- December 27, 2014
वित्त आयोग की सिफारिशों की निगरानी के लिए निष्पक्ष संघीय कॉंसिल बनायें -नगरीय विकास मंत्री
जयपुर -नगरीय विकास मंत्री श्री राजपाल सिंह शेखावत ने वित्त आयोग की सिफारिशों की निगरानी के लिए एक निष्पक्ष संघीय कॉंसिल बनाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि इससे केन्द्र राज्यों के बीच के वित्तीय मामलों को आसानी से सुलझाया जा सकता है।
वे केन्द्रीय वित्त मंत्री श्री अरूण जेटली की अध्यक्षता में शुक्रवार को नई दिल्ली के होटल अशोक में राज्यों के मुख्यमंत्रियों और वित्त मंत्रियों की बजट पूर्व चर्चा के लिए आयोजित बैठक में राजस्थान का प्रतिनिधित्व करते हुए बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार को चाहिए कि वे केन्द्र प्रवर्तित योजनाओं के बजाए राज्य केंद्रीत योजनाओं को बढ़ावा देवे और राज्यों को अपनी योजनाओं की क्रियांविती के लिए केन्द्रीय सहायता के रूप में निर्बन्ध राशि (अनटाईड ब्लॉक ग्रांट) का हिस्सा बढ़ाया जावे, जिससे राज्य क्षेत्रीय विविधताओं के आधार पर अपने विकास के लक्ष्यों को प्राप्त कर सके।
श्री शेखावत ने राष्ट्रीय महत्व के कार्यक्रमों जैसे नरेगा, आर.टी.ई आदि के क्रियान्वयन के लिए दी जाने वाली केन्द्रीय सहायता में बढ़ोतरी की मांग भी रखी। उन्होंने कहा कि इनसे राज्यों पर आर्थिक भार लगातार बढ़ रहा है। अत: केन्द्र सरकार को इनकी अनुपालना लागत भी प्रदान करनी चाहिए।
श्री शेखावत ने केन्द्र सरकार द्वारा राज्यों को प्रदान की जाने वाली अनुदान राशियों के लिए लगाई जाने वाली सीमाओं में रियायत देने की मांग भी रखी। क्योंकि केंद्र प्रवर्तित अनुदान पर लगाई गई सीमाओं के कारण राज्यों द्वारा यह राशि खर्च नही हो पाती है और इसका उदेश्य भी पूरा नहीं हो पाता है। उन्होनें कहा कि कठोर सीमा निर्धारित होने के कारण राजस्थान में 13वें वित्त आयोग की सिफारिशों के आधार पर जल प्रबंधन और यू.आई.डी. आदि के लिए प्राप्त होने वाली अनुदान राशि अभी तक प्राप्त नहीं हो सकी है।
उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा आयकर एवं अन्य केन्द्रीय करों पर लगाए जाने वाले सैस एवं सरचार्ज से प्राप्त राशि में राज्यों को हिस्सेदारी प्रदान की जानी चाहिए। अभी तक सैस एवं सरचार्ज से प्राप्त धनराशि पूर्णत: केन्द्र सरकार के हिस्से में जाती है। राज्यों को इसमें हिस्सेदारी देने के लिए सेस और सरचार्ज से प्राप्त होने वाली राशि को ‘डिविजिबल-पुल’ का हिस्सा माना जाना चाहिए।
श्री शेखावत ने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा कई वर्षो से राज्यों को विवेकाधीन आधार पर जैसे विशेष केन्द्रीय सहायता (एस.सी.ए), विशेष योजना सहायता (एस.पी.ए.) के माध्यम से धन सहायता देने का प्रावधान बनाया हुआ है जिसके सहारे केन्द्र सरकार द्वारा चुने हुए राज्यों को धन स्थानान्तरण किया जाता रहा है। इन माध्यम से राजस्थान को कभी कोई सहायता प्राप्त नहीं हुई है। अत: ऐसे विवेकाधीन धन स्थानान्तरण के तरीकों को आगे से जारी नही रखा जाना चाहिए।
पेयजल समस्याग्रस्त राजस्थान के लिए 7275 करोड़ रुपये की अतिरिक्त मदद दी जावे
श्री शेखावत ने कहा कि भौगोलिक दष्टि से देश के सबसे बड़े राज्य और रेगिस्तान प्रधान राजस्थान को पेयजल की दृष्टि से समस्याग्रस्त राज्य मानते हुए ‘ग्रामीण जल आपूर्ति योजना’ एवं ‘राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम’ के बेहतर क्रियान्वयन के लिए 7275 करोड़ रुपये की अतिरिक्त केन्द्रीय सहायता प्रदान की जावे।
उन्होंने कहा कि राजस्थान की अपनी विशेष भौगोलिक परिस्थितियॉं है जिसमें पानी की कमी सबसे बड़ा संकट, चिंता और चुनौती है। राजस्थान में पानी की मात्र एक प्रतिशत उपलब्धता है जबकि देश की पांच प्रतिशत आबादी और 18 प्रतिशत पशुधन के साथ ही प्रदेश के 236 विकासखंडों में से मात्र 32 विकास खंड ही पेयजल की दृष्टि से सुरक्षित है। इसलिए राज्य में प्राय: पडऩे वाले अकाल एवं सूखे को देखते हुए पेयजल के लिए वर्तमान प्रावधानों के अलावा अतिरिक्त केन्द्रीय मदद अत्यंत आवश्यक है।
श्री शेखावत ने स्टेट डिजास्टर रैस्पोंस फंड (एस.डी.आर.एफ.) की नियमावली में संशोधन करने की पहल करने का सुझाव देते हुए कहा कि मरूस्थलीय राजस्थान में सुदूर गांवो औटर ढांणियों में पेयजल की कमी एवं सूखे के कारण लंबे समय तक मवेशी कैंप एवं पेयजल की आपूर्ति करनी पड़ती है जबकि एस.डी.आर.एफ के नियमों के तहत् केवल 90 दिन पर सहायता आधारित सूखे के कैंप एवं पेयजल की आपूर्ति की जा सकती है। राजस्थान की भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखकर यह समय सीमा में बढ़ाई जानी चाहिए।
श्री शेखावत ने आग्रह किया कि नाबार्ड द्वारा प्रदान की जाने वाली पुनर्विंत सुविधा की ब्याज दर 4.5 प्रतिशत से घटाकर पुन: 2.5 प्रतिशत किया जाना चाहिए। साथ ही वर्तमान में नाबार्ड द्वारा प्रदान किए जा रहे पुर्नवित्त के हिस्से को 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 75 प्रतिशत करवाया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि विद्युत वितरण कंपनियों की पुर्नसंरचना के लिए बनाई गई ”वित्तीय पुर्नसंरचना योजना” की कटऑफ डेट दो वर्ष आगे बढ़ायी जावे। साथ ही इस योजना के क्रियान्वयन के लिए प्राप्त होने वाले ‘वर्किंग कैपिटल लोन’ पर ब्याज दर को भी कम किया जावे।
श्री शेखावत ने आग्रह किया कि ‘पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना’ के अन्तर्गत केन्द्र एवं राज्यों की वित्तीय हिस्सेदारी लगभग अपरिभाषित है और वर्तमान में राजस्थान में हो रहे शिक्षा विकास के कारण इन छात्रवृत्तियों की संख्या लगातार बढ़ रही है अत: केन्द्र सरकार को राज्य सरकार का आर्थिक भार कम करने के लिए उक्त योजनाओं में केन्द्र राज्य का अनुपात (75 : 25) करना चाहिए।
श्री शेखावत ने कहा कि पिछले दो सालों में राजस्थान को ‘हाइवे’ मरम्मत के लिए मिलने वाली धनराशि में जबरदस्त गिरावट आयी है। उन्होंने आग्रह किया कि केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं हाइवे मंत्रालय के माध्यम से राजस्थान को गैर योजनागत मद के अन्तर्गत शीघ्र सहायता मुहैया करवायी जावें।
उन्होंने सुझाव दिया कि सड़क दुर्घटनाओं में हो रही लगातार बढ़ोतरी से निबटने के लिए ‘नेशनल इन्टेलीजेंट ट्रांस्पोर्ट सिस्टम फंड़ (एन.आई.टी.एस.एफ.) का गठन किया जावे, ताकि लाइसेंस व्यवस्था के साथ-साथ सड़क नियमों को उल्लंघनों की विद्युतीय निगरानी की जा सके।
श्री शेखावत ने प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अन्तर्गत राजस्थान की मांग के अनुरूप बकाया धन राशि उपलब्ध करवाने का आग्रह भी किया ताकि, योजना को समय पर सम्पन्न किया जा सके तथा बेहतर क्रियान्वयन हो सके।
श्री शेखावत ने बैठक के दौरान जेलों की हालातों का जिक्र करते हुए कहा कि जेलों की हालत सुधारने के लिए ‘जेल आधुनिकीकरण योजनाÓ बनायी जानी चाहिए।
श्री शेखावत ने 2007-08 से 2013-2014 के बीच ‘केन्द्रीय बिक्री कर’ (सी.एस.टी.) में राजस्थान के हिस्से के करीब 3676.95 करोड़ रूपये की राशि की मांग करते हुए केन्द्रीय वित्त मंत्रालय से अनुरोध किया कि केन्द्रीय बजट में इसके मुआवजे का समुचित प्रावधान रखा जाए।
श्री शेखावत ने केन्द्र द्वारा प्रस्तावित वस्तु एवं सेवा कर (जी.एस.टी.) का समर्थन करते हुए अनुरोध किया इसमें राज्यों के हितों का ध्यान भी रखा जाए। उन्होनें कहा कि केन्द्र सरकार को वस्तु एवं सेवा कर के बेहतर प्रबंधन और जी.एस.टी. में सूचना तकनीकी के विकास और क्रियान्वयन के लिए राज्यों को विशेष सहायता एवं पैकेज उपलब्ध करवाना चाहिए।
बैठक में केन्द्रीय वित्त राज्यमंत्री श्री जयंत सिन्हा, केन्द्रीय वित्त सचिव श्री राजीव महर्षि, केन्द्रीय वित्त सचिव (व्यय) श्री रतन पी.वाटल और प्रदेश के प्रमुख वित्त सचिव श्री प्रेम सिंह मेहरा आदि भी मौजूद थे।
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