- July 23, 2020
— शब्द छंद—- मैंने सच कभी देखी नहीं ———- शैलेश कुमार
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1.खूब खिलाया नीतीश ने जनप्रतिनिधियों को टाका
बिगड़ैल जनता लगाएगी वोटो में अब टांका।
वोटों में अब टांका ,जेडीयू + चिलाएगी का ! का !!
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2. लालू मंथन कर रहे , निकले जीतन राम,
पप्पू भैया चबा रहे , पटना में हरा बादाम।
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3. खुरपी लेकर बैठे यादव हुकुम देव,
महासेठ चर गए सारा खादी खेत।
नैयर आजम पी गए गन्ना,लोहा ,खेत
अब वोटर्स समझ रहे सब हैं फेकम फेक
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4. भाग रहे अस्पताल से कोरोना के वायरस
बिना मास्क के पुलिस कर रही है पकड़ने का नाटक
पकड़ने का नाटक, वायरस ने मजा चखाया
कोई इधर गिरा, कोई उधर गिरा, दर्शक ने शोर मचाया।
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5.कंकड़ पत्थर मिट्टी का टीला लियो बनाए
जल प्लावन धरा ने सुरसा सूंड बढ़ाय
सुरसा सूंड बढ़ाय , सेतू लियो खाय
सूत धरा गोपाल ने 264 हजम कर जाय।
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6.बिकी हुई सरकार है,बिकी हुई पुलिस
महिला नंगे,पीटे जा रही,यही दक्ष प्रजापति की नीति।
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7.श्मशान खड़ा है शान से, पटना में मैदान में।
डर के मारे डी एम,एसपी,ढूंढ रहे इविएम चुनाव के मैदान में।
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8. इंसान की इंसानियत जलाई जा रही थी तवा में चढ़ा कर। ——जो अब बंद है।
पुलिस की खौफ से हवालात और जेल से निकलती लाशें
——जो अब बंद है।
बेखौफ गुंडों की गोलियां, छलती हुईं मासूम , महिलाओं और पुरुषों की श्रृंखला ——जो अब बंद है।
बड़ो को बचाने और छोटे को पीटने में लगा दिए सारे बल को —जो अब बंद है।
इसी बीच कोरोना ने कहा , मै देख लूंगा इंसान और कानून की चादर ओढ़े हैवानों को ।
कोरोना ने कहा , जो तुम वर्षो मे नही कर पाया मै पल में ही कर दूँगा , लगे हाथ तुम्हें भी समेट लूँगा ।
सेल्फ सैफ की नारा लगा, छिप गए लाक डाउन के चादर में।
एक तो पुजारी सर चढ़ाने में व्यस्त हैं दूसरी ओर अस्पताल में प्लाज्मा निकाली जाती है।
घर पर स्वस्थ्य रहते और अस्पताल जाते मर जाते, कोरोना कि चाल यही समझ में मुझे नहीं आती।
28 हजार बेमौत मरे कोरोना बेचारे, सड़क पर लाक डाउन मुंह बाएँ।
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9. मैंने कभी सच नहीं देखी
मैंने भी कभी सच नहीं देखी, कभी पानी पुल के अंदर से गुजरा। तो कभी पुल ही पानी में गुजर गया।
पानी भी ज्ञानी कम नहीं, ईधर उधर को अपने साथ बारात में ले गया।
नेता जी के सम्मान में पुल को बीच में ही छोड़ गया।
ईमान में पक्का इंसान निकला, सबे बारात में भात खाने का न्योता दे गया।
कुछ साथियों को समाहर्ता, सदर अस्पताल,थाना क्षेत्र में रखवाली के लिए छोड़ गया ।
क्योंकि
यही वह स्थान है, जहां धरती मां की नित्य पवित्र लोगों के चरण स्पर्श होते हैं।
पापी गिड़गिड़ाते और पवित्र आत्मा फूलो की तरह देखे जाते हैं।
काले गाऊन में खरीदे जाते इंसानियत, जहां बाल्मीकि को न्याय और बुद्ध को फांसी पर लटका ये जाते हैं।
मैंने भी सच देखी है, गड़े मुर्दे नृत्य करते और जिंदा लाश में तब्दील हो जाते।
भृकुटी तानी जरासंध, पवित्र आत्मा कंस की हाथो आज भी मारी जाती गर्भ में मां की जननी।