• December 9, 2021

‘शकुन्तलम्: द वुमैन’ नाटिका का मंचन : जेपी पन्त सांस्कृतिक ट्रस्ट

‘शकुन्तलम्: द वुमैन’ नाटिका का मंचन : जेपी पन्त सांस्कृतिक ट्रस्ट

दिल्ली (महक हुरिया)——- 2011 में प्रस्तुत की गयी ‘द स्टोरी ऑफ राम ऐण्ड सीता’ के मंचन की अपार सफलता से प्रेरित हो जेपी पी सी टी के मानद अध्यक्ष प्रोफेसर मनोज पंत के निर्देशन में कालीदास द्वारा रचित अभिज्ञान शाकुन्तलम् को ‘शाकुंतलम: द वुमेन’ नाम से नव वर्ष के प्रारंभ में मंचन करने की तैयारी पूर्ण हो चुकी है।

प्रॉफेसर मनोज पंत के शब्दों में, “भारतीय संस्कृति व साहित्य की प्रस्तुति के समय हम इसके महत्वपूर्ण पहलुओं की ओर बड़ी सजगता से आगे बढ़ रहे हैं। जहां राम व सीता की कहानी में व्यक्ति के अहंकार से होने वाले कष्टप्रद परिणामों को दर्शाया है वहीं शाकुंतलम: द वुमैन में नारी के उन अनछुए पहलुओं को दर्शाया गया है जोउस युग की नारी के साथ आधुनिक नारी के समन्वय को दिखाती है। “

‘शाकुंतलम: द वुमैन’ एक विशिष्ट संगीतमय नाटिका है जो शकुन्तला के पात्र को जितना पौराणिक परिपेक्ष्य में दिखाती है उतनी ही आधुनिक भारत के सम सामयिक चलती है। इसमें पारम्परिक गायन व पाश्चात्य वाद्य यंत्रों के मिश्रण व पाश्चात्य संगीत व भारतीय संगीत द्वारा सजाया गया है।

जे पी पन्त सांस्कृतिक समिति (जेपी पी सी टी) को एक निःशुल्क धर्मार्थ सार्वजनिक समिति के रूप में स्थापित किया गया था। समिति का मुख्य उद्देश्य पारम्परिक सांस्कृतिक व शैक्षणिक व्यवस्थाओं को बढ़ावा देना, विशेषकर रंगमंच के पुनरुत्थान के लिए प्रयत्न करना व उनकी सहायता के लिए तत्पर रहना है। समिति का एक विशिष्ट उद्देश्य शहरी दर्शकों को ग्रामीण पारम्परिक लोक संगीत व रंग मंच से परिचित कराना भी है ताकि वे उसे स्वीकार कर सकें।

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