- August 1, 2019
विकास खंडों के परिसीमन-पुनर्गठन की मांग——सांसद अजय प्रताप
सीधी (विजय सिंह)—– राज्य सभा सभापति एम. वेंकैया नायडू ने आज राज्य सभा सांसद अजय प्रताप सिंह की संसद में विकास खंडो के परिसीमन का मुद्दा उठाने पर प्रशंसा की। सभापति ने कहा ‘‘अजय जी आपने मौलिक और महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया है। आशा करता हूं कि सरकार इसके ऊपर ध्यान दे और सदन भी। यह केवल आर्डर से होगा नहीं है, सर्वसम्मति बनाना और प्रदेश सरकारों से भी बात करना होगा। लेकिन मुद्दा जमीन लेवल से जुड़ा हुआ है।
राज्य सभा सांसद ने कहाकि भारत में लगभग 55 सौ विकास खंड है। इन्हें देश के अलग-अलग भागों में अलग-अलग नाम से पुकारा जाता है। ग्रामीण क्षेत्र की महत्वपूर्ण प्रशासनिक इकाई का पूरे देश में एक ही नाम से पुकारना चाहिये।
इन विकास खंड इकाईयों का लम्बे काल खंड से पुनर्निधारण या परिसीमन नहीं किया गया है, जिसके कारण कई विसंगति और असंतुलन व्यापत हो गया है। इसका कारण देश की बढ़ती जन संख्या है।
कई निर्जन गांव अब आबाद हो गये हैं, उसके कारण पंचायतों की संख्या बढ़ गई है। कई मसारी गांव जो पहले भारत के नक्शे में नहीं थे, अब उनका नक्शा निर्धारण हो गया है और वह राजस्व गांव में परिवर्तित हो गये हैं। वहां पर भी पंचायतें बन गई हैं। उससे भी पंचायतों की संख्या बढ़ी है।
देश में शहरीकरण बढ़ा है, तो शहरों के आस पास की ग्राम पंचायतें हैं वह शहरों में विलीन होती जा रही हैं। इसके कारण भी संख्या में असर आया है। इस परिवर्तन के कारण जो विकास खंड हैं, उसमें परस्पर असंतुलन व्याप्त हो गया है। कहीं कहीं विकास खंडों में तो डेढ़ सौ पंचायतें सम्मिलित हैं और किसी-किसी विकास खंड में तो मात्र 25-30 पंचायतें ही शेष रह गई हैं। इसलिये असंतुलन को समाप्त करने के लिये विकास खंडों का पुनर्गठन अथवा परिसीमन करना आवश्यक है।
राज्य सरकार जो अन्य इकाईयां मसलन जिला, तहसील, पुलिस थानों का परिसीमन करती है। लेकिन मेरी जानकारी के अनुसार विकास खंडों का परिसीमन या पुनर्निधारण का अधिकार राज्य सरकार के पास नहीं है, केन्द्र सरकार के पास है। यह निर्धारण लम्बे समय से नहीं हुआ है इसलिये जो राज्य की अ न्य प्रशासनिक इकाईयां हैं और विकास खंडो के बीच असंतुलन व्यापत हो गया है।
आजादी के बाद से चार बार विधान सभा और लोक सभा का परिसीमन हो गया है और इसलिये मेरी मांग है कि संसद कोई नियम बनाये।