• December 2, 2016

विविधता हमारे बहुलवादी समाज के मूल में है –राष्ट्रपति

विविधता हमारे बहुलवादी समाज के मूल में है –राष्ट्रपति

राष्ट्रपति सचिवालय —–राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने आज राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह में चीन गणराज्‍य के प्रो यू लांग यू को प्रतिष्‍ठित भारतीयशास्‍त्री पुरस्‍कार प्रदान किया।

इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि भारत हर पहलू में परंपरा और आधुनिकता के मध्‍य एक संतुलन का प्रतिनिधित्व करता है। हम अपने सभी रीति-रिवाजों में सांसारिक स्‍तर से लेकर विज्ञान, नवाचार और गणित से संबंधित शैक्षिक कार्यों में और अपने अध्‍यात्‍मिक व्‍यवसाय, रचनात्‍मकता और सांस्‍कृतिक गतिविधियों से संबंधित व्‍यवहार में अपने इतिहास और विरासत की छवि पाते हैं। हमारे गांव, हमारी परंपराओं के साथ मजबूती से जुड़े हैं, लेकिन साथ ही साथ वे साइबर युग में भी तेजी से आगे बढ़ रहे हैं।

योग और आयुर्वेदिक दवाएं हमारे प्राचीन भारतीय विज्ञान के उदाहरण हैं, जिनका हमारे दैनिक व्यवहार में अभी भी महत्वपूर्ण प्रभाव है। ये लगातार लोकप्रिय हैं और इन्‍हें सक्रिय रूप से पुनर्जीवित किया और बढ़ावा दिया जा रहा है और बढ़ावा दिया जा रहा है। भारतीय सभ्‍यता ने हमेशा विचारों और ज्ञान की नई विचारधाराओं का सृजन किया है। यह विविधता हमारे बहुलवादी समाज की जड़ में है। हमारे बहुआयामी अनुभवों की संपदा ने भारतीय शास्‍त्र के दायरे को विस्‍तृत कर दिया है।

राष्‍ट्रपति ने कहा कि भारतीय शास्‍त्र के विकास में विदेशी विद्यानों का महत्‍वपूर्ण योगदान रहा है। इनके प्रयासों से भारत के समृद्ध सांस्‍कृतिक और सभ्‍यतागत अतीत के बारे में पूरी दुनिया में जागरूकता बढ़ाने का मार्ग प्रशस्त किया है। भारतीय शास्‍त्र ने मानव सभ्‍यता के विकास को समझने में मदद की है।

धर्म और दर्शन से लेकर विज्ञान और समाज विज्ञान, भाषा, व्‍याकरण और सौंदर्य शास्‍त्र तक मानव जीवन की जटिलताओं की पूरी श्रृंखला के बारे में प्राचीन भारत के सिद्धांत और उत्‍तर रहे हैं। ऐसे कुछ कारण रहे हैं जिनसे भारतीय दर्शनशास्‍त्र को बढ़ावा देने के लिए विशेष अभ्‍यास करने की जरूरत अनुभव की गई है।

राष्ट्रपति ने कहा कि इसमें कोई आश्‍चर्य नहीं है कि दूसरा विशिष्‍ट भारतीयशास्‍त्री पुरस्‍कार चीन के विद्यान को दिया जा रहा है। चीन की सभ्‍यता के साथ भारत के सदियों पुराने शैक्षिक और सांस्‍कृतिक आदान-प्रदान वाले संबंध रहे हैं। प्राचीन काल से ही हमारे विद्यानों, वैज्ञानिकों और इतिहासकारों के मध्‍य संबंध रहे हैं।

धार्मिक, व्‍यापारिक और सांस्‍कृतिक समानताओं के संबंधों से ये आपसी प्रेरक संबंधों को और मजबूती मिली है। चीनी साहित्‍य और कला में भारत के भौगोलिक और पौराणिक तत्‍वों के विलय का प्रभाव हमारी सभ्‍यताओं और जीवंत सांस्‍कृतिक और आर्थिक संबंधों के मध्‍य हुई समृद्ध बाह्य परागण क्रिया का गवाह है। इससे दोनों देशों के मध्‍य ये संबंध लगातार फल-फूल रहे हैं। चीनी इतिहासकारों के लेख और सजीव विवरण भारत के लिखित इतिहास के बहुमूल्‍य घटक हैं।

शेन्ज़ेन विश्वविद्यालय के भारतीय अध्ययन केंद्र के निदेशक प्रो यू लांग यू ने 50 वर्षों तक भारतीय शास्‍त्र का अध्‍ययन किया है और वे दक्षिण चीन में भारतीय शास्‍त्र के अग्रणीय विद्यान हैं। इन्‍होंने भारतीय उपन्‍यासों, और कई हजार से भी अधिक चीनी चरित्रों के ड्रामा साहित्‍य का अनुवाद किया है तथा इनके 80 से अधिक शैक्षिक लेख प्रकाशित हो चुके हैं।

इन्‍होंने अनेक पुस्‍तकें लिखी है और शेन्ज़ेन विश्वविद्यालय में भारतीय अध्‍ययन केंद्र तथा युन्‍शान चीन-भारत मैत्री संग्राहलय की स्‍थापना की है। इस समारोह में विदेश राज्‍य मंत्री श्री एमजे अकबर और भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के अध्यक्ष प्रो लोकेश चंद्र भी उपस्‍थित थे।

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