- March 1, 2021
वेंटिलेटर निर्माताओं की नजर अब निर्यात पर— अनवरत वेंटिलेशन डॉक्टरों द्वारा पसंद नहीं किया जा रहा है
बिजनेस स्टैंडर्ड (विनय उमरजी और सोहिनी दास) हाल के वक्त में कोविड-19 के गंभीर मामलों में आई लगातार गिरावट के साथ-साथ डॉक्टरों द्वारा उपचार प्रोटोकॉल में परिवर्तन के परिणामस्वरूप देश में वेंटिलेटर विनिर्माता अब अपनी क्षमताओं का उपयोग करने के लिए अन्य नए रास्ते तलाश रहे हैं।
मार्च 2020 में प्रति माह केवल 300 वेंटिलेटर की क्षमता थी, लेकिन जुलाई 2020 तक देश की वेंटिलेटर निर्माण क्षमता 30,000 इकाई के बड़े स्तर तक पहुंच गई। इस कारण गैर-चिकित्सकीय उपकरण बनाने वाले राजकोट स्थित ज्योति सीएनसी जैसे भागीदारों ने न केवल वेंटिलेटर निर्माण में पैठ बनाई, बल्कि बढ़ती मांग पूरी करने के लिए सामान्य कंपनियों ने भी अपनी क्षमता में विस्तार किया।
हालांकि अब डॉक्टर अस्पतालों में कोविड-19 का उपचार प्रोटोकॉल बदल रहे हैं और वेंटिलेशन को अधिक प्राथमिकता नहीं दी जा रही है। स्कैनरे टेक्नोलॉजीज के संस्थापक और प्रबंध निदेशक वी एल्वा ने कहा, ‘ इस वैश्विक महामारी के दौरान करीब 55,000 वेंटिलेटर बेचे गए थे और मेरा अनुमान यह है कि इनमें से ज्यादातर का इस्तेमाल नहीं हुआ है। मैं इस्तेमाल के हालात की जांच करने के लिए बिना बताए अस्पतालों में गया हूं और मुझे लगता है कि करीब 20,000 इकाइयां इस्तेमाल में नहीं हैं। कोविड-19 के लिए उपचार प्रोटोकॉल बदल चुका है और वेंटिलेटर अब प्राथमिकता वाली स्थिति में नहीं हैं। अनवरत वेंटिलेशन डॉक्टरों द्वारा पसंद नहीं किया जा रहा है।’
इसके परिणामस्वरूप वेंटिलेटर विनिर्माता अब क्षमता उपयोग के नए रास्ते तलाश रहे हैं जिसमें इसका इस्तेमाल किसी अन्य उद्देश्य के लिए करना या विदेशी बाजारों में दस्तक देना भी शामिल है। उदाहरण के लिए वडोदरा स्थित मैक्स वेंटिलेटर ने न केवल अपनी वेंटिलेटर विनिर्माण क्षमता को बढ़ाकर 12,000 प्रति वर्ष किया है, बल्कि अब गहन देखभाल के अन्य प्रमुख चिकित्सा उपकरणों में भी पैठ बना रही है, हालांकि मुख्य रूप से इनका आयात किया जाता है।
मैक्स वैंटिलेटर्स के प्रबंध निदेशक अशोक पटेल ने कहा कि फिलहाल मरीजों की निगरानी करने वाली प्रणाली का चीन से और अत्याधुनिक प्रणाली का यूरोप से आयात किया जा रहा है, खास तौर पर जर्मनी से। भारत में ज्यादा विनिर्माता नहीं हैं, जबकि यह किसी आईसीयू में जरूरी होता है।
हम धीरे-धीरे ऐसी तकनीक विकसित कर रहे हैं, जो ऐसी प्रणाली के लिए खंडों का निर्माण करती है। उम्मीद है कि अगले छह महीने में हमारे पास स्वदेशी प्रणाली होगी। कंपनी वायु संचालित अपनी सामान्य वेंटिलेटर विनिर्माण क्षमता विस्तार के अलावा टरबाइन संचालित वेंटिलेटर के साथ-साथ उच्च-प्रवाह वाली ऑक्सीजन उपचार (एचएफओटी) उपकरण भी शामिल करने पर विचार कर रही है।
मैक्स वैंटिलेटर्स अपनी क्षमता के इस्तेमाल के लिए जिस अन्य तरीके पर विचार कर रही है, वह है एनस्थीसिया वर्कस्टेशनों के जरिये उपयोग किया जाना। पटेल ने कहा कि एनस्थीसिया वर्कस्टेशनों की काफी कमी है और हम इसके लिए भी तकनीक विकसित कर रहे हैं। ऐसे वर्कस्टेशन बनाने वाली बमुश्किल एक या दो ही कंपनियां हैं। अगर हमारे पास मरीजों पर नजर रखने वाली प्रणाली की तकनीक हो, तो उसे एनस्थीसिया वर्कस्टेशनों के साथ भी एकीकृत किया जा सकता है। तो, अगले कुछ महीनों में हमारे पास संपूर्ण वर्कस्टेशन तकनीक होगी।
इसी तरह, सामान्य वेंटिलेटर विनिर्माता अहमदाबाद स्थित लाइफलाइन बिज भी, जिसे घरेलू मांग में स्थिरता नजर आ रही है, अन्य उपकरण शामिल करने की योजना बना रही है। लाइफलाइन बिज के प्रबंध निदेशक विनीत आचार्य ने कहा ‘हां, अब घरेलू मांग स्थिर हो गई है। उदाहरण के लिए, पिछले साल इस वैश्विक महामारी के चरम के दौरान क्षमता में इजाफा करने के बाद हम 70 प्रतिशत क्षमता उपयोग कर रहे हैं, लेकिन हमें डर नहीं है।
आगे चलकर हम विकल्प के रूप में निर्यात का इस्तेमाल करेंगे, लेकिन देश में बाजार का उपयोग जारी रखने के लिए हमारा इरादा अन्य चिकित्सा उपकरणों के निर्माण का भी है।’ कंपनी एनस्थीसिया मशीनों और सिरिंज इन्फ्यूजन पंप जैसे उपकरणों के निर्माण के लिए अपनी क्षमताओं का उपयोग खोज रही है। आचार्य ने कहा कि कोविड से पहले इन उत्पादों के बाजार में इनकी 10 प्रतिशत वृद्धि थी, लेकिन कोविड के बाद इन उत्पादों की बाजार वृद्धि में 15 प्रतिशत से ज्यादा का रुख हो सकता है।
इन उत्पादों को मुख्य रूप से हल्के आयात शुल्क के साथ आयात किया जा रहा है। इसलिए स्वदेशी विनिर्माण के लिए मौका है, जिसे हम प्राप्त करने की योजना बना रहे हैं। दूसरी ओर ज्योति सीएनसी अपने वेंटिलेटरों के लिए अमेरिका और यूरोप से विनियामकीय प्रमाण-पत्र प्राप्त करने की प्रक्रिया में है जिन्हें वह जल्द ही निर्यात करने का इरादा रखती है। अलबत्ता एल्वा ने कहा कि सबसे बड़ी वेंटिलेटर विनिर्माता स्कैनरे निरापद बनी हुई है।
एल्वा ने कहा ‘हमने क्षमता सृजन के लिए निवेश नहीं किया था, बल्कि भारत इलेक्ट्रिोनिक्स लिमिटेड (बीईएल) के सुविधा केंद्र में वेंटिलेटर बनाए थे। इसलिए हम मांग की कमी के संबंध में चिंतित नहीं हैं। बीईएल ने भी वेंटिलेटर निर्माण के लिए अपनी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) निर्माण की क्षमता का इस्तेमाल किया था, क्योंकि सामान्य रूप से ईवीएम की मांग सीजनल होती है। निर्यात प्रतिबंध हटाया जा चुका है, लेकिन दुनिया के अधिकांश बाजार पर चीन कब्जा जमा चुका है और इसलिए अंतरराष्ट्रीय मांग ज्यादा नहीं है।