वर्ष 2017 — इलेक्‍ट्रॉनिक विनिर्माण में निवेश 27 प्रतिशत बढोतरी

वर्ष 2017 — इलेक्‍ट्रॉनिक विनिर्माण में निवेश 27 प्रतिशत बढोतरी

पीबीआई (दिल्ली)———— पिछले एक वर्ष के दौरान डिजिटल लेन-देन में 300 प्रतिशत से भी ज्‍यादा की वृद्धिअनूठी पहचान ‘आधार’ के दायरे में अब भारत की 99 प्रतिशत से भी अधिक की वयस्‍क आबादी आ चुकी है197 करोड़ से भी अधिक दस्‍तावेजों को ‘डिजिलॉकर’ में रखा जा चुका है
भारत सरकार की प्रमुख परियोजना ‘डिजिटल इंडिया’ ने वर्ष 2017 में उल्‍लेखनीय प्रग‍ति की है।

भारत सरकार के एक प्रमुख मंत्रालय और डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के क्रियान्‍वयनकर्ता के रूप में इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने आईटी/आईटीईएस और इलेक्‍ट्रॉनिक विनिर्माण के क्षेत्र में अनेक क्रांतिकारी पहल की हैं, जिनकी बदौलत भारत ने भी अब वैश्विक मानचित्र में अपनी उपस्थिति दर्ज करा ली है।

अब विश्‍व भर के प्रतिष्ठित विश्‍वविद्यालयों में केस स्‍टडी के रूप में स्‍वीकार कर लिया गया है। अनूठी पहचान ‘आधार’ के जरिए देश की 99 प्रतिशत से भी अधिक वयस्‍क आबादी को इसके दायरे में लाने के बाद भारत अब डिजिटल इंडिया के दूसरे चरण का काम शुरू करने पर विचार कर रहा है।

वर्ष 2017 के दौरान इलेक्‍ट्रॉनिक विनिर्माण में निवेश में 27 प्रतिशत की उल्‍लेखनीय बढ़ोतरी दर्ज की गई, जबकि कुल निवेश राशि वर्ष 2016 के 1.43 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर वर्ष 2017 में 1.57 लाख करोड़ रुपये के स्‍तर पर पहुंच गई। यह निवेश राशि वर्ष 2014 में केवल 11,000 करोड़ रुपये ही थी।

वर्ष 2017 के दौरान मोबाइल फोन का उत्‍पादन लगभग 60 प्रतिशत की उल्‍लेखनीय बढ़ोतरी के साथ 17.5 करोड़ के आंकड़े को छू गया, जबकि इससे पिछले वर्ष यह आंकड़ा 11 करोड़ था। इसके फलस्‍वरूप इस क्षेत्र में 4 लाख प्रत्‍यक्ष एवं अप्रत्‍यक्ष रोजगारों का सृजन हुआ। वर्ष 2014-15 में मोबाइल फोन के उत्‍पादन का आंकड़ा केवल 6 करोड़ ही था। वर्ष 2017 के दौरान डिजिटल लेन-देन में 300 प्रतिशत से भी ज्‍यादा की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।

वर्ष 2017 में भारत सरकार ने अनेक जन अनुकूल आईटी पहल की हैं, जिनकी बदौलत गवर्नेंस प्रणाली में व्‍यापक बदलावा आया है। इनमें से कुछ महत्‍वपूर्ण पहलों में भारत बीपीओ संवर्धन योजना, सेवाओं की त्‍वरित डिलीवरी एवं कारगर निगरानी के लिए सॉफ्टवेयर खरीद नीति, ग्रामीण भारत में कानूनी सहायता को मुख्‍य धारा में लाने के लिए सीएससी के जरिए टेली-लॉ शामिल हैं।

अंतिम व्‍यक्ति तक पहुंचने और डिजिटल सुविधा उपलब्‍ध होने के मामले में शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों के बीच की खाई तथा डिजिटल सुविधा प्राप्‍त लोगों एवं डिजिटल सुविधा से वंचित लोगों के बीच की खाई को पाटने के लिए साझा सेवा केंद्र (सीएससी) का कारगर ढंग से इस्‍तेमाल किया गया है।

मजबूत डिजिटल व्‍यवस्‍था की ओर भारत के अग्रसर होने की पुष्टि के लिए कुछ महत्‍वपूर्ण आंकड़ों का उल्‍लेख नीचे किया गया है :

मोबाइल फोन क्रांति : आज भारत में 121 करोड़ मोबाइल फोन उपयोगकर्ता (यूजर) हैं, जबकि वर्ष 2016 में यह संख्‍या 103 करोड़ थी।

स्‍मार्टफोन यूजर्स : स्‍मार्टफोन उपयोगकर्ताओं (यूजर्स) की संख्‍या वर्ष 2016 के 30 करोड़ से बढ़कर वर्ष 2017 में 40 करोड़ के स्‍तर पर पहुंच गई है।

इंटरनेट यूजर्स : इंटरनेट उपयोगकर्ताओं (यूजर्स) की संख्‍या वर्ष 2016 के 40 करोड़ से बढ़कर वर्ष 2017 में 50 करोड़ के स्‍तर पर जा पहुंची है।

मोबाइल फोन के निर्माण में वृद्धि

निर्मित मोबाइल फोन की संख्‍या में 60 प्रतिशत की वृद्धि। मोबाइल फोन के निर्माण का आंकड़ा वर्ष 2015-16 के 11 करोड़ से बढ़कर वर्ष 2016-17 में 17.5 करोड़ के स्‍तर पर पहुंच गया है।
105 मोबाइल/सहायक उपकरण निर्माण इकाइयां

वर्ष 2014 से लेकर अब तक 4 लाख प्रत्‍यक्ष एवं अप्रत्‍यक्ष रोजगारों का सृजन हुआ, जिनमें से 2.4 लाख रोजगार वर्ष 2017 में सृजित हुए।

इलेक्‍ट्रॉनिक विनिर्माण में निवेश

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डिजिटल भुगतान में वृद्धि : विमुद्रीकरण के बाद सरकार द्वारा की गई अनेक पहलों की बदौलत डिजिटल भुगतान के विभिन्‍न स्‍वरूपों में उल्‍लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। इस रुझान की व्‍याख्‍या निम्‍नलिखित तालिका के जरिए की जा सकती है :

क्रम संख्‍या

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आधार : किसी भी समय एवं कहीं भी सत्‍यापन के लिए अनूठी पहचान और डिजिटल प्‍लेटफॉर्म के साथ भारत के नागरिकों को सशक्‍त करने के उद्देश्‍य से शुरू किया गया ‘आधार’ आज दुनिया की सबसे बड़ी बायोमीट्रिक आधारित डिजिटल पहचान प्रणाली है। वर्ष 2017 में आधार खाताधारकों की कुल संख्‍या बढ़कर 119 करोड़ के स्‍तर पर पहुंच गई, जबकि वर्ष 2016 में यह संख्‍या 104 करोड़ थी। ‘आधार’ का इस्‍तेमाल गवर्नेंस में वृद्धि करने के उद्देश्‍य से एक डिजिटल प्‍लेटफॉर्म के रूप में किया जा रहा है।

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जीवन प्रमाण : यह पेंशनभोगियों एवं वरिष्‍ठ नागरिकों के बायोमीट्रिक सत्‍यापन के लिए ‘आधार’ पर आधारित एक प्‍लेटफॉर्म है। 10 नवम्‍बर, 2014 को इसे लांच करने के बाद से लेकर अब तक 150.15 लाख से भी अधिक पेंशनभोगी अब तक इस पोर्टल पर पंजीकृत हो चुके हैं। यह संख्‍या वर्ष 2016 में 16.54 लाख थी।

डिजिटल लॉकर प्रणाली (डिजिलॉकर) : जुलाई, 2016 में लांच किया गया डि‍जिलॉकर एक ऐसा प्‍लेटफॉर्म है, जहां देश के नागरिक इलेक्‍ट्रॉनिक ढंग से अपने दस्‍तावेजों को सुरक्षापूर्वक स्‍टोर कर सकते हैं और इसके साथ ही अपने दस्‍तावेजों को सेवाप्रदाताओं के साथ साझा कर सकते हैं।

हालांकि, इसके लिए संबंधित व्‍यक्ति की यथोचित अनुमति जरूरी है। अब तक 197 करोड़ से भी अधिक दस्‍तावेजों को डिजिलॉकर में रखा जा चुका है, जिससे 88 लाख से भी अधिक उपयोगकर्ताओं की पहुंच इस लॉकर तक हो गई है। पहली बार सीबीएसई की 10वीं कक्षा के परिणामों और ‘नीट’ के परिणामों को भी डिजिटल लॉकर में डिजिटल ढंग से भेजा गया।

आधार पेमेंट ब्रिज (एपीबी) के जरिए प्रत्‍यक्ष लाभ हस्‍तांतरण (डीबीटी) : ‘आधार’ पर आधारित डीबीटी के जरिए कुल मिलाकर 2.43 लाख करोड़ रुपये की राशि 394 सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों को भेजी गई है, जिसके परिणामस्‍वरूप पिछले तीन वर्षों में 57,000 करोड़ रुपये की बचत हुई है। फर्जी दावेदारों को सफलतापूर्वक निकाल देने से यह संभव हो पाया है।

इस प्रक्रिया के जरिए कुल मिलाकर 2.33 करोड़ बोगस राशन कार्डों और 3 करोड़ फर्जी एलपीजी कनेक्‍शनों की पहचान की गई है।

ई-ताल (इलेक्‍ट्रॉनिक लेन-देन एकत्रीकरण एवं विश्‍लेषण पटल) : वर्ष 2017 के दौरान विभिन्‍न ई-गवर्नेंस सेवाओं के तहत ई-लेनदेन में उल्‍लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। आज ई-ताल के तहत प्रति दिन 4.5 करोड़ लेन-देन दर्ज किये जाते हैं, जो वर्ष 2016 के 2.07 करोड़ लेन-देन के मुकाबले काफी अधिक है। इस तरह 3506 से भी अधिक ई-सेवाओं को एकीकृत किया गया है।

साझा सेवा केंद्र (सीएससी) : सीएससी विश्‍व का सबसे बड़ा डिजिटल सेवा डिलीवरी नेटवर्क है। ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी से युक्‍त इन सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी आधारित कियोस्‍क के जरिए लोगों के घरों पर जाकर विभिन्‍न सरकारी, निजी एवं सामाजिक सेवाएं मुहैया कराई जा रही हैं।

आज लगभग 2.7 लाख सीएससी सक्रिय हैं और वे देशवासियों को विभिन्‍न डिजिटल सेवाएं जैसे कि आधार नामांकन, टिकट बुकिंग, विभिन्‍न उपक्रमों की सेवाएं और अन्‍य ई-गवर्नेंस सेवाएं मुहैया करा रहे हैं।

माईगव : यह नागरिक केन्द्रित डिजिटल गठबंधन प्‍लेटफॉर्म है, जो लोगों को सरकार से जोड़ता है और इसके साथ ही सुशासन में महत्‍वपूर्ण योगदान करता है। इसका शुभारंभ 26 जुलाई, 2014 को किया गया।

प्रथम वर्ष में इसके केवल 8.74 लाख उपयोगकर्ता (यूजर) थे, जबकि आज 64 समूहों के तहत ‘माईगव’ के 50 लाख से भी ज्‍यादा सक्रिय यूजर्स हैं, जो 756 परिचर्चा समूहों के जरिए अपने विचारों का योगदान करते हैं और 701 निर्धारित कार्यों के जरिए भागीदारी करते हैं। यह संख्‍या वर्ष 2016 के 36 लाख सक्रिय यूजर्स की तुलना में अधिक है।

अन्‍य उल्‍लेखनीय उपलब्धियां :

भारत बीपीओ संवर्धन योजना : बीपीओ की 18,160 सीटों का पहले ही आवंटन हो चुका है। 13,822 और सीटों के आवंटन को जल्‍द ही अंतिम रूप दे दिया जाएगा।

जन धन खाते : 30 करोड़

जन सुरक्षा योजनाओं का पंजीकरण : 15 करोड़

मुद्रा : नौ लाख लोगों को ऋण के रूप में 4 लाख करोड़ रुपये मिले।

मृदा स्‍वास्‍थ्‍य कार्ड : 5 करोड़ कार्ड बनाए गए।

ई-नाम : 50 लाख पंजीकृत किसान, 455 कृषि बाजारों को लिंक किया गया।

राष्‍ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल : 4 करोड़ छात्र पंजीकृत किए गए।

जीईएम : 4600 क्रेता और 14512 विक्रेता पंजीकृत किए गए।

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