- June 3, 2021
लॉकडाउन में पोषण वाटिका से बढ़ी आमदनीं —– विकास मेश्राम वागधारा
कान्ता रमेश भगोरा
उम्र 40 वर्ष
गाँव का नाम – खेरियापाडा
तहसील – कुशलगढ़
जिला -बांसवाडा राजस्थान
सक्षम महिला समूह का नाम – गीता सक्षम महिला समूह
कान्ता रमेश भगोरा की जैविक पोषण वाटिका
स्वस्थ्य जीवन ही एक अनमोल सम्पत्ति है मनुष्य के जीवन और उसकी खुशी के लिए स्वास्थ्य ही महत्वपूर्ण है | स्वास्थ्य के बिना किसी अन्य वस्तु की कल्पना करना कठिन है एवं स्वास्थ्य ही किसी समाज के आर्थिक प्रगति के लिए अनिवार्य है | जो भी व्यक्ति अथवा समाज स्वास्थ्य से पिछड़ा हुआ है उसे जीवन मूल्य की स्थापना करना बेहद कठिन होता है | इसी अभियान के तहत वाग़धारा संस्था जैविक किचन गार्डन , खाध्य सुरक्षा , स्वास्थ्य सुरक्षा और पारम्परिक कृषि पद्धति को सक्षम महिला समूह के माध्यम से इन जनजातीय समुदाय के स्वास्थ्य हेतु प्रयासरत है |
इस क्षेत्र में जनजातीय समुदाय की आबादी ज्यादा है और पठारी संरचना और बारहमासी नालों को न होने के कारण 800 – 1000 अच्छी बारिश के बावजूद क्षेत्र में पानी की कमी बनी रहती है | इन जनजातीय समुदाय की आजीविका बढ़ाने हेतु वाग़धारा ने महिला समूह का गठन किया , ताकि खेती में महिला की भूमिकाओं को सुनिश्चित किया जाये व बाज़ार के ऊपर उनका अवलम्बित्व कम हो जाये , सक्षम समूह के तहत गाँव में खेती उत्प्पदन में वृद्धि करना , परमपरागत खेती को बढ़ावा देना , पोषण वाटिका और बहुद्देशीय पौधे लगाना और उनके प्रति जागरूक करवाना इसी उद्देश्य से सक्षम महिला समूह का गठन किया गया है |
कान्ता रमेश भगोरा उम्र 40 वर्ष, गाँव खेरिया पाडा तहसील कुशलगढ़ , जिला बांसवाडा उनके पास 3 बीघा सिंचाई युक्त जमीन है , इसमें खरीफ़ में मक्का , चावल , सोयाबीन की उपज होती है और रबी में गेहूं , सब्जी की उपज करते है | उनके पास 1 गाय,2 भैस ,2 बकरिया, हैं | जनजातीय बहुल क्षेत्र में रहने वाली यह महिला पानी की कमी होने के कारण ही अपने खेत में पोषण वाटिका लगाकर अपनी आजीविका और स्वास्थ्य में सुधार कर रही है |
सक्षम महिला समूह की बैठक में भाग लेती कान्ता भगोरा
2018 से सहजकर्ता दिनेश डिन्डोर, दया मईडा इनके माध्यम से महिला समूह से जुडी | सक्षम समूह के मासिक बैठक में नियमित उपस्थित रहकर अपनी जिम्मेदारी क्या है , अधिकार के प्रति जागरूक हुई | इसी तहत संस्था के सहजकर्ता दिनेश डिन्डोर ने उनकों जैविक खेती , पोषण वाटिका के बारे में बताया | इसमें फसल प्रबंधन, मिट्टी प्रबंधन , कृषि उपकरणों का उपयोग , जैविक खाद तैयार करना (केंचुआ, दशपर्णी , वेर्मी कम्पोस्ट खाद) के बारे में प्रशिक्षण दिया |
वाग़धारा संस्था ने मुझे बीज कीट दिए , इसमें भिण्डी, लौकी, टमाटर, बेंगन, गिलकी, ग्वार फली , मिर्ची, पालक , प्याज, मैथी, धनिया, टिंडोरी, आदि के बीज शामिल है | यह बीज किट हमने अपने खेत में लगाया और उससे हुई पैदावार से हमने घर के आहार में एवं दुसरे लोगों को बेचकर आमदनी भी प्राप्त की | जिससे मेरी आमदनी में बढ़ोतरी हुई |
2020 में मार्च-मई तक लॉकडाउन के समय मैंने 100 किलों सब्जी बेचीं इसमें सब्जी बाजार बन्द होने होने के कारणवश लोग मेरे खेत में आकर सब्जी खरीद लेते थे | इनमे जिन ग्राहकों के पास पैसे नहीं होते थे , वे ग्राहक मुझे गेहूं देते थे और बदले में सब्जी ले जाया करते थे | इस तरह मुझे मेरी सब्जी के बदले उन ग्राहकों से 70 किलो गेहूं मिले | 1500/- रूपये की नकद आमदनी भी हुई | और मै भी पहले बाजार से सब्जी खरीदकर लाती थी, परन्तु पिछले 3 वर्ष से बाजार से कोई भी सब्जी खरीदनी नहीं पड़ी जिससे मेरे 28000/- तक की बचत हुई एवं मेरे परिवार का गुजारा इसी सब्जी से हुआ | ये बचत वाले पैसे मेरे लड़कों के पढाई में काम आये
कान्ता रमेश भगोरा के घर में वर्मी कम्पोस्ट
इसी प्रकार इस वर्ष 2021 मार्च–मई में लॉकडाउन 45 किलो गेहूं सब्जी बेचने पर मिले और 1000/- रूपये की नकद आमदनी हुई | इस पोषण वाटिका से मुझे आमदनी तो हुई लेकिन मेरे परिवार का स्वास्थ्य भी अच्छा रहा | इस पोषण वाटिका से मेरे परिवार को ताजा-पौषक फल-सब्जियां मिलती रही | पहले मै साक-सब्जी लगाती थी परन्तु, मेरे पोषण वाटिका में विविध प्रकार की सब्जियां नहीं थी | अब वाग़धारा के महिला सक्षम समूह से जुड़ने के बाद मुझे सब्जी बीज किट अपने खेत में लगाने से विविध प्रकार की सब्जियां हमारे खाने में उपयोग इस्तेमाल करने लगे | मै वाग़धारा संस्था की आभारी हूँ | मेरे आजीविका और स्वास्थ्य बढ़ाने में मदद की |