शून्य-कार्बन हाइड्रोजन के लिए ‘मार्गदर्शक सिद्धांत’ हुए लॉन्च

शून्य-कार्बन हाइड्रोजन के लिए ‘मार्गदर्शक सिद्धांत’ हुए लॉन्च

लखनऊ (निशांत कुमार )— ईंधन के तौर पर पृथ्वी को कार्बन का विकल्प देने के इरादे से और हाइड्रोजन में निहित असीमित सम्भावनाओं को केंद्र में लाने के लिए, आज युनाइटेड नेशंस हाई-लेवल चैंपियंस फॉर क्लाइमेट एक्शन, गोंज़ालो म्यूनोज़ और नाइजल टॉपिंग, और युनाइटेड नेशंस (संयुक्त राष्ट्र) माराकेच पार्टनरशिप के वैश्विक साझेदारों ने डीकार्बोनाइजेशन प्रयासों में हाइड्रोजन की भूमिका पर चर्चा को मज़बूत करने और आधार स्तर पर चर्चा करने के लिए महीनों के लंबे सहयोग से निकले परिणाम को सात मार्गदर्शक सिद्धांतों के रूप में प्रकाशित किया है।

दरअसल, संयुक्त राष्ट्र ने सिविल सोसाइटी के परामर्श से सात “गाइडिंग प्रिंसिपल्स फॉर क्लाइमेट-अलाइंड हाइड्रोजन डिप्लॉयमेंट” तैयार किए हैं। इन सिद्धांतों का उद्देश्य हाइड्रोजन रणनीतियों, नीतियों और व्यावसायिक मामलों के विकास पर प्रभावी सार्वजनिक, निजी और नागरिक समाज के हितधारक जुड़ाव का समर्थन करना है। साल 2021 का माराकेच पार्टनरशिप क्लाइमेट एक्शन पाथवे यह चिह्नित करता है कि कैसे ऊर्जा क्षेत्र को वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करते हुए 2050 तक नेट ज़ीरो उत्सर्जन प्राप्त करने के लिए परिवर्तित किया जाना चाहिए।

यह सिद्धांत शून्य कार्बन हाइड्रोजन के उपयोग पर ध्यान केंद्रित करने का आह्वान करते हैं जहां दक्षता और प्रत्यक्ष, रिन्यूएबल विद्युतीकरण जैसे अन्य समाधान अनुपलब्ध हैं। वे जलवायु लक्ष्यों के अनुकूल रिन्यूएबल हाइड्रोजन को एकमात्र हाइड्रोजन के रूप में आगे बढ़ाने का भी तर्क देते हैं।

संयुक्त राष्ट्र और माराकेच पार्टनरशिप के विशेषज्ञ साझेदार जिन्होंने परामर्श प्रक्रिया में भाग लिया में शामिल हैं, वो कुछ इस प्रकार हैं: द एनर्जी ट्रांसिशन्स कमीशन (ऊर्जा संक्रमण आयोग), इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी (अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी), इंटरनेशनल रिन्यूएबल एनर्जी एजेंसी (अंतर्राष्ट्रीय रिन्यूएबल ऊर्जा एजेंसी), E3G, इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स ग्रुप ऑन क्लाइमेट चेंज (जलवायु परिवर्तन पर संस्थागत निवेशक समूह), इंटरनेशनल ट्रेड यूनियन कॉन्फ़ेडरेशन (अंतर्राष्ट्रीय व्यापार संघ परिसंघ), नेचुरल रिसोर्सेज डिफेंस कौंसिल (प्राकृतिक संसाधन रक्षा परिषद), स्टॉकहोम एनवीरोमेंट इंस्टिट्यूट (स्टॉकहोम पर्यावरण संस्थान), वर्ल्ड बिज़नेस कौंसिल फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट (सतत विकास के लिए विश्व व्यापार परिषद), और वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड (विश्व वन्यजीव कोष)।

आगे, NRDC (नेचुरल रिसोर्सेज डिफेंस कौंसिल) (प्राकृतिक संसाधन रक्षा परिषद) के अध्यक्ष और CEO (सीईओ) मनीष बापना कहते हैं, “हाइड्रोजन हमारी अर्थव्यवस्था के सबसे चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों से निपटने में हमारी मदद करके वैश्विक जलवायु परिवर्तन को संबोधित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। लेकिन हाइड्रोजन की तरफ़ एक अति उत्साही हड़बड़ी जो इसके गंभीर जोखिमों की उपेक्षा करती है, एक संभावित जलवायु समाधान को दूसरी जलवायु समस्या में बदल सकती है। हम ऐसा नहीं होने दे सकते। नए सिद्धांत एक महत्वपूर्ण योगदान देते हैं—वे यह सुनिश्चित करने के लिए कि हाइड्रोजन की तैनाती केवल इस तरह से होती है जो जलवायु-सुरक्षित है और हमारे स्वास्थ्य और समुदायों की रक्षा करती है महत्वपूर्ण रेलिंगों (सीमाओं) को स्पष्ट करते हैं। यह नीति निर्माताओं के लिए एक मूल्यवान प्लेबुक है।”

व्यापार, नीति निर्माताओं और नागरिक समाज के बीच अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को इन सिद्धांतों के पालन के माध्यम से मज़बूत किया जा सकता है ताकि लगभग शून्य कार्बन ऊर्जा स्रोतों के साथ अंतिम-उपयोग क्षेत्रों को डीकार्बोनाइज़ करने में संयुक्त राष्ट्र के ब्रेकथरु आउटकम (निर्णायक परिणाम) प्रदान किए जा सकें। इसमे शामिल है:

· लगभग-शून्य कार्बन हाइड्रोजन के उपयोग पर ध्यान केंद्रित करना जहां दक्षता और प्रत्यक्ष, रिन्यूएबल विद्युतीकरण जैसे अन्य समाधान उपलब्ध नहीं हैं;

· पूर्ण जीवनचक्र उत्सर्जन और प्रदूषण लेखांकन और सख़्त कार्बन तीव्रता थ्रेसहोल्ड;

· रिन्यूएबल हाइड्रोजन को जलवायु लक्ष्यों के साथ विश्वसनीय रूप से संगत एकमात्र संसाधन के रूप में अपनाना, और साथ ही यह सुनिश्चित करना कि कोई भी जीवाश्म-आधारित हाइड्रोजन विश्वसनीय और स्वतंत्र जीवनचक्र उत्सर्जन मॉनिटरिंग और मिटिगेशन के माध्यम से प्रमाण के उच्च बोझ को पूरा करता है।

· सक्रिय समावेशी और सोचे-समझे कार्यबल संक्रमण, अंतर्राष्ट्रीय विकास में समानता की खोज, और सामाजिक आर्थिक और स्वास्थ्य परिणामों पर ध्यान केंद्रित करना सुनिश्चित करना

संयुक्त राष्ट्र हाई लेवल चैंपियंस और माराकेच पार्टनरशिप सिद्धांतों पर अतिरिक्त इनपुट और सोच प्राप्त करने के लिए तैयार हैं। इन सिद्धांतों और अंतर्निहित अनुसंधान को भविष्य के वर्षों में अपडेट किया जा सकता है ताकि यह अतिरिक्त शोध, विश्लेषण और अनुभवों, जैसे-जैसे यह सामने आते हैं, को दर्शाते हों।

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