लॉकडाउन की वजह से आगामी 14 अप्रैल को हम बाबा साहेब अम्बेडकर जी की जयंती सार्वजनिक रूप से नहीं मना पायेंगे .

लॉकडाउन की वजह से आगामी 14 अप्रैल को हम बाबा साहेब अम्बेडकर जी की जयंती सार्वजनिक रूप से नहीं मना पायेंगे .

संदीप कपूर———— आगामी दिनांक-14.04.2020 को बाबा साहब डाॅ0 भीमराव अम्बेडकर जी की 129वीं जयन्ती है। परन्तु आज विश्वव्यापी करोना वायरस ( COVID-19) के कारण लाॅकडाउन के चलते हमसभी पूर्व की भाॅति सार्वजनिक कार्यक्रमों का आयोजन नहीं कर पायेगें। जैसा की सभी को मालूम है हमें सोशल डिस्टेन्सिंग के नियमों का तथा इससे संबंधित सरकार के सभी निर्देशों का पालन करना है। मैं स्वंय भी इसका पूर्ण रूप से पालन कर घर में ही रह रहा हूँ।

इतिहास गवाह है कि अनुशासित लोग ही एक मजबूत राष्ट्र का निर्माण करते है। आज के दिन में यह विचार अत्यन्त महत्वपूर्ण हो गया है। हालांकि लाॅकडाउन से अनेक प्रकार की कठिनाईयों का सामना हमसभी को करना पड़ रहा है। परन्तु देशवासियों एवं सम्पूर्ण समाज की सुरक्षा का अभी यही मूलमंत्र है।

बिहार राज्य में इस खतरे को भांपते हुए हमारे माननीय मुख्यमंत्री महोदय अत्यन्त सचेष्ट हैं तथा सरकार अपने स्तर से लाॅकडाउन से उत्पन्न लोगों की कठिनाईयाँ दूर करने के लिए भी प्रयासरत है। ऐसे में हमारा भी कर्तव्य है कि हम सरकार के निदेशों का अक्षरशः पालन करें।

बाबा साहब की जयन्ती हमारे लिए मनाना गौरव की बात है। परन्तु कोरोना महामारी से उत्पन्न संकट में सभी के जीवन की रक्षा होना भी मूल प्रश्न है। ऐसे में प्रश्न उठता है कि हम बाबा साहब की जयन्ती के अवसर पर बिना एक जगह एकत्रित हुए हम उनके प्रति उदगार कैसे व्यक्त करें।

श्रद्धासुमन किस प्रकार अर्पित करें। मेरे विचार में आज की परिस्थिति में यह सर्वाधिक उचित होगा कि हम चिंतन करें साथ ही बाबा साहब की जीवनी तथा उनके द्वारा रचित पुस्तकों का अध्ययन करें और उनके विचारों पर आत्ममंथन करें।

विशेषकर हम अपने बच्चों को बाबा साहब का बचपन, कठिन परिस्थतियों में विदेश जाकर उच्चशिक्षा ग्रहण करना, मन में डाॅक्टरेट करने की इच्छा रहते हुए भी महाराजा बड़ौदा की शर्तों के अनुसार भारत लौटकर उनकी नौकरी करना, अवसर पाकर पुनः विदेश जाकर अर्थशास्त्र में अपनी डाॅक्टरेट की डिग्री पूरी करना, शिक्षित बनने, संगठित होकर सामाजिक उत्पीड़न के प्रति संघर्ष करने का उनका संदेश-यह सभी पूरा प्रसंग बच्चों के लिए प्रेरणादायी है। लाॅकडाउन की इस अवधि में हम अपने बच्चों को बाबा साहब की जीवनी के बारे में जानकारी देकर समय का सदुपयोग कर सकते है।

बाबा साहब संविधान निर्माता और राजनीतिज्ञ होने के साथ-साथ एक अर्थशास्त्री भी थें। उन्होंने अपनी सबसे बड़ी डिग्री अर्थशास्त्र में हीं प्राप्त की थी। पर हम उन्हें सिर्फ संविधान निर्माता एवं एक सामाजिक चेतना लाने वाले व्यक्तित्व के रूप में हीं ज्यादा जानते हैं।

उनकी जयन्ती पर उनके प्रति सबसे बड़ी श्रद्धांजलि यह होगी की लाॅकडाउन की अवधि में उनके सर्वांगिण व्यक्तित्व का गहण अध्ययन कर हम वैचारिक रूप से सशक्त बनें। तभी उनके प्रति नमन के हम हकदार बनेंगे।

बाबा साहब की जयन्ती पर नमन एवं आप सभी को अग्रिम बधाई।

जय भीम !जय हिन्द ! जय भारत ! नमोः बुद्धाय !

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