• July 6, 2019

संभावित बाढ़ एवं सुखाड़ की पूर्व तैयारियों की समीक्षा—मुख्यमंत्री श्री नीतीष कुमार

संभावित बाढ़ एवं सुखाड़ की पूर्व तैयारियों की समीक्षा—मुख्यमंत्री श्री नीतीष कुमार

पटना—–:- मुख्यमंत्री सचिवालय स्थित संवाद में मुख्यमंत्री श्री नीतीष कुमार की अध्यक्षता में संभावित बाढ़ एवं सुखाड़ की पूर्व तैयारियों की समीक्षात्मक बैठक हुयी।

आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव श्री प्रत्यय अमृत ने अपने विभाग द्वारा इस संबंध में की जा रही तैयारियों के बारे में विस्तृत जानकारी दी। प्रधान सचिव ने बताया कि इसरो के साथ जल्द ही बिहार सरकार के साथ एम0ओ0यू0 पर हस्ताक्षर हो जायेगा, जिससे राज्य के बहुआयामी आपदा जोखिम आकलन में सहायता मिलेगी।

मौसम विज्ञान केंद्र के प्रतिनिधि ने 5 जुलाई से 18 जुलाई के बीच में सामान्य से ज्यादा वर्षापात की संभावना जताई है।

कृषि विभाग, लघु जल संसाधन विभाग, जल संसाधन विभाग, पषु एवं मत्स्य संसाधन विभाग, लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग, स्वास्थ्य विभाग, ऊर्जा विभाग, ग्रामीण कार्य विभाग, वन एवं पर्यावरण विभाग, सहकारिता विभाग, नगर विकास एवं आवास विभाग, खाद्य उपभोक्ता एवं संरक्षण विभाग, ग्रामीण विकास विभाग एवं संबंधित अन्य विभागों के प्रधान सचिव/सचिवों, वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़े सभी जिलाधिकारियों ने बाढ़ एवं सुखाड़ की परिस्थिति में की जा रही तैयारियों के बारे में विस्तृत जानकारी दी।

कृषिविभाग के प्रधान सचिव श्री सुधीर कुमार ने कृषिइनपुट सब्सिडी के लिए अब तक निर्गत राशि एवं लाभार्थियों की संख्या की जानकारी दी।वर्षापात कम या अधिक होने की स्थिति में वैकल्पिक फसल के लिए बीज की उपलब्धता के संबंध में भी जानकारी दी गई। सहकारिता विभाग के अपर मुख्य सचिव श्री अतुल प्रसाद ने फसल सहायता योजना के संबंध में जानकारी दी। वहीं लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के सचिव श्री जितेंद्र श्रीवास्तव ने वर्तमान में भू-जल स्तर की स्थिति की जानकारी दी।

गुणवतापूर्ण पानी की उपलब्धता कराने के संबंध में, जीर्ण-षीर्ण चापाकलों को हटाना, सार्वजनिककुओंके जीर्णोद्धार के लिये बनायी जा रही कार्ययोजना के संबंध में भी जानकारी दी। पेयजल में होने वाली परेशानी को दूर करने केलिए नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव श्री चैतन्य प्रसाद ने मुख्यमंत्री को नगर निकायों में जलापूर्ति संबंधी अद्यतन स्थिति की जानकारी दी। पशु एवं मत्स्य विभाग ने पषु रोग नियंत्रण कीव्यवस्था, टीकाकरण की व्यवस्था,पेयजल, पषुचाराकी व्यवस्था,पषुओं में होने वालेरोगोंकी दवा की उपलब्धता, जिला स्तर पर आपदा कोषांग का गठन, कैटल ट्रैप का निर्माण इत्यादी की जानकारी दी। जल संसाधन विभाग के अपर मुख्य सचिव श्री अरुण कुमार सिंह ने नहरों में जल उपलब्धता की स्थिति एवं तटबंधों की सुरक्षा स्थिति, बाढ़ पूर्व निरोधक कार्य, बाढ़ सुरक्षात्मक उपाय इत्यादि की जानकारी दी।

बैठक में मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने कहा कि मौसम विज्ञान के प्रतिनिधि के मुताबिक इस बार भी कम वर्षापात की आषंका है, अतः संभावित सूखे की स्थिति के लिये आपलोगों ने अपने विभागों के बारे में तैयारियों की जानकारी दी है, साथ ही वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सभी जिलाधिकारियों ने बाढ़ की स्थिति एवं सुखाड़ की स्थिति में अपने-अपने जिलों में इसके लिये की जा रही तैयारियों के बारे में जानकारी दी है।

उन्होंने कहा कि आज की बैठक में विभिन्न बिन्दुओं पर फीडबैक भी मिला है। 13 तारीख को बिहार विधानमण्डल के संेट्रल हाॅल में विधायकों, विधान पार्षदों के साथ भी इस संबंध में बैठक होगी और उनसे अपने-अपने क्षेत्र के संबंध में सुझाव एवं फीडबैक लिये जायेंगे। जलवायु परिवर्तन होने से वर्षापात कम हो रहा है। पिछले 13 वर्षों में बिहार में वर्षापात 1000 मी0मी0 से कम ही हुआ है लेकिन पिछले वर्ष सूखे की स्थिति रही और इस वर्ष भी इसकी संभावना बतायी जा रही है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि संबंधित विभाग आपस में को-आॅर्डिनेषन करते रहें और फीडबैक के आधार पर संभावित परिस्थितियों से निपटने के लिये तैयार रहें। उन्हांेने कहा कि कृषि इनपुट अनुदान और फसल सहायता योजना का लाभ सभी किसानों को दिलाना सुनिष्चित करें।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सूखे की स्थिति में वैकल्पिक फसल के लिये भी योजना बना लेनी होगी। पषु षिविरों को कारगर करना होगा। कैटल टैªप के साथ-साथ तालाबों को भी इम्पु्रव करना होगा। तालाबों की उड़ाही कराकर वहाॅ सोलर पंपिंग सेट लगाने की व्यवस्था हो जाने से पानी की व्यवस्था सुनिष्चित हो जायेगी और पषुओं को इससे काफी राहत मिलेगी। पषुओं के बीमारियों के इलाज के लिये उपाय, पषुओं के नियमित टीकाकरण आदि की व्यवस्था रखें।

रेन वाटर हार्वेस्टिंग पर भी अमल करना होगा। चेक डैम के लिये भी काम करना होगा। उन्होंने कहा कि मनरेगा के माध्यम से सार्वजनिक तालाबों, पोखर, आहर आदि की खुदाई में कितने काम किये जा रहे हैं, इसके बारे में विभाग एवं जिलाधिकारी आंकलन करवा लें। पेयजल की व्यवस्था, कृषि के लिये पानी की उपलब्धता, लोगों की बीमारियों के बचाव के लिये संबंधित विभागों को तैयार रहना होगा। नए तकनीक वाले और ज्यादा गहराई वाले चापाकल लगाए जाएं।

मुख्यमंत्री ने जल संसाधन विभाग को निर्देश देते हुए कहा कि जलाशयों का अपने स्तर से दौरा कर वहां की स्थिति का आकलन कर लीजिए। उन्होंने कहा कि सूखे की स्थिति में जब कृषि क्षेत्र में लोगों को काम नहीं मिल पायेगा तो उनके वैकल्पिक रोजगार के लिये हमलोगों को काम करना होगा, इसके लिये कई प्रोजेक्ट बनाये गये हैं।

मनरेगा, सड़कों का निर्माण, भवनों का निर्माण, स्कूल भवनों का निर्माण, हर घर नल जल योजना, पक्की गली नाली योजना, चापाकल की व्यवस्था करना, रेन वाटर हार्वेस्टिंग, वृक्ष लगाना, वृक्षों का रखरखाव करना जैसे कई कामों के माध्यम से लोगों को रोजगार दिलाया जा सकता है। इस बात का भी सर्वे करा लेना होगा कि जो लोग कृषि क्षेत्र में मजदूरी नहीं कर रहे हैं, उनके वैकल्पिक रोजगार क्या है।

सभी विभाग इस बात के लिये प्रयास करें कि अधिक से अधिक लोगों को वैकल्पिक रोजगार उपलब्ध करा सकें। हमलोगों ने बिहार का हरित आवरण क्षेत्र 9 प्रतिषत से बढ़ाकर 15 प्रतिषत कर दिया है और 17 प्रतिषत तक पहुॅचने के लिये काम कर रहे हैं। जैसा कि वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने बताया है कि 1 अगस्त से डेढ़ करोड़ पेड़ लगाने के लक्ष्य पर काम किया जायेगा। पर्यावरण के कारण जलस्तर नीचे गिरता जा रहा है। लोगों को इस बात के लिये जागरूक करना होगा कि पीने के स्वच्छ पेयजल का दुरूपयोग न हो, इसके लिये भी प्रेरित करना होगा।

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