शिल्प अनुसंधान संस्थान, दीघा, पटना की आम सभा

शिल्प अनुसंधान संस्थान, दीघा, पटना की आम सभा

पटना——-उद्योग मंत्री, श्री श्याम रजक की अध्यक्षता में उपेन्द्र महारथी शिल्प अनुसंधान संस्थान, दीघा, पटना की आम सभा की बैठक की गयी। आम सभा में यह निर्णय लिया गया कि वर्तमान आवष्यकता को देखते हुए नियमानुसार सोसाइटी में पद का सृजन किया जाय एवं विभाग एवं वित्त विभाग से इसपर अनुमोदन प्राप्त कर बहाली हेतु कार्रवाई की जाय।

माननीय मंत्री महोदय ने सुझाव दिया कि बिहार के हस्तषिल्पियों के षिल्प/कलाकृतियों को उपेन्द्र महारथी षिल्प अनुसंधान संस्थान द्वारा रेलवे स्टेषन पटना, एयर पोर्ट पटना, बोध गया, राजगीर आदि स्थानों पर बिक्री केन्द्र खोलें तथा बिहार के षिल्पियों के समानों की बिक्री की जाय।

उपेन्द्र महारथी षिल्प अनुसंधान संस्थान में बहुमूल्य कलाकृतियों को वैज्ञानिक ढंग से रख-रखाव किया जाय तथा इंदिरा गाँधी कला राष्ट्रीय केन्द्र्र, दिल्ली से सेवा लिया जाय।

बिहार के जितने भी षिल्प है उसका एक हब बने तथा सभी प्रकार के उत्पादित वस्तुओं की बिक्री/प्रदर्षनी हो तथा कलाकृतियों में नये-नये डिजाइन के अनुसार हस्तषिल्प के गुणवत्ता में सुधार किया जाय ताकि राष्ट्रीय स्तर के मार्केट से लिंक हो सके।
भारत सरकार से जो राषि प्राप्त हुयी है उसका तुरंत उपयोग किया जाय, उसका सही ढंग से मोनेटरिंग किया जाय ताकि भारत सरकार के योजना का उदेष्य पूरा हो सके।

खादी बोर्ड से समन्वय स्थापित कर हस्तषिल्प की बिक्री हेतु उनके शो रूम का भी उपयोग किया जाय। निदेषक, उपेन्द्र महारथी षिल्प अनुसंधान ने बताया कि 15 जगहों पर वर्क शाॅप कलस्टर के रूप में चलाया जा रहा है।

जीविका के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी श्री बाला मुरूगन डी॰ द्वारा यह सुझाव दिया गया कि प्रषिक्षण के संबंध में एक परामर्षी नीति बनाया जाय और उसके माध्यम से सूचीबद्ध परामर्षी/प्रषिक्षकों की सेवा लिया जाय।

बिहार के 40,000 षिल्पियों के कलाकृतियों एवं हस्त षिल्पों को बिक्री हेतु प्रदर्षनी/मेला लगाया जाय, प्रचार-प्रसार किया जाय। जीविका के द्वारा सरस मेला में उपेन्द्र महारथी षिल्पियों का स्टाॅल लगाये तथा उन्हें बिक्री हेतु प्रोत्साहित करे साथ ही ऑनलाइन बिक्री करने की व्यवस्था पर जोर दिया गया ताकि यहाँ के हस्तषिल्पियों का ज्यादा से ज्यादा बिक्री हो।

सचिव, उद्योग विभाग श्री लोकेष कुमार सिंह ने कहा कि कलाकारों की कलाकारिता को प्रोत्साहित करने एवं आर्थिक रूप से उन्हें सषक्त बनाने हेतु उनके द्वारा निर्मित हस्तषिल्पों की बिक्री ज्यादा से ज्यादा करायी जाय एवं बिक्री से प्राप्त राषि उनको प्राप्त करायी जाय।

मिडिया प्रभारी
उद्योग विभाग

Related post

साड़ी: भारतीयता और परंपरा का विश्व प्रिय पोशाक 

साड़ी: भारतीयता और परंपरा का विश्व प्रिय पोशाक 

21 दिसंबर विश्व साड़ी दिवस सुरेश सिंह बैस “शाश्वत”- आज से करीब  पांच वर्ष पूर्व महाभारत काल में हस्तिनापुर…
पुस्तक समीक्षा :कमोवेश सभी कहानियां गोरखपुर की माटी की खुशबू में तर-बतर है

पुस्तक समीक्षा :कमोवेश सभी कहानियां गोरखपुर की माटी की खुशबू में तर-बतर है

उमेश कुमार सिंह——— गुरु गोरखनाथ जैसे महायोगी और महाकवि के नगर गोरखपुर के किस्से बहुत हैं। गुरु…
पुस्तक समीक्षा : जवानी जिन में गुजरी है,  वो गलियां याद आती हैं

पुस्तक समीक्षा : जवानी जिन में गुजरी है,  वो गलियां याद आती हैं

उमेश कुमार सिंह :  गुरुगोरखनाथ जैसे महायोगी और महाकवि के नगर गोरखपुर के किस्से बहुत हैं।…

Leave a Reply