- December 16, 2017
सुराज के 4 सालः—पीने के पानी के पुख्ता बन्दोबस्त
जयपुर———-(नारायणसिंह राठौड़ ‘पीथल‘)———– – राजस्थान क्षेत्रफल की दृष्टि से देश का सबसे बड़ा राज्य है। इस प्रदेश का लगभग आधा भाग मरुस्थलीय अथवा अद्र्ध मरुस्थलीय है। प्रदेश में वर्ष भर बहने वाली नदियों का अभाव है और वर्षा की कमी, छितराई हुई बर्षा और अन्य प्राकृतिक कारणों से पीने के पानी का बंदोबस्त करना अपने आप में महत्वपूर्ण है।
वर्तमान सरकार द्वारा अपनेे चार साल के कार्यकाल में इस तरफ पूरी निष्ठा एवं लगन से ध्यान दिया तथा पेयजल आवश्यकता वाले सभी क्षेत्रों में बड़ी, मध्यम एवं लघु पेयजल परियोजनाओं के माध्यम से महानगरों से लेकर गांव-ढाणियों एवं अन्यत्र बसी हुई आबादी तक पीने का पानी उपलब्ध कराने के प्रभावी उपाय किये।
राज्य सरकार ने प्रदेश में पहले से चल रही 46 परियोजनाओं को वर्ष वार पूरी करने का फैसला लेकर वित्तीय वर्ष 2014-15 में 12, वर्ष 2015-2016 में 12 एवं वर्ष 2016-17 में 13 सहित कुल 37 बड़ी परियोजनां पूरी करने की घोषणा की गई। इनमें से 25 बड़ी परियोजनाओं से पेयजल आपूर्ति शुरू करदी गई। राज्य की 32 एवं 7 परियोजनाओं के भौतिक कार्य पूरे किये जा चुके हैं।
राज्य में पूरी हुई बड़ी परियोजनाओं से 2384 गांव 4099 ढाणियों में पीने का पानी उपलब्ध करवाया गया। इस अवधि में 14,864 आबादी के लिये पीने पानी का बंदोबस्त किया गया। साथ ही गुणवत्ता प्रभावित 5883 हेबीटेशन, अनुसूचित जाति बहुल 1401, अनुसूचित जनजाति बहुल 1624 एवं अल्पसंख्यक बहुल 894 इलाकों में पेयजल उपलब्ध करवाया गया। गुणवत्ता प्रभावित बस्तियों में 1949 आर.ओ.प्लांट लगवा कर शुद्ध पेयजल सुलभ करवाया गया।
प्रदेश में इन चार सालों में 619 नलकूपो पर सौर ऊर्जा आधारित बोरवैल पम्पिंग स्टेशन एवं डी-फ्लोरिकेशन के लिये सौर ऊर्जा आधारित 952 यूनिट स्थापित किये गये। इसी तरह 8,740 नये नलकूप एवं 24,899 नये हैण्डपम्प लगाकर चालू किये गये। इसके साथ ही 9 लाख 28 हजार खराब हैंडपम्पों को सुधार कर पुनः चालू करवाया गया।
राज्य में 3124 जनता जल योजनाओं को दुरुस्त करने के लिये 369.70 करोड़ रुपये की प्रशासनिक एवं वित्तीय मंजूरी दी । इनमें से 2 हजार 436 योजनाएं पूरी की जा चुकी हैं।
इन चार सालों में राज्य के शहरी क्षेत्रों में पीने के पानी की समस्या का समाधान करने के लिये पेयजल स्रोत संवद्र्धन, जीर्ण-शीर्ण पाईप लाइनों को बदलने और कम दबाव वाले इलाकों में संवद्र्धन आदि के लिये 5 करोड़ रुपये से कम लागत की 1830 योजनाओं की प्रशासनिक एवं वित्तीय मंजूरी दी गई।
नागौर जिले में फ्लोराइडयुक्त पानी से निजात दिलाने के लिये 1490 करोड़ रुपये की बाह्य सहायता के तहत जे.आई.सी.ए.पोषित परियोजना के ट्रांसमिशन मेन का कार्य अक्टूबर, 2015 में मुख्य मंत्री के हाथों शुभारम्भ किया गया। जिले में मकराना में शहरी संवद्र्धन पेयजल परियोजना बीसलपुर- दूदू परियोजना से क्षेत्रीय जल प्रदाय योजना नावां को पूरा कर मुख्यमंत्री द्वारा शुभारंभ किया गया।
अजमेर जिले में फ्लोराईड नियंत्रण परियोजना भिनाय एवं मसूदा तृतीय चरण एवं पीसांगन को पूरा करना तय किया गया। इसी प्रकार अजमेर-पुष्कर शहरी पेयजल परियोजना के सुृदृढ़ीकरण का निर्णय लिया गया।
जिले के किशनगढ़ में जलापूर्ति योजना के पुनर्गठन हेतु पहले चरण में 77.29 करोड़ रुपये की मंजूरी जुलाई, 2015 में करते हुए प्रथम भाग का जनवरी, 2016 में कार्य आदेश दिया गया। इसका कार्य प्रगति पर है। इसके दूसरे भाग के लिये अप्रैल, 2016 में 129.13 करोड़ रुपये की मंजूरी एवं कार्य आदेश दिये जाने से कार्य प्रगति पर है और अब तक 10.54 करोड़ रुपये खर्च किये जा चुके हैं।
राज्य सरकार ने अजमेर जिले की सभी ग्रामीण जलप्रदाय योजनाओं केे पंप एवं मशीनरी बदलने का भी फैसला किया ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में बिना व्यवधान जलापूर्ति हो सके।
बीकानेर जिले में गजनेर लिफ्ट से कोलायत जलप्रदाय योजना (कोलायत लिफ्ट) के काम करवाये गये।
बीकानेर शहर के लिये 45.54 करोड़ रुपये की सवंद्रि्धत जल योजना की जुलाई, 2014 में मंजूरी एवं फरवरी, 2015 में कार्यादेश देते हुए पूरा किया। जिले के हंसोरा गांव के लिये 476.79 लाख रुपये लागत से पेयजल संवद्र्धन योजना का काम भी पूरा किया जा चुका है।
बीकानेर, हनुमानगढ़ एवं श्रीगंगानगर जिलों में नहर आधारित 150 योजनाओं के सुदृढ़ीकरण एवं रेेपिड ग्रेविटी फिल्टर निर्माण के लिये 132.18 करोड़ रुपये लागत से काम करने के आदेश अक्टूबर, 2015 में कार्य आदेश जारी किये गये। इन पर 93.54 करोड़ रुपये अब तक खर्च हो चुके हैं तथा.दिसम्बर, 2017 में कार्य पूरा करने का लक्ष्य है।
श्रीगंगानगर जिले के 8 शहरों में क्लोरिनेशन प्लांट की स्थापना के लिये जुलाई, 2014 में 655 लाख रुपये से अधिक की मंजूरी एवं अप्रैल, 2015 कार्य आदेश दिया गया। यह काम पूरा हो चुका है।
झालावाड़ जिले ग्रामीण जलप्रदाय योजना रेवा के साथ ही भीमनी, माधवी एवं पीपलाद पेयजल योजनाओं को पूरा कर दिया गया। जिले की शहरी पेयजल योजना खानपुर में 14.60 करोड़ रुपये की पेयजल योजना पूरी करली गई है और शहरी आबादी को पेयजल आपूर्ति से लाभान्वित किया जा रहा है। इसके साथ ही रामगंजमंडी शहरी पेयजल योजना के लिये 14.10 रुपये की मंजूरी के विरुद्ध 7.50 करोड़ रुपये खर्च किये जाकर 85 प्रतिशत काम पूरे चुके हैं।
जिले की राजगढ़ पेयजल परियोजना के लिये 67.17 करोड़ रुपये खर्च मंजूर किये गये तथा मई, 2016 में कार्य आदेश जारी किये गये। इसका कार्य प्रगति पर है तथा जून,2018 तक कार्य पूर्ण होने की आशा है।
बूंदी जिले में चंबल-बून्दी पेयजल परियोजना एवं चंबंल-बूदी कलस्टर पेयजल परियोजना पूरा करना तय किया गया। इसके साथ ही कोटा की बोरावास-मंडाना एवं बारां जिले की नागदा-अंता एवं बलदेवपुरा योजनाएं पूरी कर लोगों को पेयजल आपूर्ति से लाभान्वित किया जा रहा है।
राज्य सरकार ने बारां जिले की अटरू-शेरगढ़ पेयजल परियोजना के लिये 89.69 करोड़ रुपये की मंजूरी अप्रैल, 2016 कर मार्च, 2017 में कार्य आदेश जारी किये। इसका कार्य प्रगति पर है और इसे दो साल में पूरा करने की अवधि तय की गई है।
प्रतापगढ़ जिले में प्रतापगढ़ शहर के लिये 94.07 करोड़ रुपये लागत की पेयजल परियोजना जुलाई ,2015 में मजंजूर की गई तथा जनवरी, 2016 में कार्य आदेश जारी किया गया। इसको फरवरी, 2018 में पूरा करना प्रावधित है।
जिले के ग्रामीण इलाकों में पेयजल आपूर्ति व्यवस्था के लिये जाखम बांध से पंचायत समिति प्रतापगढ़ के 272 गांव, अरनोद के 180 गांव एवं पीपलखूंट के 102 गांव को मिला कुल 554 गांवों की डीपीआर तैयार की गई। जल संसाधन विभाग द्वारा माही बांध से जाखम बांध के नागलिया हेडवक्र्स को 890 एमसीएफटी शेयर स्थानान्तरण लागत एवं जीएसटी प्रभाव जोड़ते हुए कुल 918.32 करोड़ रुपये के प्रस्तावों का अनुमोदन किया गया। इस परियोजना की वित्तीय स्वीकृति प्रक्रिया में है। जल संसाधन विभाग द्वारा उदयपुर जिले की देवास पेयजल परियोजना के दूसरेे चरण का काम पूरा करवा दिया गया है।
बांसवाड़ा जिले की घांंटोल पंचायत समिति के फ्लोराइड प्रभावित 52 गांवों समेत सभी 101 गांवों के लिये संशोधित विस्तृत रिपोर्ट तैयार की गई। पीडीकोर द्वारा हैरो बांध से आंशिक जल आरक्षण के मद्देनजर माही बांध को निकटतम एवं विश्वसनीय सतत सतही जलस्रोत मानते हुए अगस्त, 2017 में फीजिबिलिटी रिपोर्ट पेश की। इस पर जल आरक्षण के लिये अग्रिम कार्यवाही प्रक्रियाधीन है।
जिले की कुशलगढ़ पंचायत समिति के 212 गांव एवं 195 ढाणियां तथा सज्जनगढ़ पंचायत समिति के 187 गांव एवं 200 ढाणियों को माही बांध से शुद्ध पेयजल आपूर्ति की संशोधित डीपीआर के आधार पर 798.35 करोड़ रुपये के प्रस्तावों का अनुमोदन का निर्णय लिया गया, जिसकी वित्तीय स्वीकृति की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है।
डूंगरपुर जिले के डूंगरपुर शहर सहित पंचायत समिति आसपुर के 93, सागवाड़ा के 28, बिछीवाड़ा के 12 एवं डूंगरपुर के 7 गांवों को मिलाकर कुल 140 गांवों को सोम कमला अंबा बांध से पेयजल आपूर्ति योजना बनाने के लिये संशोधित डीपीआर 151 गांवों में जलापूर्ति बाबत तैयार की गई। इसके लिये सोम कमला अंबा बांध से 530 एमसीएफटी मांग के विरुद्ध 470 एमसीएफटी जल आरक्षण जुलाई, 2017 में जारी किया गया। इसके लिये आवश्यक संशोधन की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है।
जिले के सागवाड़ा एवं गलियाकोट शहर एवं पंचायत समिति सागवाड़ा के 40 एवं सीमलवाड़ा के 35 गांव मिलाकर कुल 75 गांवों के साथ छितरी हुई आबादी को लाभ पहुंचाने के लिये साबला एवं सागवाड़ा के गांव शामिल करते हुए 212 गांवों की संशोधित डीपीआर तैयार की गई।
परियोजना के लिये निकटतम माही बांध को उपयुक्त और विश्वसनीय सतही जलस्रोत मानते हुए जल आरक्षण की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है।
डूंगरपुर शहर के लिये पुनर्गठित पेयजल योजना 817.05 लाख रुपयेे की योजना को पूर्ण किया जाकर नगर की आबादी को जलापूर्ति की जा रही है। इसी तरह लोडेश्वर बांध से सागवाड़ा शहर एवं 18 गांवों के लिये 463.71 लाख रुपये की योजना अक्टूबर, 2014 में मंजूर कर कार्य आदेश दिसम्बर, 2014 में जारी किये गये। कार्य पूर्ण किया जा चुका है।
राजसमंद जिले के देवगढ़ कस्बा में स्रोत विकास पेयजल योजना प्रथम चरण में 58 लाख रुपये से अधिक की मंजूरी सितम्बर, 2014 में जारी की गई। इस पर कार्य प्रगति पर है। दूसरे चरण की 17.20 करोड़ रुपये की सितम्बर, 2014 में मंजूरशुदा योजना का कार्यादेश दिसम्बर,2014 को जारी किया गया। इसका कार्य पूरा किया जा चुका है। इसी तरह जिले देेलवाड़ा गांव के लिये 467.86 लाख रुपये की योजना नवम्बर, 2014 में मंजूर कर जून, 2016 में कार्यादेश जारी किया गया। इसका भी काम पूरा हो चुका है।
भीलवाड़ा जिले की चंबल-भीलवाड़ा योजना कार्य पूर्णता की ओर है एवं चंबल-भीलवाड़ा योजना प्रथम चरण से भीलवाड़ा शहर को नवम्बर, 2016 से नियमित जल वितरण किया जा रहा है।
राज्य सरकार द्वारा जोधपुर जिले की खुडियाला, जिया बेरी एवं आगोलाई जलापूर्ति योजना और इंद्रोका-माणकलाव-दांतीवाड़ा पेयजल परियोजना के साथ कानसिंह की सिड-मंडोर एवं मल्लार- जोड़-हिंडालगोल योजनाएं पूरी करली गई है। इसी तरह राजीव गांधी लिफ्ट केनाल की आर.डी.42 पर क्षेत्रीय जलप्रदाय योजना घाटोर-कानासर-बाप तथा क्षेत्रीय जलप्रदाय योजना फलौदी हेडवक्र्स भौरी-कला-खारा-जालोड़ा का काम भी पूरा किया जा चुका है। इन सभी से जलापूर्ति कर क्षेत्रीय आबादी को पेयजल उपलब्ध कराया जा रहा है।
जिले की देवानिया-नाथड़ाऊ-शेरगढ़-चाबा प्रथम एवं द्वितीय चरण की पेयजल परियोजना का काम पूर्णता की ओर है। इस परियोजना के लक्षित सभी 284 गांवों को वीटीसी तक पेयजल आपूर्ति प्रारंभ कर दी गई है। इसी तरह तिंवरी-मथानियां-ओसियां-भोपालगढ़ पेयजल परियोजना काम भी लगभग पूरा होने को है। इससे लक्षित सभी 113 गांवों एवं 950 में से 911 ढाणियों पेयजल आपूर्ति शुरू कर दी गई है।
जोधपुर शहर के डिगाड़ी-नान्दड़ी क्षेत्र में पेयजल व्यवस्था के संवद्र्धन के लिये 582 लाख रुपये के प्रस्तावों की प्रशासनिक एवं वित्तीय मंजूरी देकर अप्रैल, 2016 में कार्य आदेश जारी किया गया तथा कार्य प्रगति पर है।
जोधपुर में राजीव गांधी लिफ्ट केनाल पर 8 पंपिंग स्टेशन का संचालन एवं संधारण एस्को पद्धति पर दिया गया है। इससे वार्षिक 88 करोड़ रुपये के विद्युत खर्च में 25 प्रतिशत की बचत संभावित है।
सवाईमाधोपुर जिले की बौंली गांव की पेयजल समस्या के स्थाई समाधान के लिये इसे ईसरदा बांध से पेयजल योजना में शामिल किया जाना प्रस्तावित है। समस्या के तात्कालिक समाधान के लिये बीसलपुर परियोजना के निवाई हैड वक्र्स से बॉली को जलापूर्ति निमित 19.71 करोड़ रुपये की योजना मांजूर की गई तथा मई, 2017 से पूर्व में विद्यमान वितरण पाईप लाईन के माध्यम से पेयजल सुलभ कराना शुरू किया गया है।
करौली जिले के ग्राम रतियापुर की पेयजल योजना के लियेे 3.18 करोड़ रुपये की प्रशासनिक एवं वित्तीय मंजूरी के विरुद्ध 2.76 करोड़ रुपये का कार्यादेश जारी कर अप्रैल, 2016 में कार्य पूर्ण कर दिया गया।
दौसा शहर को बीसलपुर दूदू प्रोजेक्ट से 20 लाख लीटर पानी की आपूर्ति के लिये अप्रैल, 2014 में 11.05 करोड़ रुपये की राशि मंजूर की गई तथा कार्यादेश नवम्बर, 2016 में जारी किया गया। कार्य पूर्ण कर दिया गया है।
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परियोजना के तहत अलवर जिले के शहरी क्षेत्रों में पेयजल योजनाओं के लिये 278.27 करोड़ रुपये मंजूर किये गये। इसमें अलवर की 174.86 करोड़ रुपये, भिवाड़ी की 40.69 करोड़ रुपये, बहरोड की 26.02 करोड़ रुपये, राजगढ़ की 20.24 एवं तिजारा शहर की 16.46 करोड़ रुपये की राशि शामिल है। इस परियोजना के कार्यादेश मार्च, 2016 में जारी किये गये और इन पर वर्तमान में 102.88 करोड़ रुपये खर्च होने के साथ कार्य प्रगति पर है।
भिवाड़ी कस्बे में पेयजल के लिये स्रोत निर्माण निमित सितम्बर, 2014 में 12.85 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई और मार्च, 2016 में कार्यादेश जारी किया गया। इस योजना का काम प्रगति पर है और अप्रैल, 2018 तक पूरा करने का लक्ष्य है।
जयपुर शहर की चित्रकूट नगर, मानसरोवर, बनीपार्क, एवं आदर्श नगर क्षेत्र में पानी की छीजत रोकने के लिये पायलेट स्टेडी निमित 43.19 करोड़ रुपये की प्रशासनिक एवं वित्तीय मंजूरी जारी करने के साथ जनवरी, 2016 में कार्यादेश जारी किये गये। योजना पर अब तक 25.98 करोड़ रुपये खर्च हो चुका है तथा कार्य प्रगति पर है।
जयपुर के महावीर नगर में पेयजल योजना संवद्र्धन कार्य के लिये 531.17 लाख रुपये की प्रशासनिक एवं वित्तीय मंजूरी दी गई और कार्य आदेश जनवरी, 2016 मेें जारी किया गया। इस योजना का कार्य प्रगति पर है तथा इस पर 254.56 लाख रुपये खर्च हो चुका है।
जयपुर शहर तथा जयपुर, टोंक एवं नागौर के ग्रामीण इलाकों में पेयजल आपूर्रि्त सुदृढ़ करने के लिये बीसलपुर बांध स्थित सूरजपुरा प्लांट में 200 एमएलडी के नये प्लांट का निर्माण कर उसे वर्ष 2015 के ग्रीष्मकाल से कार्य में लेना शुरू किया गया।
जयपुर शहर के विस्तार के अनुरूप पानी की बढ़ती मांग को दृष्टिगत रखते हुए बीसलपुर- जयपुर पेयजल परियोजना द्वितीय चरण में 1945 करोड़ रुपये लागत के कार्य करवाने के लिये नियुक्त सलाहकार- मैसर्स टाटा कंसल्टिंग इंजीनियर्स द्वारा पेश विस्तृत प्रतिवेदन भारत सरकार के शहरी विकास मंत्रालय को प्रेषित किया जा चुका है। साथ ही बीसलपुर बांध में योजना के लिये आवश्यक अतिरिक्त जन आरक्षण की कार्यवाही प्रक्रिया में है।
जयपुर शहर के पृथ्वीराज नगर (दक्षिण) और जामड़ोली क्षेत्र की पेयजल परियोजना विकसित करने के लिये सर्वेक्षण एवं कंसलटेन्सी निमित 222.22 लाख रुपये की प्रशासनिक एवं वित्तीय मंजूरी जारी कर कार्य आदेश अप्रैल, 2016 के आधार पर फर्म ने विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन पेश कर दिया है। इस पर अग्रिम कार्यवाही जारी है।
जयपुर-बीसलपुर परियोजना के तहत खो-नागोरियान क्षेत्र के लिये पेयजल परियोजना का कार्य पूरा कर लिया गया है।
टोंक की पुनर्गठित शहरी पेयजल योजना निमित दिसंबर, 2014 में 47.20 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई। इसका कार्यादेश दिसम्बर, 2015 में जारी किया गया। इस पर अब तक 19.25 करोड़ रुपया खर्च हो चुका है तथा कार्य प्रगति पर है।
चित्तौड़गढ़ जिले की भैंसरोड़गढ़ पंचायत समिति के 38 मुख्य गांव एवं 27 ढाणियों में पीने के पानी की व्यवस्था के लियें 50.73 करोड़ रुपये की मंजूरी दी चुकी है। इस परियोजना क्षेत्र में सेन्च्युरी एवं वन क्षेत्र होने से अभयारण्य क्षेत्र की अनुमति के लिये प्रस्ताव स्टेट बोर्ड ऑफ वाइल्ड लाईफ के पास अनमोदन की प्रक्रिया में हैं।
बाड़मेर जिले की चोहटन तहसील के 188 तथा गुढ़ामालानी तहसील के 308 गांवों को पेयजल से लाभान्वित करने के लिये चोहटन के लिये 459.64 करोड़ रुपये तथा गुढ़ामालानी के लिये 481.32 करोड़ रुपये की योजनाएं वित पोषण निमित भारत सरकार को भिजवाई गई।
बाह्य सहायता हेतु अनुमति के लिये संशोधित विस्तृत प्रतिवेदन जुलाई, 2017 को भारत सरकार के पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय को भेजा गया। वहां से अगस्त, 2017 को वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलात विभाग में जापानी संस्था जायका को वित पोषण के लिए भिजवाया गया जिसकी आवश्यक कार्यवाही प्रक्रियाधीन है।
जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग एवं केयर्न इंडिया द्वारा जनवरी, 2016 में किये गये एमओयू के अनुसार अगले तीन साल में बाड़मेर जिले में 330 स्वच्छ पेयजल संयंत्र स्थापित करने की योजना है। इस परियोजना से 800 गांवों के 10.50 लाख लोगों को शुद्ध पेयजल से लाभान्वित किया जा सकेगा। केयर्न इंडिया ने 69 आर.ओ. स्थापित कर प्लांट चालू कर दिये गये हैं।
नर्मदा एफआर परियोजना बागौर-आहोर-जालौर कार्य पूरा हो चुका है। इसी तरह जालौर-पाली योजना द्वितीय चरण पार्ट-द्वितीय जिला पाली का कार्य पूर्णता की ओर है। इस परियोजना से एक शहर, 108 गांवों के लक्ष्य की तुलना में एक शहर मारवाड़ जंक्शन एवं 41 गांवों को आंशिक रूप से लाभान्वित किया जा चुका है।
जवाई पाईप लाइन परियोजना के दूसरे चरण का प्रथम भाग पूरा हो चुका है तथा जालौर शहर पेयजल परियोजना के सुदृढ़ीकरण के साथ ही नर्मदा डी.आर. परियोजना के ट्रांसमिशन सिस्टम का मुख्य कार्य पूर्ण करवाया जा चुका है।
कुम्भाराम लिफ्ट परियोजना से झुंझुनूं जिले के सूरजगढ़ एवं उदयपुरवाटी में पेयजल योजना संबंधी निर्णय के अनुसार इसका विस्तृत प्रतिवेदन बनाया जा चुका है। इसी लिफ्ट परियोजना से सूरजढ़ कस्बा, चिड़ावा एवं बुहाना तहसील के 190 गांव एवं 69 ढाणियों में पेयजल उपलब्ध कराने के लिये 624.85 करोड़ रुपये की योजना वित्त पोषण के लिए जुलाई, 2017 को भारत सरकार के पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय को भेजी गई। वहां से इसे वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलात विभाग में जापानी संस्था जायका को वित्त पोषण के लिये अगस्त, 2017 को भिजवाया जा चुका है और कार्यवाही प्रक्रियाधीन है।
इसी प्रकार उदयपुरवाटी क्षेत्र के 94 गांव एवं 504 ढाणियों की पेयजल समस्या के निराकरण निमित 644.93 ककरोड़ रुपये योजना की उच्चाधिकार समिति द्वारा बाह्य सहायता के लिये अनुमति दिये जाने पर जुलाई, 2017 को संशोधित विस्तृत प्रतिवेदन भारत सरकार के पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय को भिजवाया गया। मंत्रालय ने अगस्त, 2017 में वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलात विभाग को उसे जापानी संस्था जायका से वित्त पोषण के लिये भेजा जाकर आवश्यक कार्यवाही प्रक्रिया में है।
बूंगी-राजगढ़ परियोजना के चूरू एवं झुंझुनूं जिले के मुख्य कार्य पूर्ण करवाये जा चुके हैं।
बाड़मेर जिले की चौहटन तहसील के 188 गांवों के लिये 459.64 करोड़ रुपये गुढ़ामालानी तहसील के 308 गांवों के लिये 481.32 करोड़ रुपये की योजना की वित्त पोषण के लिये उच्चाधिकार प्राप्त राज्यस्तरीय समिति ने दी है। इसकी संशोधित विस्तृत रिपोर्ट भारत सरकार के पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय को जुलाई, 2017 में भेजी गई। मंत्रालय ने अगस्त, 2017 में वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलात विभाग को उसे जापानी संस्था जायका से वित्त पोषण के लिये भेजा जाकर आवश्यक कार्यवाही प्रक्रिया में है।
जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग एवं केयर्न इंडिया के बीच जनवरी, 2016 में हुए एमओयू के तहत अगले तीन साल में केयर्न इंडिया द्वारा जिले में 333 स्वच्छ पेयजल संयंत्र लगाने की योजना है। इससे 800 गांवों के 10 लाख 50 हजार लोगों को शुद्ध पीने का पानी उपलब्ध हो सकेगा। केयर्न इंडिया ने अब तक 69 आर.ओ. प्लांट चालू कर दिये हैं।
इस प्रकार पिछले चार सालों में राज्य सरकार ने प्रदेश में पेयजल योजनाओं में क्षेत्रीय संतुलन बनाये रखने के साथ आवश्यकता वाले इलाकों में पेयजल आपूर्ति के पुख्ता प्रबंध किये हैं। राज्य सरकार की विभिन्न स्तरों पर प्रक्रियाधीन परियोजनाओं की सहायता राशि मिलने से पीने के पानी की समस्या से प्रभावित लोगों को राहत मिल सकेगी।
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