- November 29, 2021
हम भी इज्जतदार हैं— शैलेश कुमार
हम भी इज्जतदार हैं।
सुभद्रा को नही जानत है,यादव कहत हैं,हम भी इज्जतदार हैं।
ब्रह्मा को नही जानत हैं ब्राह्मण कहत हैं , हम भी इज्जतदार हैं।
कुरु वंश मिट्टी में मिल गयो क्षत्रिय कहत ,हम भी इज्जतदार हैं।
भील , संथाली, गारो, खांसी नंगे घुमत हैं और कहत हैं, हम भी इज्जतदार हैं।
कुंती घर में कर्ण वध होत है सभा कहत हैं ,हम भी इज्जतदार हैं।
टोले-टोले , मंथरा , मंदोदरी, केकयी पद्मिनी बनत फिरत हैं ,और कहत हैं, हम भी इज्जतदार हैं।
अपने जाति से जीवन बीमा मांगत, गैर धर्म की लडकी लावत,कायस्थ कहत हैं , हम भी इज्जतदार हैं।
मां, बाप को अन्न से तड़पावत,मृत भोज में, रसगुल्ला और खीर,खिलावत, ऐसे लोग कहत हैं , हम भी इज्जतदार हैं।
प्रेम विवाह क्या कछु होइत है, बाबा जी का घंटा जानत,हत्या कर जेल में मुफ्त रोटी तोड़न खातर,ऐसे लोग कहत हैं, हम भी इज्जतदार हैं।
लडकी के सुख देखन खातर घरवाली सूदखोर का अंगूठा चाटत हैं,
दिल्ली , कोलकाता ,हरियाणा में खून पसीना बहा , लड़का को मोटर गाड़ी देवत हैं।
डंका पीट और कहत हैं, हम भी इज्जतदार हैं।
जो जितने दहेज विरोधी बनत फिरत हैं, बेटा साथ कटोरा लय गेट पर तकत है,
और कहत हैं, हमही इज्जतदार हैं।
जिसे समाज कहते हैं, जिसे , अपना संबंधी मानते हैं, सत्य यही है , की लडकी के वक्त आने पर वह निर्मम साइलोक बन जाता है ,
सोच बदलिए, सिर्फ हिंदू से संबंध बनाइए।
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विशेष : सिर्फ मधुबनी जिला मे इस वर्ष जहां तक हमे पता है तीन प्रेमीयों को मौत के घाट उताड़ दिया गया है, क्या मिला ?
अर्थ दृष्टिकोण से जीतने छोटे और घटिया परिवार है प्रेम विवाह को कलंक मान कर और कलंकित हो रहें है।
सम्पन्न परिवार मेँ तो बू भी नहीं आती है —- क्या फायदा है झूठी शान के लिए जेल प्रवास पर रहना ।
अपने वंशज पर गर्व करने वाले जरा इतिहास झाँकिए, हत्या से इज्जत बढ़ता नहीं , बेटी या बेटा प्रेम विवाह करते है तो इससे इज्जत बढ़ता है।
नंगे समाज और कुटुंब पर गर्व करने वाले क्या कभी सोचा है की लड्की की शादी मे किस तरह कौन आगे आता है ? कंस और केकई भी तो खून के रिश्ते थे , जो गति इन लोगो ने कर रखी वही गति आपको आपके संबंधी और समाज कर रहे है ।