साइकिल रैली महज एक ढोंग —उद्योग मंत्री श्याम रजक

साइकिल रैली  महज एक ढोंग —उद्योग मंत्री श्याम रजक

पटना (संदीप कपूर)—— उद्योग मंत्री श्याम रजक ने राजद के स्थापना दिवस पर तेजस्वी यादव द्वारा आयोजित साइकिल रैली को महज एक ढोंग करार दिया है। श्री रजक नें कहा कि नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव जी जो लाखों की लग्जरी गाड़ियों पर धूमते हैं, वे आज साइकिल यात्रा कर दिखावा ना करें। तेजस्वी जी जरा यह तो बताएं कि जब वह लाखों की साइकिल पर बैठकर ड्रामा करते हैं तो काफिले में आगे और पीछे कितनी गाड़ियां चलती हैं।

तेजस्वी यादव जी के साइकिल यात्रा की हकीकत तो पिछली बार ही मालूम चल गई थी जब वे कुछ अबोध बच्चों को ठग कर साईकिल रेस के नाम पर विरोध-प्रदर्शन में लाये थे। तेजस्वी जी से मेरी आग्रह है वे अपने नौटंकी के लिए कम से कम इन बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ मत कीजिए, उन्हें पढ़ने दीजिए।

एक तरफ ये लोग बच्चों को साइकिल रेस के नाम पर ठगने का काम करते हैं वहीं दूसरी तरफ माननीय मुख्यमंत्री जी नें छात्र-छात्राओं को साइकिल देकर उन्हें शिक्षा से जोड़ने का काम किया है।

माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी नें जब 15 साल पहले राज्य का कार्यभार संभाला तो शिक्षा की स्थिति बहुत खराब थी।हाईस्कूल दूर होने के कारण बच्चियाँ पढ़ने नहीं जाती थीं। हाईस्कूल में छात्राओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए माननीय मुख्यमंत्री जी नें साइकिल योजना की शुरुआत की। अब तक करीब 25 लाख लड़कियों को साइकिल का लाभ मिल चुका है। केवल वर्ष 2019-20 में 5 लाख 92 हजार लड़कियों को साइकिल दी गई है।

पांचवीं कक्षा के बाद गरीब परिवार की लड़कियां अच्छे कपड़े के अभाव में स्कूल नहीं जाती थी। इसके लिए उन्होनें पोशाक योजना की शुरुआत की और इसका फायदा दिखने लगा। इस योजना से ना सिर्फ लड़कियों का आत्म विश्वास बढ़ा, बल्कि समाज की सोच और मानसिकता भी बदली। आज आलम यह है कि हाई स्कूलों में बच्चे-बच्चियों की संख्या बराबर हो गई है। 2005 की मैट्रिक परीक्षा में जहाँ 1.87 लाख छात्राएं शामिल हुईं थी, 2020 में वह करीब 9 लाख हो गई।

यह परिवर्तन साइकिल और पोषक योजना के माध्यम से ही संभव हो पाया है। पर तेजस्वी यादव जी को यह नहीं दिखेगा क्योंकि उन्हें अपनें परिवार को समृद्ध करनें से और साइकिल को महज ड्रामें के रूप में इस्तेमाल करने से फुरसत नहीं है। राजद जो पहले समाजवाद के विचारों को लेकर चली थी। आज वह परिवारवाद के दायरे में सिमट कर रह गयी है। तथा धनोपार्जन की संस्था बन गयी है।

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