समाधान / आर्थिकी November 24, 2014 सिनेमा का मतलब प्यार और जिम्मेदारी है, व्यवसाय नहीं : मोहसेन मखमाल्बफ shailesh October 12, 2012 सूचना एवं प्रसारण मंत्रालयः नई दिल्ली – सिनेमा के विभिन्न व्यक्तियों के लिए विभिन्न अर्थ होते हैं। मेरे लिए सिनेमा समाज के लिए प्रेम और जिम्मेदारी है, न कि व्यवसाय। यह कहना है ईरान में न्यू वेव सिनेमा के रचनाकारों में से एक मोहसेन मखमाल्बफ का। शनिवार को यहां 45वें अंतर्राष्ट्रीय भारतीय फिल्म समारोह (इफ्फी) के दौरान संवाददाताओं से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि वह भारत को इसकी संस्कृति, विचारों की विविधता, दर्शनों और अहिंसा के गांधी जी के विचारों के कारण प्यार करते हैं। वे भारतीय दर्शकों को सिनेमा पर उनकी टिप्पणी करने, विचारों को साझा करने और विचार-विमर्श करने के तरीकों के कारण प्यार करते हैं। अपनी सिनेमाई यात्रा के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि अपनी दादी मां के धार्मिक विचारों के कारण एक बच्चे के रूप में वह कोई फिल्म नहीं देख सके। वो उनको कहा करती थी कि सिनेमा देखने वाले जहन्नुम में जाते हैं। मखमाल्बफ को सियासी वजहों से गिरफ्तार कर लिया गया और वे पांच साल तक जेल में रहे। उन्होंने गोलियों के घाव सहे और उनकी तीन शल्य चिकित्साऐं हुईं। जेल में 6 महीने रहने के बाद उन्हें किताबों को पढ़ने की सुविधा सुलभ हुई जहां उन्होंने चार वर्षों की कैद के दौरान लगभग 2000 किताबें पढ़ी। प्रारंभ में वह चे गुवेवारा के क्रांतिकारी विचारों से प्रभावित थे, बाद में महात्मा गांधी के अहिंसा के विचारों को पसंद करने लगे। 1979 की ईरान की क्रांति के बाद रिहा होने पर 22 वर्ष की उम्र में उन्होंने पहली फिल्म देखी। सिनेमा का उन पर ऐसा ही प्रभाव पड़ा जैसे किसी अंधे को अचानक रोशनी मिल जाए और उन्होंने इस माध्यम की शक्ति का उपयोग लोगों की सेवा में करने का फैसला किया। तानाशाहों के साथ निपटने के दो तरीके होते हैं- हत्या और चिंतन। तानाशाह की हत्या समस्या का समाधान नहीं करती क्योंकि यह व्यक्ति विशेष को मारती है न कि उसकी तानाशाही प्रवृतियों को। लेकिन चिंतन में लोगों की मानसिकता को बदलने और इन प्रवृतियों की सहायता करने की क्षमता होती है। उन्होंने कहा कि उनकी ज्यादातर फिल्में सत्ता और लोकतंत्र के बारे में हैं। उन्होंने अपनी पहली फिल्म धार्मिक विश्वासों में जकड़े आम लोगों के लिए बनाई थी। उन्होंने कहा कि उनके परिवार में पांच फिल्म निर्माता हैं जिनमें तीन महिलाएं और दो पुरुष हैं। उनकी पत्नी मरजिह मेशकिनिहास ने फिल्म ’द डे आई बीकेम ए वूमेन’ (रूजीकीजानशोदाम) का निर्देशन किया है। इसे 45वें इफ्फी में दिखाया जा रहा है। यह फिल्म ईरान की महिलाओं की स्थिति के बारे में है। Share on FacebookTweetFollow usSave