- January 24, 2015
स्कूली शिक्षा पर कार्यशाला:पूरे समर्पण एवं मनोयोग से बच्चों को पढ़ाएं– मुख्यमंत्री
जयपुर- मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे ने प्रदेश के सरकारी स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण, रोजगारपरक शिक्षा एवं बालिका शिक्षा पर जोर देते हुए शिक्षकों का आह्वान किया है कि वे पूरे समर्पण एवं मनोयोग से बच्चों को पढ़ाएं ताकि प्रदेश अगले एक वर्ष में शिक्षा के क्षेत्र में देश के शीर्ष 10 राज्यों में शामिल हो सके।
मुख्यमंत्री शुक्रवार को मुख्यमंत्री कार्यालय के कांफ्रेंस हॉल में मुख्यमंत्री सलाहकार परिषद् के शिक्षा उपसमूह की ओर से स्कूली शिक्षा पर आयोजित कार्यशाला को संबोधित कर रही थीं। उन्होंने कहा कि एसर रिपोर्ट के अनुसार वर्तमान में हम शिक्षा के क्षेत्र में देश में 21वें पायदान पर हैं जिसमें सुधार के लिये चुनौती स्वीकार करते हुए हमें अल्पकालीन एवं दीर्घकालीन लक्ष्य निर्धारित कर उस पर दृढ़ता के साथ कार्य करना होगा।
श्रीमती राजे ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के सुझाव को अमल में लाते हुए प्रदेश मेें ऐसे मॉडल स्कूलों की अवधारणा पर काम शुरू हुआ है जिनमें आट्र्स, साइंस एवं कम्प्यूटर विषयों के शिक्षण की उत्तम व्यवस्था के साथ खेलों की भी अच्छी सुविधाएं उपलब्ध कराई जायेगी। उन्होंने कहा कि स्कूलों में विद्यार्थियों को भारतीय संस्कृति का ज्ञान कराने के साथ-साथ ऐसी शिक्षा प्रदान की जानी चाहिये जो उन्हें विश्व स्तर पर प्रतिस्पद्र्घा के लिये तैयार कर सके।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें सोचना होगा कि क्यों निजी विद्यालयों के परिणाम सरकारी विद्यालयों की तुलना में बेहतर हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए शिक्षकों एवं शिक्षाविदों का हरसंभव सहयोग करने को तैयार है। मुख्यमंत्री ने शिक्षकों की क्षमता में विकास और उन्हें शिक्षा के क्षेत्र में हो रहे नवाचारों से अपडेट रहने पर भी जोर दिया।
श्रीमती राजे ने इस बात पर चिन्ता व्यक्त की कि सरकार आपके द्वार एवं अन्य दौरों के दौरान किये गये स्कूलों के निरीक्षण में उन्होंने पाया कि कई स्कूलों में बच्चे ठीक से पढ़ नहीं सकते और पहाड़े तक नहीं जानते। उन्होंने कहा कि हमें इस स्थिति को दूर करने की जिम्मेदारी लेनी होगी। मुख्यमंत्री ने स्कूली पाठ्यक्रम में नैतिक शिक्षा, स्वच्छता, खेल गतिविधियों, योग आदि को सम्मिलित करने पर भी जोर दिया।
मुख्यमंत्री ने राज्य सरकार के 15 लाख युवाओं को रोजगार देने के लक्ष्य का जिक्र करते हुए कहा कि हमें पाठ्यक्रम में रोजगार की आवश्यकता एवं वर्तमान समय की मांग के अनुरूप विषय जोडऩे होंगे।
शिक्षा राज्यमंत्री प्रो. वासुदेव देवनानी ने कहा कि राज्य सरकार शिक्षा के क्षेत्र में इस प्रकार समयानुकूल परिवर्तन करने को संकल्पबद्घ है कि प्रदेश के बच्चों को पाठ्यक्रम में आधुनिक तकनीक के साथ विश्व स्तर पर हो रहे बदलाव के बारे में ज्ञान मिल सके। उन्होंने कहा कि स्कूलों एवं अध्यापकों की मॉनिटरिंग को प्रभावी बनाया जायेगा ताकि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके।
कार्यशाला में चार समूहों द्वारा स्कूली शिक्षा में सुधार, मॉडल स्कूलों का विकास, वोकेशनल शिक्षा एवं कौशल विकास तथा स्कूली शिक्षा में निजी क्षेत्र की सहभागिता विषय पर विचार-विमर्श कर प्रस्तुतीकरण दिया गया। मुख्य सचिव श्री सी.एस.राजन ने आभार ज्ञापित किया।
कार्यशाला में मुख्यमंत्री सलाहकार परिषद् के सदस्य श्री मनीष सबरवाल, श्री मोहनदास पई, श्री राजेन्द्र पंवार, उर्वशी साहनी, श्री कार्तिक मुरलीधरन, प्रमुख शासन सचिव शिक्षा श्री पवन कुमार गोयल, प्रमुख सचिव वित्त श्री पी.एस.मेहरा, शासन सचिव शि़क्षा श्री नरेशपाल गंगवार, शासन सचिव श्रम श्री रजत मिश्र, शासन सचिव आयोजना श्री अखिल अरोड़ा, शासन सचिव उच्च शिक्षा श्री अश्विनी भगत, आरएसएलडीसी के प्रबंध निदेशक श्री गौरव गोयल सहित विभिन्न शिक्षण संस्थानों के प्रतिनिधि, शिक्षा अधिकारी एवं शिक्षाविद् उपस्थित थे।
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