- December 10, 2014
लोकसभा : सिर पर मैला ढोने वाले :11 राज्यों में 11,635 कर्मी – मंत्री श्री विजय साम्पला
सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री श्री विजय साम्पला ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी कि मार्च, 2012 में भारत के महापंजीयक द्वारा जारी ‘गृह सूचीकरण और आवास जनगणना, 2011’ आंकड़ों में, अन्य बातों के साथ-साथ, उन शौचालयों जिनमें मानव मल हाथ से साफ किया जाता है सहित परिवारों की संख्या शौचालय सुविधा के प्रकार के साथ प्रदान की गई है। इन आंकड़ों के अनुसार, ऐसे शौचालय गोवा, सिक्किम राज्यों तथा चण्डीगढ़ और लक्ष्यद्वीप संघ राज्य क्षेत्रों को छोड़कर सभी राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में मौजूद थे।
राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में हाथ से सेवित शौचालयों की मौजूदगी इस तथ्य की और संकेत देती है कि हाथ से मैला उठाने की प्रथा वहां पर अभी समाप्त की जानी है।
अब तक दिए गए सर्वेक्षण के आधार पर उपलब्ध नवीन सूचना के अनुसार, 11 राज्यों में 11,635 हाथ से मैला उठाने वाले कर्मी चिन्हित किए गए हैं जिनका राज्यवार ब्यौरा विवरण में दिया गया है-
राज्यों द्वारा अभिज्ञात हाथ से मैला उठाने वाले कर्मियों की राज्यवार संख्या
क्रम सं. | राज्य का नाम | अभिज्ञात हाथ से मैला उठाने वाले कर्मियों की सं. |
1. | आंध्र प्रदेश | 89 |
2. | बिहार | 137 |
3. | छत्तीसगढ़ | 3 |
4. | जम्मू-कश्मीर | 119 |
5. | कर्नाटक | 302 |
6. | ओडिशा | 386 |
7. | पंजाब | 64 |
8. | राजस्थान | *284 |
9. | उत्तर प्रदेश | 10,016 |
10. | उत्तराखंड | 137 |
11. | पश्चिम बंगाल | 98 |
कुल | 11,635 |
”हाथ से मैला उठाने वाले कर्मियों के रूप में नियोजन का प्रतिषेध और उनका पुनर्वास अधिनियम, 2013 दिनांक 06.12.2013 से लागू हो गया है। इस अधिनियम के अंतर्गत नियमावली को दिनांक 12.12.2013 को राजपत्र में अधिसूचित कर दिया गया है जो राज्यों के लिए आदर्श नियमावली के रूप में भी प्रयोग किए जाएंगे।
केन्द्रीय मंत्री, राज्य मंत्री, सचिव और सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने इस संबंध में राज्य सरकार के तंत्र को संवेदी बनाने तथा इस अधिनियम के कार्यान्वयन के लिए उनके द्वारा की गई कार्रवाई की स्थिति की समीक्षा करने के लिए 15 राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में अलग बैठकें संपन्न की हैं।
केन्द्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री की अध्यक्षता में दिनांक 13.01.2014 को एक केन्द्रीय मानीटरिंग समिति (सीएमसी) गठित कर दी गई है। इस अधिनियम के कार्यान्वयन की प्रगति की समीक्षा करने के लिए दिनांक 28.01.2014 तथा 21.08.2014 को सीएमसी की दो बैठकें संपन्न हो गई हैं। सीएमसी की प्रमुख सिफारिशों/टिप्पणियों में, अन्य बातों के साथ-साथ, राज्य/संघ राज्य क्षेत्र से निम्नलिखित अपेक्षा शामिल है:-
I. एक समयबद्ध रीति में अस्वच्छ शौचालयों और हाथ से मैला उठाने वाले कर्मियों का पूर्ण सर्वेक्षण।
II. अभिज्ञात हाथ से मैला उठाने वाले कर्मियों के लिए पहली बार नकद सहायता का भुगतान करना और उनका व्यापक पुनर्वास करना।
III. राज्य सरकारों/संघ राज्य क्षेत्रों द्वारा 1993 से सीवर मौतों के मामलों की पहचान करना और उच्चतम न्यायालय के निदेश के अनुसार, पीड़ित परिवारों के लिए क्षतिपूर्ति धनराशि का भुगतान करना।
IV. सतर्कता और मानीटरिंग समितियों का गठन करना और उनकी बैठकें तत्काल आयोजित करना।
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