विकास दर 5.7% : एशिया-प्रशांत क्षेत्र अब भी विश्‍व का विकास इंजन :- वित्‍त मंत्री श्री अरुण जेटली

विकास दर 5.7%  :  एशिया-प्रशांत क्षेत्र अब भी विश्‍व का विकास इंजन  :- वित्‍त मंत्री श्री अरुण जेटली

केंद्रीय वित्‍त मंत्री श्री अरुण जेटली ने कहा कि वैसे तो एशिया-प्रशांत क्षेत्र अब भी विश्‍व का विकास इंजन बना हुआ है, लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि इस क्षेत्र की विकास दर पिछले साल के अनुमानित 5.9 फीसदी से घटकर वर्ष 2016 और वर्ष 2017 में 5.7 फीसदी रह जाएगी। श्री जेटली ने कहा कि वैश्विक स्‍तर पर प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद भारत वर्ष 2015-16 में 7.65 फीसदी की ऊंची आर्थिक विकास दर हासिल करने में कामयाब रहा, जबकि पिछले साल यह 7.2 फीसदी आंकी गई थी।

इस क्षेत्र के निर्धनतम देशों में विकास एवं गरीबी उन्‍मूलन में भागीदार बनने की भारतीय प्रतिबद्धता को दोहराते हुए वित्‍त मंत्री ने घोषणा की कि सरकार ने एशियाई विकास बैंक (एडीबी) के एडीएफ-12 के तहत अपना अंशदान बढ़ाकर 40 मिलियन अमेरिकी डॉलर कर दिया है। वित्‍त मंत्री कल जर्मनी के फ्रैंकफर्ट में आयोजित एशियाई विकास बैंक की 49वीं वार्षिक आम बैठक के कारोबारी सत्र को संबोधित कर रहे थे।

भारत में विकास की मिसाल को रेखांकित करते हुए वित्‍त मंत्री श्री जेटली ने कहा कि सरकार दूरगामी ढांचागत सुधारों के जरिये ‘बदलाव के लिए सुधार’ की अवधारणा को अपना रही है। उन्‍होंने कहा कि सरकार ने निवेश माहौल को बेहतर करने एवं कारोबार में और ज्‍यादा सुगमता सुनिश्चित करने के लिए अनेक कदम उठाए हैं। वित्‍त मंत्री श्री जेटली ने कहा कि बु‍नियादी ढांचागत क्षेत्र में निवेश बढ़ाने के लिए राष्‍ट्रीय बुनियादी ढांचा निवेश कोष (एनआईआईएफ) बनाया गया है।

इसी तरह नवाचार, उद्यमिता और रोजगार सृजन को बढ़ावा देने के लिए मेक इन इंडिया, स्‍टार्टअप इंडिया और स्किल इंडिया जैसी अनेक योजनाएं क्रियान्‍वित की जा रही हैं। वित्‍त मंत्री श्री जेटली ने कहा कि भारत के व्‍यापक वित्‍तीय समावेश कार्यक्रम के परिणामस्‍वरूप बगैर बैंकिंग सुविधा वाले व्‍यक्तियों के 200 मिलियन से भी ज्‍यादा बैंक खातों को खोलना संभव हो पाया है।

एडीबी की भूमिका का उल्‍लेख करते हुए वित्‍त मंत्री श्री जेटली ने कहा कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र जिस तरह से वैश्विक आर्थिक परिदृश्‍य में तेजी से हो रहे बदलावों के बीच अपना मार्ग प्रशस्‍त कर रहा है, ठीक उसी तरह से समय पर मूल्‍यवान योगदान करने संबंधी एडीबी की क्षमता पर गौर किया जा रहा है। वित्‍त मंत्री श्री जेटली ने विशेष जोर देते हुए कहा कि एडीबी को अभिनव परियोजनाओं के लिए अपनी ओर से सहायता देते हुए परिवर्तन का वाहक बनने की जरूरत है, जो संभवत: स्‍थानीय प्रयासों के जरिये संभव नहीं है।

उन्‍होंने कहा कि एडीबी के रेजीडेंट मिशनों का सशक्तिकरण और निर्णय लेने में प्रत्यायोजन एवं विकेन्‍द्रीकरण कुछ सुधार संबंधी अनिवार्यता हैं। वित्‍त मंत्री ने सुधारों पर निरंतर जोर देने की बात को रेखांकित किया ताकि एडीबी को एक बेहतर और बड़े एमडीबी में तब्‍दील किया जा सके।

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