• July 30, 2019

विश्वविद्यालयों की विधियां (संशोधन) विधेयक, 2019 पारित

विश्वविद्यालयों की विधियां (संशोधन) विधेयक, 2019 पारित

जयपुर——–राज्य विधानसभा ने मंगलवार को विश्वविद्यालयों की विधियां (संशोधन) विधेयक, 2019 ध्वनिमत से पारित कर दिया।

उच्च शिक्षा राज्य मंत्री श्री भंवर सिंह भाटी ने सदन में विधेयक प्रस्तुत किया। उन्होंने विधेयक के कारणों एवं उद्देश्यों को रेखांकित करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा कुलपति के पद के लिए अवधारित न्यूनतम अर्हताओं और अनुभव के मुख्य उपबंध विश्वविद्यालयों की विधियों में 2017 में सम्मिलित किये जा चुके हैं। आयोग ने 2018 में भी विनियम जारी किए।

श्री भाटी ने कहा कि कुलपति के रूप में नियुक्त व्यक्ति द्वारा सक्षमता, सत्यनिष्ठा, नैतिक आचार और संस्थानिक प्रतिबद्धता के उच्चतम स्तर को धारित करने के संबंध में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (विश्वविद्यालय और महाविद्यालयों में शिक्षकों और अन्य शैक्षिक कर्मचारियों की नियुक्ति हेतु न्यूनतम अर्हताएं तथा उच्चतर शिक्षा में मानकों के रखरखाव हेतु उपाय) संबंधी विनियम, 2018 के खण्ड 7.3 को प्रभावी करने के लिए इससे संबंधित उपबंध को सम्मिलित किया जाना समुचित समझा गया है।

उच्च शिक्षा राज्य मंत्री ने कहा कि यदि किसी स्थिति में कुलपति को उसके पद की अवधि से पहले हटाया जाना जरूरी हो तो विश्वविद्यालयों की विधियों में उसको हटाने के लिए कोई उपबंध नहीं है। इसलिए यह उपबंध शामिल करना अपेक्षित है।

उन्होंने कहा कि इस प्रकार के प्रावधान कई राज्यों के विश्वविद्यालयों में भी हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की मंशा है कि विश्वविद्यालयों में गुणवत्ता बनी रहे।

इससे पहले सदन ने विधेयक को जनमत जानने हेतु परिचालित करने के संशोधन प्रस्ताव को ध्वनिमत से अस्वीकार कर दिया।

—-

Related post

यशपाल का आजादी की लड़ाई और साहित्य में योगदान

यशपाल का आजादी की लड़ाई और साहित्य में योगदान

  कल्पना पाण्डे———प्रसिद्ध हिन्दी कथाकार एवं निबंधकार यशपाल का जन्म 3 दिसम्बर 1903 को फिरोजपुर (पंजाब) में हुआ था। उनके…
साड़ी: भारतीयता और परंपरा का विश्व प्रिय पोशाक 

साड़ी: भारतीयता और परंपरा का विश्व प्रिय पोशाक 

21 दिसंबर विश्व साड़ी दिवस सुरेश सिंह बैस “शाश्वत”- आज से करीब  पांच वर्ष पूर्व महाभारत काल में हस्तिनापुर…
पुस्तक समीक्षा :कमोवेश सभी कहानियां गोरखपुर की माटी की खुशबू में तर-बतर है

पुस्तक समीक्षा :कमोवेश सभी कहानियां गोरखपुर की माटी की खुशबू में तर-बतर है

उमेश कुमार सिंह——— गुरु गोरखनाथ जैसे महायोगी और महाकवि के नगर गोरखपुर के किस्से बहुत हैं। गुरु…

Leave a Reply