- August 13, 2015
विश्व अंगदान दिवस अंगदान श्रेष्ठत्तम दान है -चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री
जयपुर – चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री श्री राजेन्द्र राठौड़ ने कहा है कि चिकित्सा क्षेत्र में हुई उन्नति ने अनेक लाइलाज रोगों पर विजय प्राप्त की है। उन्होंने कहा कि ऑर्गन ट्रांसप्लांट के माध्यम से जीवन समाप्त होने के कगार पर आये अथवा अंग विकृत लोगों को नया जीवन सकता है।
श्री राठौड़ ने विश्व अंगदान दिवस की पूर्व संध्या पर अपने सन्देश में कहा कि अंग दान करने वालों की संख्या अत्यल्प तथा मरीजों की संख्या अधिक होने के कारण प्रतीक्षा की सूची बहुत लम्बी है। इसे ध्यान में रखते हुए अंगदान के प्रति जनचेतना बनाया जाना आवश्यक है।
चिकित्सा मंत्री ने बताया कि हमारे देश में हर वर्ष एक लाख कोर्निया की जरूरत होती है लेकिन 25 हजार कोर्निया ही प्रत्यारोपित हो पाती हैं। इसी प्रकार हर वर्ष एक से डेढ़ लाख किडनी की जरूरत होती है लेकिन लगभग 4 हजार किडनी ही प्रत्यारोपित हो पाती हैं। प्रत्येक वर्ष लगभग 20 हजार लीवर की जरूरत होती है परन्तु 500 ही प्रत्यारोपित हो पाते हैं। नियमानुसार नवजात बच्चे से लेकर बुजुर्ग व्यक्ति तक अंगदान कर सकते हैं। जीवित व्यक्ति कुछ ही अंग दान कर सकते हैं परन्तु मृत या ब्रेन डेड व्यक्ति से अनेक अंग प्राप्त किये जा सकते हैं।
श्री राठौड़ ने बताया कि प्रदेश में प्रतिवर्ष करीब 10 हजार व्यक्तियों की दुर्घटनाओं में मृत्यु होती है। विशेषज्ञों के अनुसार इनमें से 60 प्रतिशत व्यक्तियों की बे्रनडेथ से मृत्यु होती है। बे्रनडेथ से मृत व्यक्तियों के अनेक अंगों- दो आंख, हृदय, दो फेफड़े, पेनक्रियाज, लीवर, दो किडनी, आंते, स्किन, बोन, कार्डिलेज इत्यादि अंगों का प्रत्यारोपण कर जरूरतमंदों की जान बचायी जा सकती है।
स्व. मोहित आज लक्ष्मण सिंह में जिन्दा है
प्रदेश के प्रथम कैडेबर अंगदानी स्व. मोहित की किडनी ट्रांसप्लांट करवा चुके श्री लक्ष्मण सिंह ने विश्व अंगदान दिवस की पूर्व संध्या के अवसर पर कहा कि स्व. मोहित आज लक्ष्मण सिंह के रूप में जिंदा है। स्व. मोहित के पिता श्री कल्याण सहाय ने श्री लक्ष्मण सिंह से मिलकर उनकी कुशलक्षेम पूछी और उनकी दीर्घायु की कामना की।
अतिरिक्त मिशन निदेशक एनएचएम डॉ. नीरज के पवन के कार्यालय में अलवर जिले के तिलवाड़ गांव के निवासी श्री कल्याण सहाय अपने परिजनों एवं ग्रामवासियों के साथ पहुंचे और अंगदान के प्रति जनचेतना जाग्रत करने में सहयोग के लिए आश्वस्त किया।
तिलवाड़ गांव से श्री कल्याण सहाय के साथ आये श्री मोहनलाल प्रजापत ने कहा कि स्व. मोहित के अंगदान से न केवल जरूरतमंद को जीवनदान मिला है, बल्कि उनके गांव का नाम भी रोशन हो गया है। उन्होंने बताया कि समस्त ग्रामवासी अब अंगदान के प्रति जागरूक हो गये हैं और जरूरत पडऩे पर भविष्य में भी इस तरह के अंगदान के लिए सदैव तत्पर रहेंगे।
डॉ. पवन ने स्व. मोहित के पिता श्री कल्याण सहाय और उनके परिजनों को प्रदेश का प्रथम कैडेबर अंगदानी बनने के लिए साधुवाद देते हुए कहा कि राजस्थान की भूमि दानवीरों की भूमि मानी जाती है एवं श्री कल्याण सहाय ने अपने स्व. पुत्र के अंगदान कर प्रदेश के चिकित्सा इतिहास में एक नया पन्ना लिख दिया है। उन्होंने बताया कि स्व. मोहित के बाद गत् 6 माह में कुल 6 कैडेबर अंगदान किये जा चुके हैं।
इससे पूर्व किडनी प्राप्त करने वाले श्री लक्ष्मण सिंह ने अपने घर आये स्व. मोहित के पिता श्री कल्याण सहाय को पिता तुल्य बताते हुए पांव छूककर उनसे आशीर्वाद लिया एवं कहा कि मेरे शरीर में आज भी स्व. मोहित जिंदा है।
इस अवसर पर एमएफजेसीएफ के प्रतिनिधिगण भी मौजूद थे।