• December 21, 2020

शपथ का अर्थ -शराब बंदी नहीं , शराब बिकवाना — जैसे —26 लाख 91 हजार 731 लीटर शराब बरामद

शपथ का अर्थ -शराब बंदी नहीं , शराब बिकवाना — जैसे —26 लाख 91 हजार 731 लीटर शराब बरामद

पटना —- 1 अप्रैल 2016 को नीतीश कुमार की सरकार ने बिहार में पूर्ण शराबबंदी कानून को लागू किया था। सरकार की तरफ से दावा किया गया था कि वो नशामुक्त बिहार बनाएंगे, लेकिन ऐसा हो नहीं सका।

बिहार पुलिस डिपार्टमेंट के अंदर मद्यनिषेध के नाम से एक अलग विंग बना दिया। आईजी से लेकर एक पूरी टीम ही अलग से बना दी गई। इससे पहले शराब मामले में उत्पाद एवं मद्यनिषेध विभाग और पुलिस की टीम ही छापेमारी, बरामदगी और गिरफ्तारी की कार्रवाई करती थी।

सरकार के पास अवैध शराब का धंधा रोकने के लिए कुल तीन तरह की टीमें हैं। बावजूद इसके बिहार के अंदर अवैध तरीके से दूसरे राज्यों से शराब की सप्लाई धड़ल्ले से हो रही है। हर खेप को स्थानीय स्तर पर खपाया जा रहा है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण सरकारी आंकड़ा ही है।

साल 2020 अब अपने अंतिम पड़ाव पर है और इस साल अवैध शराब जब्ती का आंकड़ा बेहद चौंकाने वाला है। इस साल जनवरी से लेकर अब तक में कुल 26 लाख 91 हजार 731 लीटर शराब बरामद की गई है।

यह आंकड़ा उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग, बिहार पुलिस की मद्य निषेध टीम और सभी जिलों की पुलिस के तरफ से किए गए कार्रवाई का है। 39 लाख 367 रुपया कैश, 6 हजार 316 टू व्हीलर्स, 3 हजार 203 थ्री व्हीलर्स को जब्त किया गया है। इस गोरखधंधे में शामिल 48 हजार 187 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

इसमें अकेले मद्य निषेध की टीम ने इस साल 410 छापेमारी की। 260 FIR दर्ज किए। 271 गिरफ्तारियां की। 3 लाख 37 हजार 444 लीटर विदेशी, 24 हजार स्प्रीट और 4 हजार 336 लीटर देशी शराब बरामद किया। 65 ट्रक और 84 दूसरी गाड़यो को जब्त किया। 21 लाख 86 हजार 285 रुपया और 3 हथियार, 15 गोली, 2 मैगजीन, 26.74 किलो गांजा भी बरामद किया।

शराबबंदी कानून लागू होने के बाद हर साल मुख्यालय में बैठे सीनियर अधिकारियों से लेकर थानों में तैनात पुलिस पदाधिकारी, सिपाही व चौकीदार तक को शराब का सेवन नहीं करने और इसके धंधेबाजों से कनेक्शन नहीं रखने की शपथ दिलाई जाती है।

बिहार पुलिस के मुखिया डीजीपी संजीव कुमार सिंघल ने अपने अधिकारियों से लेकर निचले स्तर के कर्मियों को वही संकल्प फिर से दोहराया।

13 इंस्पेक्टरों को नहीं मिलेगी थानेदारी

इस साल में अब तक 13 पुलिस इंस्पेक्टर ऐसे मिले, जिनके उपर शराब माफियाओं के साथ जुडे़ होने का गंभीर आरोप लगा। जो थानेदारी तो कर रहे थे, लेकिन अपने इलाके में अवैध रूप से शराब की बिक्री को रोक नहीं पाए। ऐसे थानेदारों के इलाकों में पटना से जाकर मुख्यालय की टीम ने कार्रवाई की। इस तरह के मामलों में पहचान किए गए सभी थानेदारों पर मुख्यालय स्तर से कार्रवाई हुई। इन सभी को अब थानेदार नहीं बनाया जाएगा। थानेदारी के पद के लिए 13 इंस्पेक्टर को बैन कर दिया गया है।

पुलिस की नौकरी से 95 बर्खास्त

बिहार में अवैध रूप से बिकने वाले शराब का धंधा ऐसे ही नहीं फल-फुल रहा है। इसमें पुलिस वालों का बड़ा हाथ है।इस साल मुख्यालय ने अपनी पड़ताल में 95 पुलिस वालों की पहचान की। सभी के खिलाफ डिपार्टमेंटल इंक्वारी चली। आरोप साबित होने के बाद उन्हें जो सजा मिली, उसका उन्हें अंदाजा भी नहीं रहा होगा। इन सभी को पुलिस की नौकरी से ही बर्खास्त कर दिया गया।

80 पर FIR और 107 पर चल रही है प्रोसिडिंग

शराब माफियाओं से दोस्ती रखने वाले सब इंस्पेक्टर, एएसआई, हवलदार, सिपाही, सैप जवान, होमगार्ड और चौकिदार समेत कुल 80 लोगों पर इस साल अलग-अलग थानों में FIR दर्ज कराई गई है। इनके अलावे 107 पुलिस पदाधिकारी और जवान ऐसे हैं, जिनके खिलाफ व डिपार्टमेंटल इंक्वायरी और प्रोसिडिंग चल रही है।

हर दिन 100 ट्रक की इंट्री का दावा

शराब के एक पुराने कारोबारी, जो पूर्ण बंदी से पहले बिहार में शराब का कारोबार करते थे। उनके अनुसार बिहार में शराब की अवैध खपत बहुत बढ़ गई है। अब हर दिन शराब से भरी हुई 100 ट्रक बिहार के अंदर अलग-अलग जगहों से पहुंचती है। इसमें झारखंड, यूपी, अरूणाचल, हरियाणा शामिल है। सबसे अधिक झारखंड में बनी हुई शराब सबसे अधिक आती है।

सरकार को होती थी 5 हजार करोड़ की आमदनी

पुराने कारोबारी की मानें तो पूर्ण शराबबंदी से पहले बिहार सरकार को हर साल शराब के कारोबार से 5 हजार करोड़ की आमदनी होती थी, लेकिन बंदी के बाद से अवैध शराब का कारोबार बढ़ गया और सरकार का राजस्व शून्य हो गया। बिना इंपोट, एक्सपोर्ट और टैक्स का लॉस है। सरकार को अगर पूरे तरीके से शराब को बंद कराना है तो बॉर्डर बंद करवाना होगा। तभी अवैध धंधा रूकेगा।

माफियाओं तक कभी नहीं पहुंच पाई पुलिस

इस मामले में पुलिस का इंवेस्टिेगेशन कभी पूरा नहीं हुआ। शराब की बरामदगी तो होती है, गिरफ्तारियां भी होती है, लेकिन माफियाओं तक पुलिस की टीम पहुंच नहीं पाती है। इसकी वजह आज तक किसी को समझ में नहीं आई। दूसरे राज्यों में कोई गिरफ्तारी नहीं। पुराने कारोबारी की मानें तो पुलिस को फैक्ट्री में जाना चाहिए था, बैच चेक करना चाहिए था। ये सब आज तक नहीं हुआ। हरियाणा से अरूणाचल प्रदेश के लिए चला ट्रक से माल बिहार में उतर जाता है।

Related post

पुस्तक समीक्षा : जवानी जिन में गुजरी है,  वो गलियां याद आती हैं

पुस्तक समीक्षा : जवानी जिन में गुजरी है,  वो गलियां याद आती हैं

उमेश कुमार सिंह :  गुरुगोरखनाथ जैसे महायोगी और महाकवि के नगर गोरखपुर के किस्से बहुत हैं।…
जलवायु परिवर्तन: IPBES का ‘नेक्सस असेसमेंट’: भारत के लिए एक सबक

जलवायु परिवर्तन: IPBES का ‘नेक्सस असेसमेंट’: भारत के लिए एक सबक

लखनउ (निशांत सक्सेना) : वर्तमान में दुनिया जिन संकटों का सामना कर रही है—जैसे जैव विविधता का…
मायोट में तीन-चौथाई से अधिक लोग फ्रांसीसी गरीबी रेखा से नीचे

मायोट में तीन-चौथाई से अधिक लोग फ्रांसीसी गरीबी रेखा से नीचे

पेरिस/मोरोनी, (रायटर) – एक वरिष्ठ स्थानीय फ्रांसीसी अधिकारी ने  कहा फ्रांसीसी हिंद महासागर के द्वीपसमूह मायोट…

Leave a Reply