- July 31, 2018
संसद में मांग — ’पूर्व राजस्थान नहर परियोजना’’ को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा दिया जाय— सांसद डॉ. मनोज राजोरिया
जयपुर ———- करौली-धौलपुर सांसद डॉ. मनोज राजोरिया ने पूर्वी लोकसभा में पूर्वी राजस्थान की महत्वपूर्ण सिंचाई परियोजना ’’पूर्व राजस्थान नहर परियोजना’’ को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा देने का मामला उठाया ।
उन्होंने प्रधानमंत्री से मांग की कि पूर्व राजस्थान नहर परियोजना राजस्थान के पूर्वी भाग करौली एवं धौलपुर के किसानों के लिए अतिमहत्वपूर्ण जीवनदायनी परियोजना है। इसको राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा दिये जाने से इस परियोजना पर शीघ्र कार्य प्रारम्भ हो सकेगा। उन्होंने चम्बल-पांचना-जगर बांध लिफ्ट परियोजना को भी शीघ्र चालू करने की मांग की ।
डॉ. राजोरिया ने इस परियोजना को पूरा करने के लिए प्रधानमंत्री से शीघ्र बजट आवंटन करने हेतु अनुरोध किया । ज्ञातव्य है कि राजस्थान सरकार द्वारा इस प्रोजेक्ट को राष्ट्रीय दर्जा देने हेतु जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्रालय, भारत सरकार को निवेदन किया हुआ है।
यह परियोजना चम्बल बेसिन की पार्वती एवं कालीसिंध सहायक नदियों के अधिशेष पानी को बनास, गम्भीर एवं पार्वती बेसिन में हस्तान्तरण करते हुए धौलपुर तक ले जाने की परियोजना है। इसमें चम्बल-पांचना-जगर बांध परियोजना को भी सम्मिलित किया गया है।
चम्बल की सहायक नदियों पार्वती, कालीसिंध, मेज एवं चाकन में प्रतिवर्ष लगभग 5060 मिलियन घन मीटर पानी उपलब्ध होता है, जो कि अधिशेष होने एवं कालीसिंध एवं चम्बल नदी के जंक्शन पाईन्ट के डाउन स्ट्रीम में किसी परियोजना को मूर्त रूप नहीं दिये जाने के कारण यह पानी समुद्र में व्यर्थ जा रहा है। यह पानी जुलाई, अगस्त एवं सितम्बर माह में ही उपलब्ध होता है।
समुद्र में बह कर जाने वाले इस अधिशेष जल को अधिक जल उपलब्धता वाले नदी बेसिन ( चम्बल बेसिन ) से कम जल उपलब्धता वाले नदी बेसिन (बनास, गम्भीर एवं पार्वती बेसिन) में हस्तान्तरित कर विभिन्न जिलों के जल संसाधन विभाग के छोटे एवं बडे बांधों एवं राह में आने वाले पंचायत तालाबों को भरने एवं पेयजल उपलब्ध कराने हेतु यह परियाजना प्रस्तावित है।
इस परियोजना के द्वारा लगभग 13 जिलों की पेयजल आपूर्ति एवं लगभग 2.0 लाख हैक्टेयर नये सिंचित क्षेत्रा व 2.3 लाख हैक्टेयर विद्यमान सिंचित क्षेत्र की सिंचाई किया जाना प्रस्तावित है।
इस प्रोजेक्ट को राष्ट्रीय दर्जा मिलने से बजट की कमी नहीं रहेगी तथा कार्य द्रुतगति से होगा। इस प्रोजेक्ट के पूर्ण होने पर करौली एवं धौलपुर दोनों ही जिलों के किसानों को पानी की कमी की समस्या का समाधान हो जायेगा तथा कृषि उत्पादन में बढ़ोेतरी के साथ किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।
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