• November 13, 2016

स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल की उपेक्षा का बढ़ती आबादी के साथ जुड़ी भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था पर नकारात्‍मक प्रभाव

स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल की उपेक्षा का बढ़ती आबादी के साथ जुड़ी भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था पर नकारात्‍मक प्रभाव

पेसूका (उप राष्ट्रपति सचिवालय)— उपराष्‍ट्रपति श्री एम. हामिद अंसारी ने कहा है कि स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल की उपेक्षा का बढ़ती आबादी के साथ जुड़ी भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था पर नकारात्‍मक प्रभाव पड़ेगा। वह आज यहां कैंसर रोगियों को प्रशामक देखभाल प्रदान करने वाले एक गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) कैनसपोर्ट के 20वें वार्षिकोत्‍सव समारोह के अवसर पर संबोधित कर रहे थे।

उपराष्‍ट्रपति महोदय ने कहा कि प्रति दिन 1300 से अधिक लोग कैंसर की वजह से मर जाते हैं और यह हमारे देश में मृत्‍यु के बड़े कारणों में शामिल हो गया है। उन्‍होंने कहा कि दु:खद तथ्‍य यह है कि इन कैंसरों की रोकथाम की जा सकती है, पहले से ही इसकी जांच की जा सकती है और/या पता लगाया जा सकता है तथा प्रारंभिक चरण में इसका इलाज किया जा सकता है, जिससे कि मृत्‍यु दर में उल्‍लेखनीय कमी आ सके।

उपराष्‍ट्रपति महोदय ने कहा कि स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल की सुविधा में बेहतरी आने के बावजूद सामाजिक आर्थिक स्‍थिति, भौगोलिक स्‍थिति एवं जेंडर से जुड़ी विषमताएं लगातार बनी हुई है और बेहद महंगे उपचार के कारण समस्‍या और भी जटिल हो गई है।

आम लोगों और परिवारों को स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल पर बढ़ते आर्थिक बोझ का तीन चौथाई से अधिक हिस्‍सा स्‍वयं वहन करना पड़ता है। उन्‍होंने कहा कि स्‍वास्‍थ्‍य पर कुल आवंटन अपर्याप्‍त है और इस समस्‍या की पूर्ति के लिए जरूरी आवंटित राशि से बहुत कम है।

उन्‍होंने कहा कि पर्याप्‍त सार्वजनिक आवंटन की कमी का परिणाम कैंसर का पता लगाने, उपचार करने एवं देखभाल आवश्‍यकताओं में भारी मांग-आपूर्ति अंतराल के रूप में सामने आया है।

उन्‍होंने यह भी कहा कि कैंसर रोगियों की प्रशामिक देखभाल के लिए न केवल प्रभावित व्‍यक्‍तियों की चिकित्‍सा एवं परिचर्या जरूरतों को पूरा करना पड़ेगा, बल्‍कि रोगियों के भावनात्‍मक एवं अध्‍यात्‍मिक परेशानी और देखभाल करने वालों की मदद करने की भी आवश्‍यकता होगी। इसलिए प्रशामिक देखभाल सेवाओं का प्रावधान हमारे देश में समग्र कैंसर देखभाल एक महत्‍वपूर्ण आयाम है और कैनसपोर्ट इस क्षेत्र में अग्रणी रहा है।

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