- April 11, 2018
सुरक्षित यातायात के लिए नई तकनीक का इस्तेमालः परिवहन मंत्री
शिमला ———– परिवहन मंत्री श्री गोविन्द सिंह ठाकुर ने बताया कि जिला कांगड़ा के नूरपुर में पिछले दिनों हुए सड़क हादसे नें पूरे प्रदेश को झिंझोड़ कर रख दिया।
उन्होंने कहा कि प्रदेश का परिवहन मन्त्री होने के नाते उन्होंने व्यवस्थाओं में खामियों का पता लगाने का प्रयास किया है। हिमाचल प्रदेश की भौगोलिक सरंचना यहाँ आवागमन को चुनौतीपर्ण तो बनाती ही है, लेकिन सड़क हादसों से जान-माल की हानि का खतरा भी बना रहता है।
उन्होंने कहा कि देश में सड़क हादसों में करीब दो लाख चालीस हजार भारतीय प्रतिवर्ष जान गंवाते हैं। सड़क हादसों का दुःखद पहलु यह है कि अधिकतर मामलों में घर का प्रमुख व्यक्ति हादसे का शिकार होता है, जिससे पूरा परिवार आर्थिक, सामाजिक और मानसिक रूप से प्रभावित होता है।
सड़क दुर्घटनाओं का समाज पर नकारात्मक और व्यापक प्रभाव पड़ता है, जिसका निवारण केवल रोकथाम के उपायों से ही किया जा सकता है।
हिमाचल प्रदेश में सड़क हादसों पर अंकुश लगाने के लिए सड़क सुरक्षा को व्यापक पैमाने पर प्रचार करने और इस दिशा में कड़े कदम उठाने की आवश्यकता हैं।
सुरक्षित यातायात के लिए प्रदेश में विभिन्न उपायों को लागू किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों के साथ मिलकर कार्य योजना बनाई जाएगी तथा यहाँ की भौगोलिक परिस्थितियों के अनुरूप स्मार्ट तकनीकों को विकसित किया जाएगा।
सड़क सुरक्षा को लेकर जानकारी व जागरूकता फैलाने के लिए इन्टरनेट और एंड्राइड एप्लीकेशन विकसित किये जाएंगे तथा हेलमेट, सीटबेल्ट, स्पीड गवर्नर और ब्रेथ अनालाय्जेर जैसे उपकरणों के व्यवहारिक उपयोग पर कार्य किया जाएगा।
वाहन चालकों और आम नागरिकों को जागरूक बनाने के लिए सभी हितधारकों, स्कूल कॉलेज के विद्यार्थियों, स्वयंसेवी संगठनों, महिला एवं युवक मंडलों को जागरूकता अभियानों में शामिल किया जाएगा, जिसमें विशेषज्ञों के साथ पैनल विचार-विमर्श, नुक्कड़ सभाएं, और ‘गो स्लो’, ‘बीयर हेल्मेट’, ‘बीयर सीटबेल्ट’ जैसे अभियान चलाएं जाएँगे।
मंत्री ने बताया कि प्रदेश सरकार मोटर वाहन अधिनियम तथा अन्य सम्बंधित कानूनों, नियमों और अधिनियमों को आम जनता के लिए सुलभ बनाएगी, ताकि नागरिक कानूनी दायित्वों और बाध्यताओं को भली प्रकार समझ सकें। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए कॉमिक मोड्यूल और विडियो ट्युटोरियल तैयार किये जाएंगे तथा वाद-विवाद और विचार-विमर्श अधिवेशनों का आयोजन किया जाएगा।
सरकार गठित होने के पहले 100 दिनों में सड़क सुरक्षा तथा अन्य विषयों पर बस ओपरेटरों तथा ट्रक यूनियनों से विचार-विमर्श किया गया तथा उनके सुझावों को सरकार के निर्णयों के तहत लागू करने का प्रयास भी किया है।
बढ़ती सड़क दुर्घटनाएँ वर्तमान समय में हम सभी के लिए एक बड़ी चुनौती है, लेकिन नागरिकों के प्रति हमारा उतरदायित्व हमें इन्हें हल करने की प्रेरणा देता रहेंगा।
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