• July 19, 2018

सीवेज ट्रीटमेंट–सीवरेज की लाईनों में जूता, प्लास्टिक की बोतलें इत्यादि न डालें–जनस्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी मंत्री डा. बनवारी लाल

सीवेज ट्रीटमेंट–सीवरेज की लाईनों में जूता, प्लास्टिक की बोतलें इत्यादि न डालें–जनस्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी मंत्री डा. बनवारी लाल

चण्डीगढ़———— हरियाणा के जनस्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी मंत्री डा. बनवारी लाल ने कहा कि राज्य के विभिन्न सीवेज ट्रीटमेंट प्लांटों से निकलने वाले वेस्ट पानी को पुन: प्रयोग करने के लिए राज्य सरकार द्वारा संभावनाएं तलाशी जाएंगी। विभिन्न सीवेज ट्रीटमेंट प्लांटों से निकलने वाले वेस्ट पानी को कृषि, बागवानी, थर्मल बिजली संयंत्रों और संस्थाओं इत्यादि में प्रयोग किया जा सकता है, जिसके लिए राज्य सरकार भविष्य में आवश्यक कदम उठाएगी।

डा. बनवारी लाल ने यह जानकारी हाल ही में सिंगापुर दौरे से संबंधित अनुभवों को सांझा करते हुए दी।

उन्होंने कहा कि राज्य के शहरों में पानी की किल्लत को दूर करने के लिए लोगों में पानी सरंक्षण को लेकर जागरूकता, पानी की रिसाइकिलिंग और रेनवाटर हारवेस्टिंग करके पानी को बचाया जा सकता है और इस बारे में राज्य सरकार संभावनाएं तलाश रही है।

उन्होंने कहा कि सीवरेज से जो स्लज अर्थात कीचड़ या मल निकलता है, उससे बायो-गैस और खाद बनाई जा सकती है लेकिन हरियाणा में बायो-गैस के उत्पादन पर कार्य चल रहा है।

सिंगापुर दौरे से संबंधित अनुभवों को सांझा करते हुए उन्होंने कहा कि सिंगापुर शहर पानी के लिए मलेशिया पर निर्भर था, लेकिन कभी-कभी सिंगापुर को मलेशिया से मिलने वाले पानी के लिए दिक्कत का सामना भी करना पड़ता था। इसलिए सिंगापुर सरकार ने अपने यहां के पानी के प्रयोग के बारे में सोचा और इसके लिए सिंगापुर सरकार ने बारिश के पानी को एक जलाशय में इकटठा किया ताकि उसको ट्रीट किया जा सके और पानी का पुन: प्रयोग किया जा सके।

सिवरेज ट्रीटमेंट प्लांटों से निकलने वाले वेस्ट वाटर को भी पुन: प्रयोग करने के लिए सिंगापुर सरकार ने न्यू वाटर का नाम दिया और इस पानी को वे घरों, बागवानी इत्यादि में प्रयोग करते हैं। इस रॉ- वाटर को वे वाहनों की धुलाई में भी प्रयोग करते हैं। उन्होंने कहा कि इस न्यू वाटर को वे जलाशय में डाल देते है और उसे ट्रीट करके पीने के लायक भी बनाते हैं।

उन्होंने बताया कि सिंगापुर दौरे के दौरान उनके साथ गए प्रतिनिधिमंडल ने सिंगापुर में लगाए गए चंगी जल पुर्नवास संयंत्र और जूरोंग जल पुनर्ववास संयंत्र का भी दौरा किया।

उन्होंने कहा कि हमें पानी को बचाने के लिए लोगों को जागरूक करना होगा और उनकी पानी के बचत को लेकर सोच बदलनी होगी, कि पानी हमारे जीवन के लिए कितना आवश्यक है। इसी कड़ी में सरकार ने 31 दिसंबर, 2018 तक हर खुले नल पर टूटी लगाने का निर्णय लिया है और इसे टूटी लगाओ- जल बचाओं का स्लोगन दिया गया है।

उन्होंने कहा कि प्राय: यह देखा जाता है कि पानी की कमी नहीं होती परंतु पानी व्यर्थ ज्यादा होता है। इसी प्रकार, जहां कहीं भी सिवरेज में ब्लाकेज होती है तो उसमें भी लोगों को जागरूक करें कि सीवरेज की लाईनों में जूता, प्लास्टिक की बोतलें व चीजें इत्यादि न डाले, जिससे कि सीवेरज की लाईनों में किसी भी प्रकार की ब्लाकेज न हो।

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