वर्षान्‍त समीक्षा: खाद्य प्रसंस्‍करण उद्योग मंत्रालय

वर्षान्‍त समीक्षा: खाद्य प्रसंस्‍करण उद्योग मंत्रालय

1.  देश में खाद्य प्रसंस्‍करण क्षेत्र के विकास को बढ़ावा देने के लिए जुलाई 1988 में खाद्य प्रसंस्‍करण उद्योग मंत्रालय की स्‍थापना की गयी थी। राष्‍ट्रीय प्राथमिकता व उद्देश्‍यों के परिपेक्ष्‍य में इस मंत्रालय का कार्य खाद्य प्रसंस्‍करण उद्योगों के लिए नीतियां व योजनाएं तैयार करना और उन्‍हें लागू करना है। इस क्षेत्र में निवेश को प्रोत्‍साहित करने के लिए मंत्रालय ने कई कदम उठाये हैं।

2.  माननीय मंत्री महोदया ने 27 मई 2014 को मंत्रालय का कार्यभार संभालते हुए किसानों की आय में बढ़ोत्‍तरी करने व उनकी जीवनदशा सुधारने के प्रति अपनी ठोस मंशा जाहिर कर दी थी। उन्‍होंने कहा ”राष्‍ट्र को सुरक्षा प्रदान करने में देश के किसान हमेशा सबसे आगे रहे। आज उनकी आमदनी बिल्‍कुल स्थिर हो गयी है। समय आ गया है जब उनके उत्‍पादों में नवाचार से मूल्‍य वर्धन किया जाए ताकि किसानों की आमदनी में बढोत्‍तरी हो।”

3.  मंत्रालय द्वारा पिछले छह महीनों में लागू की गई योजनाओं की भौतिक व वित्‍तीय उपलब्धियां, पिछले वर्ष की इस अवधि की तुलना में निम्‍न तालिका में दी गई है:

रूपये करोड़ में

क्र.सं. योजनाओं का नाम दिसम्‍बर 2013 से मई 2014 तक की स्थिति जून 2014 से दिसम्‍बर 2014 की स्थिति
  जारी राशि

(रूपये में)

कार्य पूरा होने वाली परियोजनाओं की संख्‍या जारी राशि

(रूपये में)

कार्य पूरा होने वाली परियोजनाओं की संख्‍या
1 बुनियादी ढांचा विकास

(क) मेगा फूड पार्क

(ख) एकीकृत कोल्‍ड चेन

(ग) बूचड़खानों का आधुनिकीकरण

 

23.41

76.66

 

5.18

 

07

02

 

47.97

102.96

 

9.55

 

5

10

 

2 प्रौद्योगिकी उन्‍नयन 20.24 137 131.86 778
3 गुणवत्‍ता, कोडेक्‍स मानदंड एवं प्रोत्‍साहन गतिविधियां 9.70 39 29.32 51
4 मानव संसाधन विकास 0.62 23 2.20 86
5 संस्‍थानों को मजबूत करना 25.48 02 33.72 04
6 खाद्य प्रसंस्‍करण पर राष्‍ट्रीय मिशन 34.99 12 94.27 22
  कुल 207.35   444.38  

 4.  योजनाओं की उपलब्धियों का तुलनात्‍मक मूल्‍यांकन निम्‍न है :

(1) बुनियादी ढांचा विकास की केन्‍द्रीय क्षेत्र योजना :

(क) मेगा फूड पार्क योजना

दिसम्‍बर 2013 से मई 2014 के दौरान किसी भी मामले में अंतिम मंजूरी नहीं दी गयी। जून 2014 से दिसम्‍बर 2014 के बीच पांच (5) मेगा फूड पार्कों को अंतिम मंजूरी प्रदान की गयी। अब तक सरकार ने 42 परियोजनाओं को स्‍वीकृति प्रदान कर दी है। इनमें से 25 परियोजनाओं पर क्रियान्‍वयन शुरू हो गया है। तीन परियोजनाएं – हरिद्वार (उत्‍तराखण्‍ड), चित्‍तूर (आंध्रप्रदेश) और तुमकुर (कर्नाटक) अब चालू हो चुकी हैं और इन पार्कों में कई इकाइयां स्‍थापित हो चुकी हैं। फाजि‍लका, पंजाब में भी परियोजना दिसम्‍बर 2014 में शुरू हो गयी है। चालू वित्‍त वर्ष के अंत तक पश्चिम बंगाल के मुर्शीदाबाद जिले में जांगीपुर व मध्‍यप्रदेश के खरगौन में एक-एक परियोजनाएं शुरू हो जाएगी।

(ख) एकीकृत कोल्‍ड चेन योजना :

इस योजना के अंगर्गत दिसम्‍बर 2013 से मई 2014 के दौरान सात (7) कोल्‍ड चेन परियोजनाओं का कार्य पूरा किया गया जबकि जून 2014 से दिसम्‍बर 2014 के दौरान दस (10) परियोजनाएं पूरी की गयीं। इस योजना के तहत आवंटित राशि का 91 प्रतिशत तक उपयोग कर लिया गया है। मंत्रालय ने अब तक 935.16 करोड़ रूपये अनुदान के साथ 112 एकीकृत परियोजनाओं को मंजूरी दी है।

 इन परियोजनाओं में निजी क्षेत्र के 1826.11 करोड़ रूपये के निवेश को भी मंजूरी दी गयी है। इनमें से 48 कोल्‍ड चेन परियोजनाएं पहले ही पूरी हो चुकी हैं और चालू वर्ष में 20 और परियोजनाएं शुरू हो जाएंगी। अब तक 2.46 लाख टन शीत भंडारण (कोल्‍ड स्‍टोरेज) क्षमता जोड़ी जा चुकी है। दुग्‍ध प्रसंस्‍करण क्षमता भी बढ़कर 84.86 लाख लीटर हो गयी है। इस योजना के अंतर्गत 330 रेफ्रीजरेटेड ट्रक और 59.5 एमटी प्रति घंटा व्‍यक्तिगत क्विक फ्रीजिंग क्षमता जोड़ा जाना भी मंत्रालय की उपलब्धियों में शामिल है।

(ग) बूचड़खानों की स्‍थापना/आधुनिकीकरण

इस योजना के तहत दिसम्‍बर 2013 से मई 2014 के बीच दो (2) परियोजनाएं पूरी की गयीं। वर्ष 2013-14 के लिए मंत्रालय ने 17 बूचड़खाना परियोजनाओं को मंजूरी दी थी। वर्ष 2014-15 के दौरान हैदराबाद (तेलंगाना) स्थित बूचड़खाने का कार्य पूरा हो जाने की उम्‍मीद है। विशाखापत्‍तनम (आंध्रप्रदेश) और एडयार (केर) की परियोजना पर भी कार्य इस अवधि में अपने अंतिम चरण में होंगे।

 (ii) केन्‍द्रीय प्रायोजित खाद्य प्रसंस्‍करण पर राष्‍ट्रीय मिशन (एनएमएफपी)

(क) खाद्य प्रसंस्‍करण पर राष्‍ट्रीय मिशन के तहत दिसम्‍बर 2013 से मई 2014 के बीच 12 राज्‍यों को 34.99 करोड़ रूपये आवंटित किए गए जबकि जून 2014 से दिसम्‍बर 2014 के दौरान 22 राज्‍यों को 94.27 करोड़ रूपये आवंटित किए गए। एनएमएफपी के तहत जारी की गयी राशि में जबर्दस्‍त सुधार हुआ है।

(ख) प्रौद्योगिकी उन्‍नयन वर्ग के तहत 165.49 करोड़ रूपये लागत वाली 471 परियोजनाओं को राज्‍य/केन्‍द्र शासित सरकारों ने मंजूरी प्रदान की है। स्‍वीकृत की गयी परियोजनाओं में बेकरी, उपभोक्‍ता, दुग्‍ध, मत्‍स्‍य पालन, फ्लोर मिलिंग, फल-सब्‍जी, मीट उत्‍पाद, तेल मिल, दाल मिल, चावल मिल व वाइन आदि शामिल हैं।

(ग) गैर-बागवानी उत्‍पादों के लिए कोल्‍ड चेन वर्ग के तहत 118.10 करोड़ रूपये लागत वाली 28 परियोजनाओं को राज्‍य/केन्‍द्र शासित सरकारों ने मंजूर किये। इनमें दुग्‍ध, मछली, मीट व अन्‍य परियोजनाएं शामिल हैं। बागवानी और गैर बागवानी उत्‍पादों के लिए कुल 1.77 करोड़ रूपये लागत वाले दो-दो कुल चार रीफर वाहन भी मंजूर किये गये हैं।

 5.  खाद्य प्रसंस्‍करण उद्योगों को प्रोत्‍साहित करने के लिए हाल के कदम

खाद्य प्रसंस्‍करण उद्योगों को प्रोत्‍साहित करने के लिए सरकार ने निम्‍न कदम उठाये हैं:-

(i)   राज्‍य सरकार की सक्रिय भागीदारी के साथ योजनाओं के क्रियान्‍वयन का विकेन्‍द्रीकरण

(ii)   खाद्य प्रसंस्‍करण क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देने के लिए निवेशकों के पोर्टल की शुरूआत

(iii)  खाद्य प्रसंस्‍करण क्षेत्र को प्रभावित करने वाले कृषि उत्‍पाद बाजार समिति (एपीएमसी) से जुड़े मुद्दों को चिन्हित करना ताकि एपीएमसी अधिनियम में आवश्‍यक संशोधन किया जा सके

(iv) बुनियादी ढांचा विकास योजनाओं के लिए आवंटन में बढ़ोत्‍तरी : 42 मेगा फूड पार्क, 138 कोल्‍ड चेन परियोजनाएं, 60 बूचड़खाने

(v) एकल खिड़की मंजूरी को सक्रिय करने के लिए राज्‍य सरकारों व उद्योग के बीच नियमित संपर्क

(vi)  खाद्य प्रसंस्‍करण उद्योगों के लिए वित्‍तीय छूटों की मांग

(vii)  खाद्य प्रसंस्‍करण व पैकेजिंग मशीनों पर उत्‍पाद शुल्‍क 10 प्रतिशत से घटाकर 6 प्रतिशत करना

(viii) स्‍वीकृत फूड पार्कों में खाद्य प्रसंस्‍करण इकाइयां स्‍थापित करने के लिए वाजिब दरों पर ऋण मुहैया कराने के लिए राष्‍ट्रीय कृषि व ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के त‍हत 2000 करोड़ रूपये के साथ विशेष कोष का गठन

(ix)  खाद्य प्रसंस्‍करण मंत्रालय द्वारा वर्तमान में संचालित सभी योजनाओं के आवेदन फार्मों का सरलीकरण

(x)  प्रस्‍तावों के साथ लगने वाले दस्‍तावेजों जैसे शपथपत्र, समझौता-पत्र आदि में कमी। पहले प्रस्‍तावों के साथ लगने वाले दस्‍तावेजों की संख्‍या काफी थी।

(xi)  अधिशेष कच्‍चे माल वाले क्षेत्रों की पहचान के लिए एक खाद्य मानचित्र तैयार किया गया और उसे मंत्रालय के वेबसाइट पर डाला गया है। विचार यह है कि अधिशेष और अभाव वाले क्षेत्रों की पहचान करते हुए वर्तमान योजनाओं के तहत प्रसंस्‍करण इकाइयां गठित प्रसंस्‍करण समूहों की योजनाओं को मूर्त रूप दिया जाए।

(xii)  उद्योग संगठन फिक्‍की के साथ मिलकर खाद्य प्रसंस्‍करण पर क्षेत्रवार कौशल परिषद का संचालन।

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