सिंह के 3० दिन—2000 परीक्षण प्रतिदिन–10 प्रयोगशालाओं में परीक्षण–बहुआयामी हो गई -प्लॉनर, इम्पलीमेंटर और मोटीवेटर

सिंह के 3० दिन—2000 परीक्षण प्रतिदिन–10 प्रयोगशालाओं में परीक्षण–बहुआयामी हो गई -प्लॉनर, इम्पलीमेंटर और मोटीवेटर

भोपाल :——— मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने 23 मार्च को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। उनके शपथ लेने के पहले ही प्रदेश में कोरोना की आमद की सूचना थी परन्तु प्रदेश में उससे निपटने की तैयारी नहीं थी।

मुख्यमंत्री ने शपथ लेते ही रात को ही कोरोना रोकथाम के संबंध में उच्च स्तरीय बैठक कर जो आवश्यक काम का जो सिलसिला शुरू किया, वह आज तक जारी है। कोरोना संकट के कारण ही मंत्रीमण्डल गठन में विलम्ब हुआ।

मुख्यमंत्री को ही वन मेन आर्मी के रूप में कोरोना से युद्ध लड़ना पड़ा। उन्होंने कोरोना से लड़ाई का पूरा सिस्टम नये सिरे से खड़ा किया और वह भी तब जब लॉकडाउन के कारण जरूरी सेवाओं वाले विभागों को छोड़कर शेष सारे सरकारी दफ्तर बंद थे, यहाँ तक कि मंत्रालय भी ऐसे में मुख्यमंत्री श्री चौहान की भूमिका बहुआयामी हो गई -प्लॉनर, इम्पलीमेंटर और मोटीवेटर।

इन तीनों भूमिका में मुख्यमंत्री खरे उतरे। पिछले तीस दिन में मुख्यमंत्री ने जिस तरह तेजी से सुविचारित फैसले लेकर मध्यप्रदेश और यहाँ के लोगों को कोरोना के खिलाफ युद्ध में एकजुट किया, वह काबिले तारीफ है। मुख्यमंत्री की निगाह से संकट के इस दौर में प्रदेश का कोई वर्ग अछूता नहीं रहा, उन्होंने सबकी चिंता की। उनकी चिंताओं के मूल में रहा कोरोना से लड़ाई और इसमें प्रदेशवासियों की मदद।

कोरोना से बचाव के लिये स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को मजबूत बनाया

जैसा कि स्पष्ट है कि मुख्यमंत्री ने 23 मार्च को शपथ लेते ही अपने आपको कोरोना के विरूद्ध संघर्ष में एक योद्धा की तरह झोंक दिया। नतीजा भी अच्छा आया। 23 मार्च के पहले जहाँ प्रदेश में कोरोना की व्यापकता की तुलना में सुविधाएँ और उपलब्धियाँ बहुत कम थी। आज एक माह बाद प्रदेश की चिकित्सा प्रणाली इस संक्रमण के विरूद्ध पहले से अधिक मजबूत है।

आज राज्य में 10 प्रयोगशालाओं में परीक्षण किये जा रहे हैं। इसी तरह दैनिक जाँच में भी वृद्धि हुई है। पूर्व में 1050 दैनिक परीक्षण हो रहे थे, अब 2000 परीक्षण प्रतिदिन हो रहे हैं। कुछ अन्य प्रयोगशालाओं को शुरू करने की प्रक्रिया जारी है। परीक्षण किट भी सुलभ है और लगातार आपूर्ति की जा रही है।

परीक्षण उपकरणों की बात करें तो प्रदेश के पास 22 हजार 520 आरटीपीसीआर है, 14 हजार 200 मैनुअल आर.एन.ए. हैं। पीपीई किट एक लाख से अधिक हैं, इनमें से 2500 रोजाना वितरित की जाती हैं। एन-95 मास्क की उपलब्धता एक लाख 86 हजार है, जिसमें से अभी तक 50 हजार वितरित किये गये हैं। हाइड्रोक्सी-क्लोरोक्वीन की 33 लाख से ज्यादा गोलियाँ और 2776 आक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध हैं।

संक्रमण प्रभावितों के लिये 29 हजार 350 से अधिक आइसोलेशन बेड उपलब्ध है। 690 वेंटिलेटर के साथ प्रदेश में लगभग 840 आई.सी.यू. बेड भी उपलब्ध है, जिनकी संख्या लगातार बढ़ाई जा रही हैं। आवश्यकतानुसार छात्रावासों सहित अनेक शासकीय और निजी भवनों, उद्यानों, सामुदायिक केन्द्रों और शादी हॉलों को पूर्ण सुविधायुक्त क्वारेंटाइन सेन्टर में तब्दील किया गया है।

कोरोना से मध्यप्रदेश की जंग में लोक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग भी मुस्तैद है। एक माह पहले सेम्पल की टेस्टिंग क्षमता नहीं के बराबर थीं जो अब शीघ्र ही 5000 प्रतिदिन हो जायेगी। स्वास्थ्य अमले को कोरोना से जंग में मदद के लिये 59 पृष्ठीय विस्तृत मार्गदर्शिका भी तैयार की गई है।

कोरोना से संघर्ष के दौर में सबसे पहले मध्यप्रदेश अपनी जड़ों की ओर लौटा है। इम्युनिटी बढ़ाओ – कोरोना भगाओ के ध्येय से लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने मार्च और अप्रैल माह में 1964 दलों ने होम्यौपैथी, यूनानी, आयुर्वेदिक दवा और काढ़े का डोर टू डोर वितरण किया। अप्रैल माह की 16 तारीख तक करीब 40 लाख परिवारों के 97 लाख लोगों को आयुर्वेदिक औषधियाँ दी जा चुकी हैं। आने वाले समय में एक करोड़ परिवारों को त्रिकूट काढ़ा (चूर्ण) मुफ्त बाँटा जायेगा। आयुष विभाग रोग प्रतिरोधक क्षमता संबंधी जागरूकता लाने के प्रयास भी कर रहा है।

मॉस्क पहनो कोरोना से दूरियाँ बनाओ

नागरिकों को फिलहाल मॉस्क पहनना अनिवार्य कर दिया गया है। मनरेगा कार्यों में महिला स्व-सहायता समूहों के माध्यम से मॉस्क बनवाये जा रहे हैं। साथ ही गमछे, तौलिया, दुपट्टे की तीन तहों से निर्मित घरेलू मॉस्क के स्थानीय स्तर पर निर्माण और पहनने को प्रोत्साहित किया जा रहा है।

राज्य सरकार ने मॉस्क और सेनेटाइजर की उपलब्धता को सभी की पहुँच में बनाने के लिये उनकी दरें भी निर्धारित की हैं। मॉस्क पहनने का महत्व बताने के लिये गाँवों, शहरों और बस्तियों में जागरूकता अभियान निरंतर जारी हैं।

इंदौर और भोपाल में संक्रमण रोकने के लिये पुख्ता इंतजाम

इन्दौर और भोपाल में संक्रमण से संभावित क्षेत्रों में घर-घर जाकर लोगों में लक्षण के संबंध में पूछताछ की गई। घरों में ऐसे सदस्यों की पहचान दर्ज की गई जो बुजुर्ग हैं और जो पहले से साँस संबंधी या किसी अन्य बीमारी से पीड़ित हैं। इससे संक्रमण की ज्यादा संभावना वाले क्षेत्रों की पहचान संभव हो सकी। इन क्षेत्रों की पहचान के बाद यहाँ आवागमन पूरी तरह रोक दिया गया। इंदौर में अभी तक 12 लाख नागरिकों का सर्वे हो गया है। कोरोना वायरस से निपटने के लिये 1800 टीम द्वारा शहर भर की स्क्रीनिंग का कार्य शुरू होने जा रहा है।

पीपीई किट अब प्रदेश में ही बन रही हैं

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कोरोना मरीजों की सेवा में लगे अमले के उपयोग के लिये पीपीई किट की समस्या को सुलझाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। पीपीई किट की उपलब्धता बढ़ाने के लिये मध्यप्रदेश की ही प्रतिभा सिंटेक्स कंपनी को चुना गया। इनोवेटिव, एप्कोन एण्ड ट्रेंड्स अपेरल कम्पनी को भी इससे जोड़कर इनसे प्रदेश में ही पीपीई किट बनाने को कहा गया। इससे विदेशों से पीपीई किट मँगाने में होने वाली देरी खत्म हुई। आज प्रदेश में एक लाख से अधिक पीपीई किट है। पीपीई किट उत्पादन 7 से 8 हजार प्रतिदिन पहुँच गया है, जो आने वाले दिनों में 10 हजार किट प्रतिदिन हो जायेगा।

जिले में क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप

हर जिले में कोविड संक्रमण की रोकथाम एवं बचाव की ठोस रणनीति तैयार करने के उद्देश्य से जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में जिला क्राइसिस मैनेंजमेंट ग्रुप काम कर रहे हैं। ये ग्रुप रोज बैठक कर अगले 24 घंटे की पुख्ता रणनीति बनाते हैं।

किसानों की उपज के उपार्जन की सुसंगत व्यवस्थाएँ

संकट के इस दौर में किसानों को उनकी उपज का दाम दिलाने के लिये मुख्यमंत्री ने उपार्जन की सुसंगत व्यवस्थाएँ की हैं। अप्रैल 15 से उपार्जन कार्य प्रारम्भ है। किसान को तीन प्रकार से अपनी फसल बेचने की सुविधा दी गयी है – पहला उपार्जन केन्द्र से, दूसरा मंडी द्वारा अधिकृत प्राइवेट खरीद केन्द्रों से और तीसरा मंडी में पंजीकृत व्यापारी को सौदा पत्रक के माध्यम से ग्राम स्तर पर। उपार्जन केन्द्रों पर सोशल डिस्टेंसिंग के साथ ही स्वास्थ्य परीक्षण की भी व्यवस्था की गयी है।

कोरोना आपदा से ग्रामीण अर्थ व्यवस्था पर पड़े प्रभाव और समय पर फसल कटाई न होने, उपज बिक्री में देरी और अन्य दीगर कारणों से प्रदेश के किसान भाइयों को परेशानी हुई है। सरकार ने उनके हित में अनेक निर्णय लिये हैं। किसान क्रेडिट कार्ड के भुगतान की अंतिम तिथि 30 अप्रैल तक बढ़ा दी गई है। पिछली सरकार द्वारा खरीफ एवं रबी फसलों के लिये फसल बीमा राशि के रूप में 2200 करोड़ रूपये का भुगतान नहीं किया गया था, जिससे किसानों को फसल बीमा का लाभ नहीं मिल सका।

वर्तमान राज्य सरकार ने मार्च माह में ही बीमा कंपनियों को 2200 करोड़ रूपये जारी कर दिये। अब शीघ्र ही प्रदेश के 15 लाख किसानों को 2900 करोड़ रूपये की बीमा राशि प्राप्त होगी। फसल कटाई के लिये श्रमिक, हार्वेस्टर, थ्रेशर, ट्रेक्टर आदि के आवागमन पर सोशल डिस्टेंसिंग के मापदण्डों का पालन करते हुए छूट प्रदान की गयी है, जिससे फसल कटाई निर्विघ्न सम्पन्न हो गई है। किसानों को इस वर्ष भी शून्य ब्याज दर पर ऋण दिया जाने का निर्णय लिया गया है। किसानों को प्राथमिक कृषि सहकारी साख समितियों के माध्यम से शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर जो फसल ऋण वर्ष 2018-19 में दिया गया था, उसके भुगतान की अंतिम तिथि बढ़ाकर 31 मई कर दी गयी है।

प्रदेश में तेंदूपत्ता तुड़ाई का कार्य भी 25 अप्रैल से शुरू हो रहा है। तेन्दूपत्ता की क्रय दर इस बार 2500 रूपये प्रति मानक बोरा निर्धारित है। सभी लघु वनोपज जैसे – हर्रा, बहेड़ा, महुआ आदि के क्रय के लिये भी दरें जारी की गयी हैं।

लॉकडाउन से प्रभावित जरूरतमंदों को राहत

लॉकडाउन के कारण प्रदेश के और अन्य राज्यों में फंसे मध्यप्रदेशवासियों की चिंता भी मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने की। राज्य के गरीब परिवारों को एक माह का राशन नि:शुल्क दिया गया। सहरिया, बैगा और भारिया जनजाति के परिवारों को दी जाने वाली सहायता राशि दो माह की एडवांस में दी गई। मकान मालिकों से फिलहाल किरायेदार से किराया न लेने और फेक्ट्री श्रमिकों वेतन और मानदेय देने के निर्देश दिये गये।

पंजीकृत निर्माण श्रमिकों के खातों में 88 करोड़ 50 लाख 89 हजार रुपये की आपदा राशि ट्रांसफर की गई। इससे 8 लाख 85 हजार 89 श्रमिकों को एक-एक हजार रुपये मिले। शासकीय/अशासकीय शालाओं के कक्षा 1 से 12वीं तक के 52 लाख विद्यार्थियों के खाते में 430 करोड़ रुपये विभिन्न छात्रवृत्ति योजनाओं की राशि ऑनलाइन ट्रांसफर की गई। समेकित छात्रवृत्ति योजना में 52 लाख विद्यार्थियों के खातों में 430 करोड़ रुपये की राशि जमा कराई गई। मध्यान्ह भोजन वितरण में 66 लाख 27 हजार विद्यार्थियों के लिये 117 करोड़ रुपये की राशि उनके अभिभावकों के खातों में डाल दी गई। प्राथमिक शाला के विद्यार्थियों को 148 रुपये प्रति विद्यार्थी और माध्यमिक शालाओं के विद्यार्थियों को 221 रुपये प्रति विद्यार्थी के मान से राशि दी गई। मध्यान्ह भोजन योजना के 2 लाख 10 हजार 154 रसोइयों को मानदेय की कुल राशि 42 करोड़ 3 लाख 8 हजार रुपये प्रति रसोइयाँ 2000 रुपये के मान से उनके खातों में जमा कराई गई।

कोरोना महामारी के कारण अनुसूचित जाति एवं जनजाति बहुल क्षेत्रों में बन्द हो गये स्कूलों में पदस्थ अतिथि शिक्षकों के वेतन का भुगतान अप्रैल माह तक कर दिया गया है।

कुपोषण से मुक्ति के लिये आहार अनुदान योजना में प्रति माह 1000 रुपये के मान से दो माह का अग्रिम भुगतान किया गया है। यह राशि विशेष पिछड़ी जनजाति की विवाहित महिलाओं के खाते में भेजी गई।

प्रदेशों में फँसे मध्यप्रदेशवासियों की चिंता

अन्य 22 राज्यों में लॉकडाउन के कारण फँसे मध्यप्रदेश के 7 हजार प्रवासी श्रमिकों के खातों में एक हजार रुपये ट्रांसफर करने का निर्णय लेकर 70 लाख रुपये की सहायता राशि उनके खातों में जमा करवाई गई। इसी तरह 12 हजार नागरिकों को भी सुविधाएँ दी गई। पिछले 30 दिनों में 17 हजार से अधिक बाहर के प्रदेशों में रह रहे लोगों द्वारा सम्पर्क किया गया।

कोरोना योद्धा कल्याण योजना बनाई

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने स्वास्थ्य कर्मियों के लिये 50 लाख रूपये तक का बीमा करने की घोषणा की है। मध्यप्रदेश सरकार ने एक कदम आगे बढ़कर मुख्यमंत्री कोरोना योद्धा कल्याण योजना बनाकर स्वास्थ्य विभाग के अलावा भी कोरोना संकट से लड़ने वाले सरकारी अमले को किसी अनहोनी होने पर 50 लाख रूपये देने का प्रावधान किया है।

स्वास्थ्य कर्मियों को 10 हजार रुपये की विशेष प्रोत्साहन राशि

कोरोना पॉजिटिव मरीज के साथ काम कर रहे स्वास्थ्य कर्मियों को 10 हजार रूपये प्रतिमाह की विशेष प्रोत्साहन राशि दी जायेगी। इसी प्रकार यदि किसी भी विभाग का कर्मी कोरोना नियंत्रण संबंधी कार्य करते हुए कोविड पॉजिटिव हो जाता है तो उसे भी 10 हजार की एकमुश्त सहायता राशि दी जायेगी।

राज्य सरकार द्वारा शासकीय अस्पतालों एवं चिकित्सा महाविद्यालयों एवं उनसे संबद्ध अस्पतालों में कार्यरत उन सभी चिकित्सकों एवं स्वास्थ्य कर्मियों को, जिनके द्वारा कोविड अस्पताल में कोविड पॉजिटिव मरीज की चिकित्सा/ देखभाल की जा रही है, उन्हें प्रतिमाह 10 हजार रूपये की विशेष प्रोत्साहन राशि प्रदान किये जाने का निर्णय लिया गया है। कोरोना संक्रमण से बचाव में उत्कृष्ट कार्य करने वाले पुलिसकर्मियों को कर्मवीर पदक और उत्कृष्ट कार्य करने वाले चिकित्सकीय अमले एवं अन्य अधिकारी/ कर्मचारियों को कर्मवीर सम्मान दिये जाने का निर्णय लिया गया है।

वर्तमान में खदानों की रॉयल्टी से अर्जित निधि का उपयोग स्थानीय विकास में किया जाता है। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने इस निधि का उपयोग कोरोना की रोकथाम में करने का निर्णय लिया है। उन्होंने 8 करोड़ रूपये से अधिक के ऐसे प्रस्तावों को मंजूरी भी दी है।

आई.टी. का भरपूर उपयोग

वायरस के फैलाव को रोकने में सबसे जरूरी शर्त सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करवाने में सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जा रहा है। विभिन्न जिलों से सूचना प्रौद्योगिकी आधारित सेवाएँ देने के नवाचारी उपायों के उदाहरण सामने आये हैं। आम लोग घर पर इन उपायों और सुविधाओं का बेहतर उपयोग कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान स्वयं वीडियो कांफ्रेंसिंग से महत्वपूर्ण समीक्षा बैठकें ले रहे हैं। शासकीय अधिकारी/ कर्मचारी भी वीडियो कान्फ्रेंसिंग की सुविधा से ही अपना अधिकांश कार्य कर रहे हैं। किसानों को एस.एम.एस. देकर फसल भण्डारण के लिये बुलाया जा रहा है।

आरोग्य सेतु एप्प, सीएम हेल्पलाइन 181, टेलीमेडिसिन, सर्व ग्वालियर एप्प, सार्थक एप (खण्डवा और सागर) जैसे कई नवाचारी प्रयास उपयोगी सिद्ध हो रहे हैं। स्कूल शिक्षा विभाग का मोबाइल एप ‘टॉप पैरंट’ विद्यार्थियों को घर पर रहकर पढ़ाई जारी रखने में मददगार साबित हो रहा है। ‘डिजी लैप – आपके घर’ योजना के माध्यम से 12वीं तक के विद्यार्थी अंग्रेजी, हिन्दी, गणित और विज्ञान आदि विषयों की अध्ययन सामग्री व्हाट्सएप पर ही प्राप्त कर रहे हैं।

जनसम्पर्क विभाग ने फेसबुक के सहयोग से एमपी गव्हर्नमेंट कोरोना व्हाट्सएप इन्फोडेक और विभाग का आधिकारिक फेसबुक मैसेंजर ‘चैटबॉट’ तैयार कराया है। कोरोना व्हाट्सएप हेल्प डेस्क (+917834980000) और मैसेंजर चैटबॉट पर आसानी से कोरोना वायरस संक्रमण से जुड़ी जानकारी मिल रही है।

लॉकडाउन के दौरान ग्वालियर नगर में रोजमर्रा की वस्तुएँ उपलब्ध कराने में ‘सर्व ग्वालियर एप’ अहम भूमिका निभा रहा है। इससे नागरिकों को माँग आधारित होम डिलेवरी कर जरूरत की वस्तुएँ निर्धारित दरों पर उपलब्ध कराई जा रही हैं। सीएम हेल्प लाइन 181 पर लाखों लोगों को कोरोना संक्रमण से संबंधित जानकारी मिल रही है।

राज्य स्तरीय कंट्रोल रूम

राज्य स्तरीय कंट्रोल कक्ष में 450 प्रशिक्षित कर्मचारियों को पदस्थ किया गया। यह नियंत्रण कक्ष 24 घंटे स्मार्ट सिटी कार्पोरेशन भोपाल के इंटीग्रेडेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर में नागरिकों एवं प्रवासियों की विभिन्न समस्याओं को प्राप्त कर संबंधितों के पास निराकरण के लिये भेज रहा है। स्वयं मुख्यमंत्री श्री चौहान ने प्रदेश के मुख्यमंत्रियों को प्रवासी मध्यप्रदेशवासियों को आवश्यक सुविधा जैसे भोजन, राशन, चिकित्सा, आवास आदि उपलब्ध कराने का अनुरोध किया है।

उनके प्रदेश के ऐसे लोगों को पूरा सहयोग देने का आश्वासन दिया जो मध्यप्रदेश में रह गये हैं। पिछले 21 दिनों में प्रतिदिन 17 हजार व्यक्तियों द्वारा सम्पर्क किया गया तथा मध्यप्रदेश के एक लाख 18 हजार ऐसे निवासियों से संपर्क किया गया, जो अन्य राज्यों में हैं।

उन्हें जरूरी सुविधाएँ राज्य स्तरीय कंट्रोल सेंटर के माध्यम से राज्य के नौ वरिष्ठ आई.ए.एस. अधिकारियों द्वारा उपलब्ध कराई जा रही है। अन्य प्रदेशों के भी लगभग 12 हजार नागरिकों को प्रदेश में समस्त सुविधाएँ उपलब्ध कराई गईं। मध्यप्रदेश के नागरिक तथा प्रवासी अन्य राज्यों के नागरिक जो अपने निवास स्थान पर नहीं हैं, उनको लगभग 5 लाख 80 हजार भोजन के पैकेट शासन की विभिन्न संस्थाओं तथा स्वयं सेवी संस्थाओं द्वारा प्रतिदिन उपलब्ध कराये जा रहे हैं।

अब सभी जिलों में ट्रेकिंग सिस्टम

प्रदेश में सभी पाजिटिव्ह केस की पहचान की कोशिश की जा रही है। इसके लिये सभी जिलों में ट्रेकिंग सिस्टम लागू किया गया है। COVID पोर्टल भी बनाया गया है जो हर जिले को सर्वेक्षण डेटा का एक्सेस उपलब्ध कराता है और जिसे राज्य स्तर पर ट्रेक किया जा सकता है। इस पोर्टल से जिला प्रशासन संदिग्ध मामलों और सकारात्मक मामलों पर नजर भी रखता है।

वालिंटियर बनो – सेवा करो

लोगों को कोरोना से संघर्ष के लिये तैयार करने के लिये ‘वालिंटियर बनो-सेवा करो’ की भावना से प्रेरित किया जा रहा है। कोरोना संकट के दौरान राहत कार्यों में अपना योगदान देने के इच्छुक लोग https://mapit.gov.in/COVID-19/Login.aspx वेबसाइट पर पंजीयन करवा सकते हैं।

लोगों को जागरूक करने और जानकारी देने का अभियान

प्रदेश में कोरोना से जंग में एनसीसी, एनएसएस तथा जन-अभियान परिषद की लगभग 10 हजार प्रस्फुटन समितियाँ, मेंटर्स और स्वैच्छिक संगठन भी वर्तमान में सक्रिय है और इनका नेटवर्क गाँव-गाँव में जाकर कार्य कर रहा है। इनके द्वारा वर्तमान में लगभग 24 हजार ग्रामों में दीवार लेखन और भोजन एवं दवा जैसी आवश्यक सामग्री का वितरण, मॉस्क वितरण किया गया है। बैंक तथा राशन दुकानों में सोशल डिस्टेंसिंग तथा सेनिटाईजर का उपयोग प्रारम्भ किया गया है।

कोरोना रोकथाम के ‍लिये फ्रंटलाइन वॉरियर्स मोर्चे पर

सरकार प्रदेश के लोगों की सुरक्षा के साथ ही सरकारी अमले की सुरक्षा में भी कोई कसर नहीं छोड़ रही है। पुलिस अधिकारी, प्रशासनिक अधिकारी, स्वास्थ्य विभाग कर्मी सरकार के फ्रंटलाइन वारियर्स हैं। अपने दायित्वों को निभाते हुए दुर्भाग्य से इनमें से कुछ लोगों में संक्रमण पाया गया है।

प्रोटोकॉल के तहत उन्हें उपचार दिया जा रहा है। राज्य सरकार ने सभी महत्वपूर्ण अधिकारियों की दूसरी पंक्ति तैयार कर ली है, ताकि यदि कोई अधिकारी दुर्भाग्य से संक्रमित हो जाए, तो दूसरी पंक्ति के अधिकारी अपना कर्त्तव्य निभा सकें।

कुल मिलाकर मध्यप्रदेश सरकार कोरोना वायरस की आपदा से लड़ने के लिये अच्छी तरह से तैयार है। स्वयं मुख्यमंत्री, हाल ही में बनाये गये पाँच मंत्रीगण, मुख्य सचिव, सभी वरिष्ठ अधिकारी, अन्य जन-प्रतिनिधि और प्रशासन कोरोना से पूरी ताकत के साथ लड़ रहे हैं। मॉनिटरिंग के पूरे इंतजाम हैं। वरिष्ठ और सक्षम अधिकारी हर क्षेत्र में व्यवस्था को देख रहे हैं।

शासकीय और निजी अस्पतालों, मेडिकल कॉलेजों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए हैं। नर्सिंग होम एसोसिएशन के सहयोग से प्राइवेट चिकित्सालयों के प्रशिक्षण का कार्यक्रम भी किया गया है। कई निजी चिकित्सालयों ने अपना पूरा अस्पताल ही इस महामारी से निपटने के लिये सरकार को देने का प्रस्ताव दिया है। कई नगरों में निजी चिकित्सालय का उपयोग प्रदेश सरकार कोरोना से जंग में कर भी रही है।

कोविड 19 वायरस जैसे विनाशक शत्रु से लड़ने में निहत्था खड़ा मध्यप्रदेश अब सभी जरूरी अस्त्र-शस्त्र से सम्पन्न हो गया है। संस्थागत व्यवस्थाओं की मजबूती से लेकर सुरक्षात्मक उपकरणों के उत्पादन में आत्म-निर्भरता हासिल करने तक हर मोर्चे पर मध्य प्रदेश अब तैयार है।

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