- July 17, 2022
व्यंग्य : सूट कल्ली का देवघर दर्शन – शैलेश कुमार
75 वर्षों से सूटकल्ली को देवघर घूरने की दिली इच्छा इस बार पूरी हुई ।
सूटकल्ली और देवघर बाबा का संबंध खून – रिश्ता का है।
वो कैसे ?
जब रावण कैलाश को उठाए कैय चल जाय रहा था तो हम्ही थे की देवघरवा में रवाना को मुतास करा दिया ।
इतना ही नहीं हम्ही ने महादेव को सिखाया की हियां से टसमस नही होना है।
अगर हम नहीं रहता तो महादेव रवाना खानदान में एक कोना में नुकायल रहता।
इतना ही नहीं हमरा और महादेव में दो दिल एक जान का रिश्ता है।
उस समय की बात है, जब पार्वती की शादी में महादेव बौरा गए थे। मां एकेठाम मुंडी पटक दिया की यह शादी नही होगी।
तब मैंने ही महादेव को दिव्य रूप धारण करने की सलाह दी जो सिर्फ मां पार्वती ही देख सकी।
आज मैं सब कुछ उगल देना चाहता हूं जो मेरे दिल में 75 वर्षों से घुरिया रहा है।
आपको याद होगा या नहीं, जब मैं दो वर्ष का था तो सुलतान गंज में गंगा को मैं ही आने को कहा था।
मगध का शासक अशोक थे, वे मेरे सगा दादा लगेंगे।
बेचारे बहुत अच्छे थे ,मुझे अपने साथ घुड़सवार करने ले जाते , सौ – सौ क्विंटल की तलवारे, मुझसे उठवाते थे।
बिरसा मुंडा को कौन नहीं जानता है, लेकिन मुझसे ज्यादा कोई जानकार नही। हम दोनो एक दिल दो इंसान थे।
आदिवासी नेता मुंडा ! नही ! नही ! मुंडा साहब ,बड़े ही नेक दिल इंसान थे, बीते दिन की याद आती है तो आज भी मेरा दिल हाथ को आ जाता है।
ओ जंगल में तीर का अभ्यास कर रहे थे और मैं पेड़ के पीछे से झांक रहा था।
क्या बहादुर इंसान थे।
कई कई दिन हम दोनो भुखले रहते थे।
मुंडा साहब माड़ पीते थे और जो बच जाता था उसे मैं जीभ से चाट कर अंग्रेजो से लडने चले जाते थे।
मैदान में मुंडा बहादुरी के साथ आगे रहते थे वही पर मैं देवघर बाबा दर्शन को जाते रहे।
आज इस पवित्र भूमि पर हम रह गए लेकिन वे नहीं रहे।
इसी पवित्र भूमि से पुष्पक विमान वाहक का मौका मिला है।
इसी के साथ सूटकल्ली का दुआ सलाम।