जो ख़तरे का सबब हो सकता है. हालांकि यह साफ है कि किसी भी यूजर को उसके यूजर डेटा से बिना जरूरी आदेश के नहीं रोका जा सकेगा.
यह सेक्शन यह भी कहता है कि ऐसा तभी किया जाएगा अगर राष्ट्रीय संप्रभुता, भारतीय रक्षा, सुरक्षा, विदेशों से दोस्ताना संबंधों या पब्लिक ऑर्डर बिगाड़ने की संभावना हो.
गृह मंत्रालय की ओर से जारी आदेश के अनुसार जिन 10 एजेंसियों के पास अधिकार यह होगा वे हैं-
1. इंटेलिजेंस ब्यूरो
2. नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो
3. प्रवर्तन निदेशालय
4. सेंट्रल टैक्स बोर्ड
5. राजस्व खुफिया निदेशालय
6. केंद्रीय जांच ब्यूरो
7. राष्ट्रीय जांच एजेंसी
8. कैबिनेट सचिवालय (आर एंड एडब्ल्यू)
9. डायरेक्टरेट ऑफ सिग्नल इंटेलिजेंस (जम्मू-कश्मीर, नॉर्थ-ईस्ट और आसाम के क्षेत्रों में)
10. पुलिस आयुक्त, दिल्ली