- April 22, 2016
विश्व पृथ्वी दिवस :- रमेेश गोयल
पृथ्वी दिवस 22 अप्रैल को भूमंडल के पर्यावरण संरक्षण पर चर्चा करने और जन साधारण को प्रदूषण के विषय में जागृत करने का अवसर है। विश्व भर में इस दिन रैलियां सेमिनार गोष्ठियां सेवा प्रकल्प आदि आयोजित किए जाते हैं। अमेरिकी सीनेटर गेराल्ड नेल्सन द्वारा 1970 में पर्यावरण शिक्षा के लिए इसकी स्थापना की गई और अब यह विश्व के 192 देशों में हर वर्ष मनाया जाता है।
अमेरिकी फिल्म अभिनेता एड्डी अलवर्ट ने पृथ्वी दिवस के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी अैर इसी कारण उनके जन्मदिन 22 अप्रैल को पृथ्वी दिवस मनाया जाने लगा। पहले पृथ्वी दिवस की घोषणा 21 मार्च 1970 सेन फांसिसको के मेयर जोसेफ अलिओटो ने की।
22 अप्रैल 1970 को पृथ्वी दिवस को हजारों महाविद्यालयों व विश्ववि़द्यालयों ने पर्यावरण प्रदूषण के विरूद्ध प्रदर्शनों का आयोजन किया और 1990 तक पूरी दुनियां जुड़ गई व 1992 में संयुक्त राष्ट्र पृथ्वी सम्मेलन का आयोजन हुआ और वैश्विक तापमानष् व “स्वच्छ उर्जा विषय को प्रोत्साहित करते हुए इसे अन्तर्राष्ट्रीय मान्यता मिल गई। 2007 का पृथ्वी दिवस सबसे महत्वपूर्ण रहा जिसमें करोड़ों लोगों ने विश्व स्तर पर इसमें भाग लिया।
1978 में संयुक्त राष्ट्र में घोषणा की गई कि “पृथ्वी दिवस” पहला पवित्र दिन है जो सभी राष्ट्रीय सीमाओं को पार करता हैए फिर भी सभी भौगोलिक सीमाओं को अपने आप में समाये हुए हैं। सभी पर्वतए महासागर और समय की सीमाएं इसमें सम्मिलित हैं और पूरी दुनिया को एक आवाज से बांध देता है।
यह प्राकृतिक सन्तुलन को बनाए रखने के लिए समर्पित है फिर भी पूरे ब्रह्मांड मे तकनीक समय मापन और तुरंत संचार को कायम रखता है।ष्ष् संयुक्त राष्ट्र में पृथ्वी दिवस का आयोजन अर्थ सोसायटी फाउंडेशन द्वारा किया जाता है। अमेरिका में इसे 21 मार्च को भी मनाया जाता है जब दिन.रात बराबर होते हैं।
पृथ्वी शब्द जिसमें जलए हरियालीए वन्यप्राणीए प्रदूषण और अन्य सम्बन्धित कारक भी हैं। पृथ्वी को बचाने के लिए केवल एक दिन हीं क्यों निर्धरित हो। यह प्रयास तो सतत् निरन्तर चलते रहना चाहिए। प्राकृतिक संसाधन हमें पूर्वजों से मिली सम्पत्ति नहीं जिसे हम मनमाने ढंग से प्रयोग करें बल्कि वे आगामी पीढ़ियों की धरोहर के रूप में हैं और हम उनके ट्रस्टी मात्र हैं यानी जैसी मिली उसे आगे सौपना है जबकि वर्तमान पीढ़ी इसके विपरीत कार्यरत है और सभी प्रकार के संसाधनों का अति दोहन कर रही है जिसके कारण वैश्विक तापमान बढ़ रहा है और जलवायु परिवर्तन हो रहा है।
आधुनिक विकास के कारण होने वाली पर्यावरणीय क्षति की पूर्ति सम्भव नहीं है इसलिए पृथ्वी दिवस पर हम सब संकल्प करें कि प्राकृतिक संसाधनों का आति दोहन नहीं करेंगे और भावी पीढ़ियों के भविष्य का भी ध्यान रखेंगे तथा पर्यावरण व स्वच्छ उर्जा की रक्षा करेंगे।
पर्यावरणविद
राष्ट्रीय पर्यावरण सचिव
मो- 9416049757