• December 16, 2015

सामुदायिक आधारित कुपोषण प्रबंधन कार्यक्रम :पोषण अमृत

सामुदायिक आधारित कुपोषण प्रबंधन कार्यक्रम :पोषण अमृत

जयपुर -प्रदेश के 13 जिलों में अतिकुपोषण बच्चों की पहचान कर उन्हें सघन निगरानी में पौष्टिक आहार उपलब्ध कराकरृ कुपोषण विमुक्त करने के उद्घेश्य से संचालित सामुदाय आधारित कुपोषण प्रबंधन कार्यक्रम (सीमेम) के तहत् चयनित 9 हजार 176 कुपोषित बच्चों को 21 दिसम्बर से पोषण आहार ”पौषण अमृत” का नि:शुल्क वितरण प्रारंभ किया जायेगा। चिन्ह्ति बच्चों के लिए यह प्रत्येक सप्ताह के लिए पौष्टिक आहार की खुराक निर्धारित 550 उपस्वास्थ्य केन्द्रों पर प्रत्येक रविवार को पोषण दिवस आयोजित किया जायेंगे एवं बच्चों के परिजनों व संबंधित आशासहयोगियों को सौंपी जायेगी।
मिशन निदेशक राष्ट्ीय स्वास्थ्य मिशन श्री नवीन जैन ने मंगलवार को प्रात: शासन सचिवालय के एनआईसी वीडियो क्रांफेसिंग हॉल में तथा पंचायत समिति स्तर से अटलसेवा केन्द्रों के वीडियो कांफ्रेसिंग हॉल से संबंधित जिलों के जिला अधिकारियों एवं उप स्वास्थ्य केन्द्रों की एएनएम से चर्चा के दौरान यह जानकारी दी। उन्होंने सीमेम कार्यक्रम से संबंधित समस्त गतिविधियों में गंभीरतापूर्वक अपनी भूमिका निभाने के निर्देश दिये। उन्होंने इस कार्यक्रम से जुड़े कार्मिकों को पूर्ण गुणवत्ता के साथ समुचित प्रशिक्षण देने के निर्देश दिये।
श्री जैन ने बताया कुपोषण के प्रति जनजागरूकता विकसित करने एवं कुपोषित बच्चों की प्राथमिक पहचान कराने व अतिगंभीर कुपोषित बच्चों को कुपोषण उपचार केन्द्र में उपचार हेतु रैफर करने की प्राथमिक जिम्मेदारी आशासहयोगिनियों को दी गयी है। उन्होंने बताया कि आशासहयोगिनियों ने अपने संबंधित क्षेत्र के घर-घर जाकर बच्चों की सामान्य प्राथमिक जांच कर 2 लाख 34 हजार 404 बच्चों की स्क्रीनिंग की। इनमें से एएनएम ने बच्चों में वजन-ऊंचाई, बांहों की गोलाई, पैरो में सूजन इत्यादि की जांच कर उच्च प्राथमिकता वाले इन 13 जिलों के कुल 9 हजार 176 बच्चों को कुपोषण निवारण हेतु चयनित किया है। उन्होंने बताया कि 21 दिसम्बर को इन जिलों में नामांकन दिवस आयोजित किया जायेगा एवं शेष संभावित कुपोषण वाले बच्चों की पुन: जांच की जायेगी। चिन्ह्ति बच्चों को उनके घर जाकर 56 दिवस हेतु पौष्टिक आहार खिलाने सहित कुल चार माह तक इन बच्चों के स्वास्थ्य संवद्र्घन की परख हेतु निगरानी रखी जायेगी।
मिशन निदेशक ने बताया कि कुपोषण पहचान सर्वेक्षण में बांसवाड़ा जिले में 1228, बाडमेर में 1344, जालौर में 648, बारां में 537, बूंदी में 489, धौलपुर में 256, करौली में 739, उदयपुर में 1667, जैसलमेर में 193, डूंगरपुर में 611, राजसमंद में 543 एवं प्रतापगढ़ में 337 बच्चों में कुपोषित चिन्ह्ति किया गया है। इन सूचीबद्घ बच्चों को पौष्टिक आहार खिलाना सुनिश्चित किया जायेगा एवं संंबंधित उच्चाधिकारियों द्वारा मॉनीटरिंग भी की जायेगी।
श्री जैन ने बताया कि सीमेम कार्यक्रम में चिकित्सा विभाग का तकनीकी सहयोग युनिसेफ, ग्लोबल एलायंस फॅार इम्प्रूड न्यूट्रीशन (गेन) एवं एसीएफ इन्टरलनेशनल कर रहे हैं।
वीडियो कांफ्रेसिंग में निदेशक आरसीएच डॉ.वी.के.माथुर, परियोजना निदेशक शिशु स्वास्थ्य डॉ. लोकेश चतुर्वेदी, उच्च प्राथमिकता वाले जिलों के जिला प्रजनन एवं शिशु स्वास्थ्य अधिकारी, ब्लॉक सीएमएचओ, एनएचएम व एनयूएचएम के जिला कार्यक्रम प्रबंधकों, जिला आशासमन्वयकों ने एवं पंचायत समिति स्तर के अटल सेवा केन्द्रों से एएनएम एवं संबंधित अधिकारियों ने भाग लिया।

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